देश के विकसित भारत के टार्गेट को चीन ने पलीता लगा दिया। जर्मन कंपनी चीन में टनल बोरिंग मशीन बनाती है। भारत ने जर्मन कंपनी से खरीदी लेकिन चीन ने अडंगा लगा दिया। नतीजा बुलट ट्रेन प्रॉजेक्ट कई महीने लेट हो चुका है। अब चर्चा है कि रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली पीएसयू बीईएमएल (भारत अर्थमूवर)भारत में ही टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) बनाने के प्लान पर काम कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार टीबीएम के लिए बीईएमएल पहले ही ऑस्ट्रिया और जापान की कंपनियों से शुरुआती बातचीत कर चुकी है। भारत में मेट्रो रेल, टनल रोड, हाइड्रो प्रोजेक्ट्स, सिंचाई और खनन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के चलते टीबीएम की मांग तेजी से बढ़ी है। अर्बन डवलपमेंट मिनिस्ट्री भी स्वदेशी टीबीएम को बढ़ावा दे रहा है। बीईएमएल का प्लान ज्यादा डिमांड वाली 6 मीटर से 15 मीटर व्यास तक की टीबीएम बनाने का है। बीईएमएल फस्र्ट फेज में 6.5 मीटर व्यास की टीबीएम पर काम शुरू कर सकती है और इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के सहयोग लिया जाएगा। भारत का मेट्रो नेटवर्क अब 1,013 किमी से अधिक लंबा हो चुका है और 23 शहरों में फैला है। 2025-26 के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट्स का बजट 34,807 करोड़ है, जो 2013-14 की तुलना में छह गुना अधिक है। फिलहाल बीईएमएल ने डिजाइन कंसल्टेंसी के लिए टेंडर जारी किए हैं। इसके तहत कन्सल्टेंसी को प्रोजेक्ट की भूगर्भीय और तकनीकी परिस्थितियों, टनल डिजाइन, प्रॉडक्शन टार्गेट और रिस्क का आकलन करना होगा। इसके आधार पर ईपीबी, स्लरी, हार्ड रॉक या ड्यूअल मोड टीबीएम चुनी जाएगी। बीईएमएल का कहना है कि नई टीबीएम को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि सेटलमेंट इम्पैक्ट कम हो, शोर और वाइब्रेशन घटे और तंग मोड़ वाली शहरी परिस्थितियों में भी काम कर सके। साथ ही आफ्टर-सेल्स सेवा के लिए कंपनी का देशव्यापी नेटवर्क उपलब्ध रहेगा। बीईएमएल इससे पहले भी 2009 में फ्रांस की एनएफएम टेक्नोलॉजीज के साथ टीबीएम बनाने का समझौता कर चुकी थी, लेकिन यह 2018 में यह प्रॉजेक्ट बंद हो गया। वर्तमान में भारत मुख्यत: जर्मनी की हेरेनखनक्ट, ऑस्ट्रेलिया की टेराटेक, चीन की सीआरसीएचआइ और एसटीईसी, तथा जापान की कोमात्सु पर निर्भर है। भारत अर्थमूवर देश में चार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बेंगलुरु, कोलार गोल्ड फील्ड्स, मैसूर (कर्नाटक) और पलकाड (केरल) में चला रही है। बीईएमएल मुख्य रूप से माइनिंग एंड कन्स्ट्रक्शन, डिफेन्स एंड एयरोस्पेस, और रेल एंड मेट्रो सेगमेंट में काम करती है।