भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी), बीकानेर में विश्व ऊँट दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘ऊंट पालन व्यवसाय: चुनौतियां और अवसर’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। देशभर से आए विशेषज्ञों ने ऊंटों की भारत एवं वैश्विक स्तर पर उपयोगिता, औषधीय दुग्ध की मांग और व्यापारिक संभावनाओं पर गहन चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केन्द्र निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने ऊंट को ‘प्राकृतिक औषधालय’ बताते हुए इसके दूध, बाल, हड्डी, चमड़ा और पर्यटन सहित बहुआयामी उपयोगों पर प्रकाश डाला। आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन ने जानकारी दी कि वर्तमान में ऊंटनी दूध का वैश्विक बाजार लगभग 14.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो वर्ष 2030 तक बढक़र 24.02 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। मुख्य अतिथि डॉ. आर.के. सावल (पूर्व निदेशक) ने ऊंटनी के औषधीय गुणों से भरपूर दुग्ध को डेयरी क्षेत्र में बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. जगदीश राणे, निदेशक, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान थे। इस अवसर पर ‘फोग’ नामक एक विस्तार पत्रक का विमोचन भी किया गया।