विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी कर संरचना में किए गए बदलाव और आयकर में की गई कटौतियां घरेलू खपत को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था की स्थायी वृद्धि को रफ्तार देने का काम करेंगी। जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए दैनिक उपभोग वाली वस्तुओं पर कर घटाकर पांच प्रतिशत और अन्य उत्पादों पर 18 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। वहीं विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी। जीएसटी कर के स्लैब में किए गए बदलाव का मकसद अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन आसान करना, लोगों की जेब में अधिक धनराशि छोडऩा और समग्र मांग को बढ़ावा देना है। विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ता वस्तुओं, परिधान और फुटवियर, छोटे वाहन, बीमा, नवीकरणीय ऊर्जा और कृषि रसायन जैसे क्षेत्र जीएसटी दरों में कटौती के कदम से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च ने एक टिप्पणी में कहा कि जीएसटी में हुए बदलाव, फरवरी में हुई आयकर कटौती और सहज मौद्रिक नीति के साथ मिलकर टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं। उसने कहा, इन नीतियों के चलते हमें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही से भारत की वृद्धि दर तेज होने की उम्मीद है। मजबूत खपत के चलते जीडीपी वृद्धि साल भर में 0.2 प्रतिशत अंक तक बढ़ सकती है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड ग्लोबल रिसर्च ने अनुमान जताया कि जीएसटी दरों में कमी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.1-0.16 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हो सकती है और मुद्रास्फीति में 0.40-0.60 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। जेफरीज ने कहा कि जब उद्योग विभिन्न श्रेणियों में कमजोर मांग का सामना कर रहा है, ऐसे समय पर जीएसटी का सरलीकरण उपभोक्ताओं और कंपनियों दोनों के लिए राहत लेकर आएगा। उपभोक्ताओं को कम दामों पर सामान मिलेगा जबकि कंपनियों को बढ़ी हुई बिक्री से फायदा होगा। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि खाद्य एवं व्यक्तिगत देखभाल वस्तुओं पर जीएसटी दरों में व्यापक कटौती से खपत में आंशिक रूप से नई जान आ सकती है। उसने अनुमान जताया कि अनुकूल मानसून, वस्तुओं की कीमतों में नरमी, हालिया कर कटौती और आगामी वेतन आयोग एफएमसीजी क्षेत्र की खपत को अगले 12-15 महीनों में गति देंगे। विश्लेषकों ने कहा कि जीएसटी कटौती से महंगाई में 0.25 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है जिससे भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत अंक की कटौती की गुंजाइश पैदा हो सकती है। एचएसबीसी का कहना है कि कर कटौती से सकल राजस्व में करीब 93,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी लेकिन 40 प्रतिशत कर के तहत मुआवजा उपकर से 45,000 करोड़ रुपये की भरपाई संभव है। इसके समायोजन के बाद शुद्ध राजस्व हानि 48,000 करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.16 प्रतिशत) होगी जिसे सरकार आसानी से संभाल सकती है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि स्थानीय ई-कॉमर्स आपूर्ति सेवाओं पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लगने से जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों के डिलिवरी चार्ज पर प्रति ऑर्डर दो रुपये से लेकर 2.6 रुपये तक का असर पड़ सकता है।