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05-09-2025

सडक़ हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिवार को 12.31 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए : न्यायाधिकरण

  •  मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2014 में सडक़ दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को लगभग 12.31 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण की पीठासीन अधिकारी शैली अरोड़ा ने लियाकत अली के परिवार के सदस्यों की याचिका पर सुनवाई की। लियाकत अली की 23 अगस्त 2014 को एक ट्रक द्वारा उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मारने के बाद मृत्यु हो गई थी। दो सितंबर को दिए अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने कहा, ‘‘यह एक सुस्थापित कानूनी सिद्धांत है कि वाहन दुर्घटना के मामलों में लापरवाही का निर्धारण संभावनाओं की प्रबलता के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि संदेह से परे सबूतों के आधार पर।’’ एमएसीटी ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों पर व्यापक एवं व्यावहारिक तरीके से विचार किया जाना चाहिए। उसने कहा, ‘‘यह भी स्थापित व्यवस्था है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्यवाही नियमित दीवानी मुकदमों से अलग होती है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तकनीकी नियमों द्वारा शासित नहीं होती।’’ साक्ष्यों पर विचार करते हुए, आदेश में कहा गया कि ‘तेजी और लापरवाही से ट्रक चलाने’ के कारण ही यह घातक दुर्घटना हुई। न्यायाधिकरण ने विभिन्न मदों में लगभग 12.31 लाख रुपये का कुल मुआवजा निर्धारित किया। उसने बीमाकर्ता कंपनी ‘श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ के इस तर्क को खारिज कर दिया कि ट्रक चालक फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ट्रक चला रहा था।

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सडक़ हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिवार को 12.31 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए : न्यायाधिकरण

 मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2014 में सडक़ दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को लगभग 12.31 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण की पीठासीन अधिकारी शैली अरोड़ा ने लियाकत अली के परिवार के सदस्यों की याचिका पर सुनवाई की। लियाकत अली की 23 अगस्त 2014 को एक ट्रक द्वारा उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मारने के बाद मृत्यु हो गई थी। दो सितंबर को दिए अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने कहा, ‘‘यह एक सुस्थापित कानूनी सिद्धांत है कि वाहन दुर्घटना के मामलों में लापरवाही का निर्धारण संभावनाओं की प्रबलता के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि संदेह से परे सबूतों के आधार पर।’’ एमएसीटी ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों पर व्यापक एवं व्यावहारिक तरीके से विचार किया जाना चाहिए। उसने कहा, ‘‘यह भी स्थापित व्यवस्था है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्यवाही नियमित दीवानी मुकदमों से अलग होती है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तकनीकी नियमों द्वारा शासित नहीं होती।’’ साक्ष्यों पर विचार करते हुए, आदेश में कहा गया कि ‘तेजी और लापरवाही से ट्रक चलाने’ के कारण ही यह घातक दुर्घटना हुई। न्यायाधिकरण ने विभिन्न मदों में लगभग 12.31 लाख रुपये का कुल मुआवजा निर्धारित किया। उसने बीमाकर्ता कंपनी ‘श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ के इस तर्क को खारिज कर दिया कि ट्रक चालक फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ट्रक चला रहा था।


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