उद्योग मंडलों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दर रेपो में कमी करने से भारत की अर्थव्यवस्था को अमेरिका के जबावी शुल्क के कारण होने वाले बाहरी झटकों से निपटने में मदद मिलेगी। अमेरिकी शुल्क से वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं उत्पन्न हुई हैं। आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दर रेपो 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया। इससे कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है जिससे घर, वाहन और कॉरपोरेट ऋण लेने वालों को राहत मिलेगी। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रेपो में कमी को जारी रखने को समय पर लिया गया और सूझ-बूझ वाला कदम बताया। बनर्जी ने कहा, ‘प्रमुख ब्याज दर में कटौती के साथ-साथ मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ करना भी एक बड़ा सकारात्मक कदम है।’ उन्होंने कहा कि आरबीआई की ब्याज दर में कटौती और रुख में बदलाव, घरेलू अर्थव्यवस्था पर धीमी वैश्विक वृद्धि के प्रभाव के बारे में चिंताओं को बताता है। बनर्जी ने कहा, ‘‘सीआईआई का मानना ??है कि आरबीआई की उदार मौद्रिक नीति और सरकार की वृद्धि-केंद्रित राजकोषीय नीति से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच घरेलू वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।’’ उद्योग मंडल फिक्की ने रेपो दर में कटौती का स्वागत करते हुए इससे बैंकों द्वारा त्वरित, प्रभावी लाभ लोगों तक पहुंचाने की उम्मीद जताई है। फिक्की के अध्यक्ष हर्षवद्र्धन अग्रवाल ने कहा, ‘इस साल दूसरी बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का आरबीआई का फैसला स्वागतयोग्य है। साथ ही, मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ से ‘उदार’ करना वृद्धि को समर्थन देने के लिए केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता को बताता है।’ उन्होंने कहा, ‘‘अब हम उम्मीद करते हैं कि बैंक ब्याज दर में कटौती कर कर्ज लेने वालों को राहत देंगे। इस समय, यह जरूरी है कि हम वृद्धि के घरेलू कारकों को लगातार मजबूत करें क्योंकि वैश्विक वातावरण अनिश्चितताओं से भरा हुआ है और हम नीति दर के संबंध में आरबीआई के आज के फैसले को उसी दिशा में एक कदम के रूप में देखते हैं।’’ पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के रेपो दर को घटाकर छह प्रतिशत करने तथा उदार रुख अपनाने के निर्णय से भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षा मिलेगी। साथ ही आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा। बजट 2025-26 के दौरान घोषित आयकर में छूट के साथ-साथ ब्याज दरों में कमी से उपभोक्ता धारणा में सुधार होगा, जिससे निजी अंतिम उपभोग व्यय में बढ़ोतरी के माध्यम से जीडीपी वृद्धि में तेजी आएगी। जैन ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती से ऋण लागत कम होगी, जिससे उद्योग को हाल ही में अमेरिकी शुल्क संबंधी घोषणाओं जैसे बाहरी झटकों को सहन करने के लिए अतिरिक्त सहारा मिलेगा। इससे पहले फरवरी में पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआई ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। यह मई, 2020 के बाद पहली कटौती थी।