नॉर्थ-ईस्ट इंडिया के आइजोल, पूर्वी खासी हिल्स, पापुमपारे, कामरूप शहरी और मिजोरम में 2015 और 2019 के बीच लगातार कैंसर की उच्चतम दर दर्ज की गई। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। ‘क्रॉस-सेक्शनल’ अध्ययन में भारत की जनसंख्या-आधारित 43 कैंसर रजिस्ट्री (पीबीसीआर) में दर्ज आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। ‘क्रॉस सेक्शनल’ अध्ययन में किसी खास समय बिंदु पर किसी जनसंख्या या समूह की विशेषताओं, स्थितियों या स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को एकत्रित और विश्लेषित किया जाता है। अध्ययन के मुताबिक एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2019 के बीच, देशभर के 43 पीबीसीआर में 7.08 लाख कैंसर के मामले और 2.06 लाख मौतें दर्ज की गईं। कैंसर के मामलों में महिलाओं का अनुपात ज्यादा था, जबकि इससे होने वाली मौतों में पुरुषों का अनुपात ज्यादा था। आंकड़ों के मुताबिक कैंसर के कुल मरीजों में 51.1 प्रतिशत महिलाएं थीं और मौतों की दृष्टि से उनका अनुपात 45 प्रतिशत था। दूसरी ओर, कैंसर के मरीजों में 48.9 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि इससे होने वाली मौतों में पुरुषों का आंकड़ा 55 प्रतिशत था। अध्ययन में भारत की जनगणना से जोखिमग्रस्त आबादी के आंकड़े प्राप्त किए गए तथा निष्कर्षों का मूल्यांकन रजिस्ट्री क्षेत्र के आधार पर किया गया।अध्ययन के अनुसार, भारत में कैंसर होने का आजीवन जोखिम 11.0 प्रतिशत था। हालांकि, मिजोरम के पुरुषों में जीवनकाल में इस जोखिम की दर 21.1 प्रतिशत और महिलाओं में 18.9 प्रतिशत थी। आइजोल जिले में पुरुषों और महिलाओं- दोनों में सबसे ज़्यादा आयु-समायोजित घटना दर (एएआईआर) दर्ज की गई। आयु-समायोजित घटना दर एक सांख्यिकीय विधि है जिसका उपयोग आयु के अंतर के प्रभाव को हटाकर आबादी के बीच या विभिन्न समयावधि में रोग दरों की तुलना करने के लिए किया जाता है। अध्ययन के मुताबिक, पुरुषों में सबसे आम प्रकार के कैंसर मुख, फेफड़े और प्रोस्टेट संबंधी तथा महिलाओं में स्तन, गर्भाशय ग्रीवा एवं डिंबग्रंथि से संबंधित थे। दस लाख से अधिक आबादी वाले महानगरों की श्रेणी में दिल्ली में पुरुषों के लिए कैंसर की समग्र एएआईआर सबसे अधिक थी, जबकि श्रीनगर में फेफड़ों के कैंसर के लिए एएआईआर सबसे अधिक दर्ज की गई।