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03-09-2025

जीएसटी 2.0 सुधार, बढ़ती रूरल इनकम और घटती महंगाई से इंडिया की कंजप्शन स्टोरी पकड़ेगी रफ्तार

  •  आगामी जीएसटी 2.0 सुधार, बढ़ती ग्रामीण आय और घटती महंगाई का संयोजन भारत की उपभोग की कहानी में एक बड़े पुनरुत्थान का आधार तैयार कर सकता है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। स्मॉलकेस के निवेश प्रबंधक राइट रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का उपभोग चक्र, जो पिछले कुछ वर्षों से सुस्त रहा है, संभवत: अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है और अब ऊपर की ओर बढ़ रहा है। अगर जीएसटी 2.0 को त्योहारी सीजन से ठीक पहले अक्टूबर में अंतिम रूप दिया जाता है, तो इससे उपभोक्ता कीमतें कम हो सकती हैं, मांग बढ़ सकती है और घरेलू खर्च में वृद्धि हो सकती है। अपेक्षित बदलावों में, जिन वस्तुओं पर वर्तमान में 12% कर लगता है, उन्हें 5% के स्लैब में लाया जा सकता है। इसमें प्रोसेस्ड फूड, किफायती जूते और कुछ स्वास्थ्य उत्पाद शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा है कि इससे रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं और उपभोक्ता बिना ब्रांड वाले उत्पादों से ब्रांडेड उत्पादों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। बिग-टिकट आइटम में एयर कंडीशनर और बड़े टेलीविजन जैसे उत्पादों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो सकता है, जिससे कीमतों में लगभग 8% की कमी आएगी और टियर-2 तथा टियर-3 शहरों में इसकी पहुंच व्यापक होगी। रिपोर्ट के अनुसार, सीमेंट पर जीएसटी में कटौती खुदरा घरेलू परियोजनाओं और बड़ी निर्माण गतिविधियों, दोनों की लागत कम करेगी, जिस पर वर्तमान में 28% कर लगता है। राइट रिसर्च की संस्थापक और स्मॉलकेस की निवेश प्रबंधक सोनम श्रीवास्तव ने कहा, जीएसटी 2.0 हाल के वर्षों में सबसे अधिक उपभोग-समर्थक नीतियों में से एक है। रोजमर्रा की श्रेणियों और बिग-टिकट ड्यूरेबल, दोनों में कीमतों में कमी कर, यह सुधार मांग में तेजी ला सकता है, ठीक वैसे ही जैसे ग्रामीण आय और मुद्रास्फीति के रुझान अनुकूल हो रहे हैं। सेक्टोरल आउटलुक भी आशाजनक है। एफएमसीजी कंपनियों के वित्त वर्ष 26 में 10% की राजस्व वृद्धि देखने की उम्मीद है, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल के क्षेत्र में 21' से अधिक की वृद्धि हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सुधारों को कितनी तेजी से लागू किया जाता है। सीमेंट कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है, उनके ईबीआईटीडीए में 40% से अधिक और मुनाफ़े में 80% की वृद्धि का अनुमान है। एमएसएमई द्वारा डिजिटल समाधानों को अपनाए जाने के कारण इंटरनेट प्लेटफॉर्म के राजस्व में 35-40% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण नकदी प्रवाह में सुधार की उम्मीद है। रिपोर्ट में है कि पुनरुद्धार के शुरुआती संकेत पहले  ही दिखाई देने लगे हैं। प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों, क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और पेंट कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में बिक्री में सुधार दर्ज किया है, जबकि छोटे शहरों के खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में तेजी देखी जा रही है।

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जीएसटी 2.0 सुधार, बढ़ती रूरल इनकम और घटती महंगाई से इंडिया की कंजप्शन स्टोरी पकड़ेगी रफ्तार

 आगामी जीएसटी 2.0 सुधार, बढ़ती ग्रामीण आय और घटती महंगाई का संयोजन भारत की उपभोग की कहानी में एक बड़े पुनरुत्थान का आधार तैयार कर सकता है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। स्मॉलकेस के निवेश प्रबंधक राइट रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का उपभोग चक्र, जो पिछले कुछ वर्षों से सुस्त रहा है, संभवत: अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है और अब ऊपर की ओर बढ़ रहा है। अगर जीएसटी 2.0 को त्योहारी सीजन से ठीक पहले अक्टूबर में अंतिम रूप दिया जाता है, तो इससे उपभोक्ता कीमतें कम हो सकती हैं, मांग बढ़ सकती है और घरेलू खर्च में वृद्धि हो सकती है। अपेक्षित बदलावों में, जिन वस्तुओं पर वर्तमान में 12% कर लगता है, उन्हें 5% के स्लैब में लाया जा सकता है। इसमें प्रोसेस्ड फूड, किफायती जूते और कुछ स्वास्थ्य उत्पाद शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा है कि इससे रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं और उपभोक्ता बिना ब्रांड वाले उत्पादों से ब्रांडेड उत्पादों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। बिग-टिकट आइटम में एयर कंडीशनर और बड़े टेलीविजन जैसे उत्पादों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो सकता है, जिससे कीमतों में लगभग 8% की कमी आएगी और टियर-2 तथा टियर-3 शहरों में इसकी पहुंच व्यापक होगी। रिपोर्ट के अनुसार, सीमेंट पर जीएसटी में कटौती खुदरा घरेलू परियोजनाओं और बड़ी निर्माण गतिविधियों, दोनों की लागत कम करेगी, जिस पर वर्तमान में 28% कर लगता है। राइट रिसर्च की संस्थापक और स्मॉलकेस की निवेश प्रबंधक सोनम श्रीवास्तव ने कहा, जीएसटी 2.0 हाल के वर्षों में सबसे अधिक उपभोग-समर्थक नीतियों में से एक है। रोजमर्रा की श्रेणियों और बिग-टिकट ड्यूरेबल, दोनों में कीमतों में कमी कर, यह सुधार मांग में तेजी ला सकता है, ठीक वैसे ही जैसे ग्रामीण आय और मुद्रास्फीति के रुझान अनुकूल हो रहे हैं। सेक्टोरल आउटलुक भी आशाजनक है। एफएमसीजी कंपनियों के वित्त वर्ष 26 में 10% की राजस्व वृद्धि देखने की उम्मीद है, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल के क्षेत्र में 21' से अधिक की वृद्धि हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सुधारों को कितनी तेजी से लागू किया जाता है। सीमेंट कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है, उनके ईबीआईटीडीए में 40% से अधिक और मुनाफ़े में 80% की वृद्धि का अनुमान है। एमएसएमई द्वारा डिजिटल समाधानों को अपनाए जाने के कारण इंटरनेट प्लेटफॉर्म के राजस्व में 35-40% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण नकदी प्रवाह में सुधार की उम्मीद है। रिपोर्ट में है कि पुनरुद्धार के शुरुआती संकेत पहले  ही दिखाई देने लगे हैं। प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों, क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और पेंट कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में बिक्री में सुधार दर्ज किया है, जबकि छोटे शहरों के खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में तेजी देखी जा रही है।


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