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02-08-2025

चायना इफेक्ट : नेपाल में 76 परसेंट हो गई ईवी का न्यू सेल्स में शेयर

  •  काठमांडू की संकरी सडक़ें - पैदल चलने वालों और रिक्शों के लिए बनी हैं लेकिन गाडिय़ों की रेलमपेल मची है। बाइक, मिनी ट्रक और टैक्सियां हॉर्न और धुएं से घाटी को भर देती हैं। इसके 30 लाख से अधिक निवासियों के लिए, पैदल चलना ना केवल खतरनाक बल्कि आंखों में चुभने वाला अनुभव हो गया है। लेकिन हाल ही में, एक नए प्रकार की मोटर ने भीड़ को कम करना शुरू कर दिया है। इलेक्ट्रिक वाहन शांति से चलते हैं। लेटेस्ट मॉडलों से चमकते शोरूम का बिजनस तेज ग्रोथ पर है। हाईवे पर चार्जिंग स्टेशन ड्राइवरों के लिए कैफे के साथ विश्राम स्थलों में बदल गए हैं। पिछले एक साल में, नेपाल में बेचे गए सभी यात्री वाहनों में ईवी का हिस्सा 76 परसेंट और एलसीवी का आधा हिस्सा था। पांच साल पहले, यह संख्या करीब •ाीरो ही थी। नेपाल में ईवी का मार्केट शेयर अब केवल कुछ देशों से पीछे है, जिनमें नॉर्वे, सिंगापुर और इथियोपिया शामिल हैं। 2024 में सभी देशों के लिए औसत 20 परसेंट था। बदलाव का यह तेज ट्रेंड नेपाल की जलविद्युत कैपेसिटी के कारण है। इससे पानी से बन रही सरप्लस बिजली का सही इस्तेमाल हो रहा है साथ ही महंगे इंपोर्टेड तेल पर निर्भरता घट रही है। दोनों के मिले जुले नतीजे से काठमांडू जैसे शहर में ग्रीन गाडिय़ों की तेज हवा बह रही है। हालांकि इसमें नेपाल सरकार की पॉलिसी का भी बड़ा योगदान है। नेपाल में बह रही इस ग्रीन हवा को नेपाल के पड़ोसी चीन से हवा मिल रही है। जो दुनिया का सबसे बड़ा ईवी मैन्युफैक्चरर होने के साथ ही सबसे बड़ा ईवी बैटरी मैन्युफैक्चरर भी है। नेपाल कस्टम्स के डीजी महेश भट्टराई ने कहा, हमारे लिए, ईवी का उपयोग फायदे का सौदा है। ग्लोबल मार्केट में चीनी ईवी का दबदबा बढ़ रहा है। नेपाल में भी यही हो रहा है। यह अमेरिका और यूरोप की पॉलिसी के उलट है। क्योंकि इन देशों ने अपने घरेलू ऑटो उद्योगों की रक्षा के लिए चीनी ईवी को बैन सा कर दिया है। यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट के प्रमुख ने कहा हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन उभरते बाजारों में यह तेज ग्रोथ विकसित बाजारों के रास्ते पर ना चले। लेकिन नेपाल  की अपनी सीमा है। देश ने सब्सिडी पर भारी खर्च किया है, और यह सब्सिडी बंद होने से यह ग्रीन शिफ्ट पटरी से उतर सकता है। यहां तक कि अगर आइस कारों को फेजआउट भी कर दिया जाए तो भी तो हवा को साफ करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को भी इलेक्ट्रिक होने की आवश्यकता होगी। एशियाई विकास बैंक नेपाल के बांध, ट्रांसमिशन लाइन और चार्जिंग नेटवर्क का एक प्रमुख फाइनेंसर रहा है। लेकिन नेपाल ग्रीन शिफ्ट की ओर पहले कदम बढ़ाने के बावजूद अब इससे पांव पीछे खींच रहा है। पांच वर्ष में इसके तीन प्रधानमंत्री रहे हैं, और उनमें से हर एक के साथ प्राथमिकताएं बदल गई हैं। नेपाल के केंद्रीय बैंक ने ईवी के लिए डाउन-पेमेंट को दोगुना कर दिया है। सरकार ईवी पर अपने टैरिफ को बढ़ा रही है। और ऑटो डीलरों को चिंता है कि कुछ छोटे चीनी ब्रांडों की कमजोर क्वॉलिटी की कारें पूरी कैटेगरी को बदनाम कर सकती हैं। राजन बाबू श्रेष्ठ नेपाल में टाटा मोटर्स के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। उन्होंने अपनी ईवी की सेल्स को आसमान छूते हुए देखा है, लेकिन अगर टैरिफ बढ़ गए या चार्जिंग स्टेशनों की सब्सिडी बंद हो गई तो पेट्रोल-डीजल कारों की सेल्स में रिकवरी हो सकती है।

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चायना इफेक्ट : नेपाल में 76 परसेंट हो गई ईवी का न्यू सेल्स में शेयर

 काठमांडू की संकरी सडक़ें - पैदल चलने वालों और रिक्शों के लिए बनी हैं लेकिन गाडिय़ों की रेलमपेल मची है। बाइक, मिनी ट्रक और टैक्सियां हॉर्न और धुएं से घाटी को भर देती हैं। इसके 30 लाख से अधिक निवासियों के लिए, पैदल चलना ना केवल खतरनाक बल्कि आंखों में चुभने वाला अनुभव हो गया है। लेकिन हाल ही में, एक नए प्रकार की मोटर ने भीड़ को कम करना शुरू कर दिया है। इलेक्ट्रिक वाहन शांति से चलते हैं। लेटेस्ट मॉडलों से चमकते शोरूम का बिजनस तेज ग्रोथ पर है। हाईवे पर चार्जिंग स्टेशन ड्राइवरों के लिए कैफे के साथ विश्राम स्थलों में बदल गए हैं। पिछले एक साल में, नेपाल में बेचे गए सभी यात्री वाहनों में ईवी का हिस्सा 76 परसेंट और एलसीवी का आधा हिस्सा था। पांच साल पहले, यह संख्या करीब •ाीरो ही थी। नेपाल में ईवी का मार्केट शेयर अब केवल कुछ देशों से पीछे है, जिनमें नॉर्वे, सिंगापुर और इथियोपिया शामिल हैं। 2024 में सभी देशों के लिए औसत 20 परसेंट था। बदलाव का यह तेज ट्रेंड नेपाल की जलविद्युत कैपेसिटी के कारण है। इससे पानी से बन रही सरप्लस बिजली का सही इस्तेमाल हो रहा है साथ ही महंगे इंपोर्टेड तेल पर निर्भरता घट रही है। दोनों के मिले जुले नतीजे से काठमांडू जैसे शहर में ग्रीन गाडिय़ों की तेज हवा बह रही है। हालांकि इसमें नेपाल सरकार की पॉलिसी का भी बड़ा योगदान है। नेपाल में बह रही इस ग्रीन हवा को नेपाल के पड़ोसी चीन से हवा मिल रही है। जो दुनिया का सबसे बड़ा ईवी मैन्युफैक्चरर होने के साथ ही सबसे बड़ा ईवी बैटरी मैन्युफैक्चरर भी है। नेपाल कस्टम्स के डीजी महेश भट्टराई ने कहा, हमारे लिए, ईवी का उपयोग फायदे का सौदा है। ग्लोबल मार्केट में चीनी ईवी का दबदबा बढ़ रहा है। नेपाल में भी यही हो रहा है। यह अमेरिका और यूरोप की पॉलिसी के उलट है। क्योंकि इन देशों ने अपने घरेलू ऑटो उद्योगों की रक्षा के लिए चीनी ईवी को बैन सा कर दिया है। यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट के प्रमुख ने कहा हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन उभरते बाजारों में यह तेज ग्रोथ विकसित बाजारों के रास्ते पर ना चले। लेकिन नेपाल  की अपनी सीमा है। देश ने सब्सिडी पर भारी खर्च किया है, और यह सब्सिडी बंद होने से यह ग्रीन शिफ्ट पटरी से उतर सकता है। यहां तक कि अगर आइस कारों को फेजआउट भी कर दिया जाए तो भी तो हवा को साफ करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को भी इलेक्ट्रिक होने की आवश्यकता होगी। एशियाई विकास बैंक नेपाल के बांध, ट्रांसमिशन लाइन और चार्जिंग नेटवर्क का एक प्रमुख फाइनेंसर रहा है। लेकिन नेपाल ग्रीन शिफ्ट की ओर पहले कदम बढ़ाने के बावजूद अब इससे पांव पीछे खींच रहा है। पांच वर्ष में इसके तीन प्रधानमंत्री रहे हैं, और उनमें से हर एक के साथ प्राथमिकताएं बदल गई हैं। नेपाल के केंद्रीय बैंक ने ईवी के लिए डाउन-पेमेंट को दोगुना कर दिया है। सरकार ईवी पर अपने टैरिफ को बढ़ा रही है। और ऑटो डीलरों को चिंता है कि कुछ छोटे चीनी ब्रांडों की कमजोर क्वॉलिटी की कारें पूरी कैटेगरी को बदनाम कर सकती हैं। राजन बाबू श्रेष्ठ नेपाल में टाटा मोटर्स के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। उन्होंने अपनी ईवी की सेल्स को आसमान छूते हुए देखा है, लेकिन अगर टैरिफ बढ़ गए या चार्जिंग स्टेशनों की सब्सिडी बंद हो गई तो पेट्रोल-डीजल कारों की सेल्स में रिकवरी हो सकती है।


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