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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-09-2024

स्मॉल कारों की सेल्स Crash होते ही मारुति को याद आई ‘एफोर्डेबिलिटी’!

  •  देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के संबंध इन दिनों संभवतया सब कुछ ठीक चलता प्रतीत नहीं हो रहा है क्योंकि हाल ही में कंपनी ने अपनी स्ट्रेटेजी में यू-टर्न लेते हुए बड़े लंबे समय बाद स्मॉल कार सेगमेंट में अपने 2 मॉडल्स- एल्टो के-10 व एस-प्रेसो- की प्राइस में 6500 रुपए तक की कमी करने की घोषणा की। ध्यान रहे कि कंपनी हर वर्ष अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो की प्राइस में बढ़ोतरी करती है जिसके कारणों में रॉ-मैटेरियल कॉस्ट में बढ़ोतरी से लेकर रेग्यूलेटरी कंप्लायंस रिलेटेड कॉस्ट का बढऩा भी बताया जाता रहा है पर पिछले कई महीनों से कंपनी के स्मॉल कार सेगमेंट की सेल्स में गिरावट का ट्रेंड जारी रहने के बाद मारुति सुजुकी को अब ‘एफार्डेबिलिटी’ की याद संभवतया आने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी ने उक्त मॉडल्स की प्राइस में कटौती के बारे में यह तर्क दिया है कि एफोर्डेबिलिटी इंडेक्स बढ़ते ही इन कारों की डिमांड फिर से रिवाइव हो सकती है। गौरतलब है कि कंपनी की स्मॉल कारों की स्थिति मार्केट में उन पर ऑफर किए जा रहे डिस्काउंट्स व अन्य स्कीमों के बावजूद लगातार कमजोर होती जा रही है। एल्टो के-10 व एस-प्रेसो की सेल्स से इस स्थिति को समझने का प्रयास करें तो जनवरी-जुलाई 2024 में इन दोनों मॉडल्स की कुल 83236 यूनिट्स ही बिकी जो जनवरी-जुलाई 2023 में बिकी 108893 यूनिट्स से 25000 यूनिट्स कम है। उल्लेखनीय है कि इन दोनों ही मॉडल्स की कुल सेल्स में पिछले 4 वर्षों (जनवरी-जुलाई) के दौरान लगातार बड़ी गिरावट देखी जा रही है। डीलर्स के स्तर पर भी संभवतया इन मॉडल्स को लेकर खासा दबाव हो सकता है जिसके कारण मारुति को इनकी प्राइस में कटौती का फैसला करना पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी-जुलाई 2022 में एरीना के प्रत्येक आउटलेट पर इन दोनों मॉडल्स को मिलाकर कुल एवरेज 48 यूनिट बिकी थी जो जनवरी-जुलाई 2024 पीरियड में घटकर 28 ही रह गई है। सीधे शब्दों में समझा जाए तो जनवरी-जुलाई 2024 में एरीना नेटवर्क के तहत कुल 2987 आउटलेट्स (31 मार्च 2024 को) में से प्रत्येक आउटलेट पर प्रत्येक 7 दिनों में इन दोनों मॉडल्स की एवरेज 1 यूनिट ही बिक पाई है। मारुति सुजुकी के लिए एक दौर ऐसा था जब कहा जाता था कि कंपनी इंडियन कंज्यूमर की नब्ज़ को भली-भांति समझती है परंतु पिछले कुछ समय में फ्लॉप साबित हुई लाइफस्टाइल एसयूवी जिम्नी, इनविक्टो जैसी प्रीमियम कारें बेचने में असफलता, एसयूवी सेगमेंट में कंपीटिटर्स के मॉडल्स की काफी अधिक सेल्स व स्मॉल कारों की सेल्स बढऩा तो दूर उन्हें मेंटेन भी नहीं कर पाने जैसे फेक्टरों ने कार सेगमेंट की मार्केट लीडर मारुति सुजुकी की कस्टमर को ‘समझने’ की स्थिति को पलट दिया है। कंपनी द्वारा एल्टो के-10 व एस-प्रेसो पर ऑफर किए जा रहे बड़े डिस्काउंट्स के बावजूद उनकी प्राइस में कमी करने के फैसले का इंडिकेशन या तो यह है कि डीलर्स के यहां इनकी इंवेंट्री काफी अधिक है या फिर स्मॉल कारों की लगातार घटती सेल्स ने कंपनी को अपनी स्ट्रेटेजी पर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

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स्मॉल कारों की सेल्स Crash होते ही मारुति को याद आई ‘एफोर्डेबिलिटी’!

 देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के संबंध इन दिनों संभवतया सब कुछ ठीक चलता प्रतीत नहीं हो रहा है क्योंकि हाल ही में कंपनी ने अपनी स्ट्रेटेजी में यू-टर्न लेते हुए बड़े लंबे समय बाद स्मॉल कार सेगमेंट में अपने 2 मॉडल्स- एल्टो के-10 व एस-प्रेसो- की प्राइस में 6500 रुपए तक की कमी करने की घोषणा की। ध्यान रहे कि कंपनी हर वर्ष अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो की प्राइस में बढ़ोतरी करती है जिसके कारणों में रॉ-मैटेरियल कॉस्ट में बढ़ोतरी से लेकर रेग्यूलेटरी कंप्लायंस रिलेटेड कॉस्ट का बढऩा भी बताया जाता रहा है पर पिछले कई महीनों से कंपनी के स्मॉल कार सेगमेंट की सेल्स में गिरावट का ट्रेंड जारी रहने के बाद मारुति सुजुकी को अब ‘एफार्डेबिलिटी’ की याद संभवतया आने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी ने उक्त मॉडल्स की प्राइस में कटौती के बारे में यह तर्क दिया है कि एफोर्डेबिलिटी इंडेक्स बढ़ते ही इन कारों की डिमांड फिर से रिवाइव हो सकती है। गौरतलब है कि कंपनी की स्मॉल कारों की स्थिति मार्केट में उन पर ऑफर किए जा रहे डिस्काउंट्स व अन्य स्कीमों के बावजूद लगातार कमजोर होती जा रही है। एल्टो के-10 व एस-प्रेसो की सेल्स से इस स्थिति को समझने का प्रयास करें तो जनवरी-जुलाई 2024 में इन दोनों मॉडल्स की कुल 83236 यूनिट्स ही बिकी जो जनवरी-जुलाई 2023 में बिकी 108893 यूनिट्स से 25000 यूनिट्स कम है। उल्लेखनीय है कि इन दोनों ही मॉडल्स की कुल सेल्स में पिछले 4 वर्षों (जनवरी-जुलाई) के दौरान लगातार बड़ी गिरावट देखी जा रही है। डीलर्स के स्तर पर भी संभवतया इन मॉडल्स को लेकर खासा दबाव हो सकता है जिसके कारण मारुति को इनकी प्राइस में कटौती का फैसला करना पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी-जुलाई 2022 में एरीना के प्रत्येक आउटलेट पर इन दोनों मॉडल्स को मिलाकर कुल एवरेज 48 यूनिट बिकी थी जो जनवरी-जुलाई 2024 पीरियड में घटकर 28 ही रह गई है। सीधे शब्दों में समझा जाए तो जनवरी-जुलाई 2024 में एरीना नेटवर्क के तहत कुल 2987 आउटलेट्स (31 मार्च 2024 को) में से प्रत्येक आउटलेट पर प्रत्येक 7 दिनों में इन दोनों मॉडल्स की एवरेज 1 यूनिट ही बिक पाई है। मारुति सुजुकी के लिए एक दौर ऐसा था जब कहा जाता था कि कंपनी इंडियन कंज्यूमर की नब्ज़ को भली-भांति समझती है परंतु पिछले कुछ समय में फ्लॉप साबित हुई लाइफस्टाइल एसयूवी जिम्नी, इनविक्टो जैसी प्रीमियम कारें बेचने में असफलता, एसयूवी सेगमेंट में कंपीटिटर्स के मॉडल्स की काफी अधिक सेल्स व स्मॉल कारों की सेल्स बढऩा तो दूर उन्हें मेंटेन भी नहीं कर पाने जैसे फेक्टरों ने कार सेगमेंट की मार्केट लीडर मारुति सुजुकी की कस्टमर को ‘समझने’ की स्थिति को पलट दिया है। कंपनी द्वारा एल्टो के-10 व एस-प्रेसो पर ऑफर किए जा रहे बड़े डिस्काउंट्स के बावजूद उनकी प्राइस में कमी करने के फैसले का इंडिकेशन या तो यह है कि डीलर्स के यहां इनकी इंवेंट्री काफी अधिक है या फिर स्मॉल कारों की लगातार घटती सेल्स ने कंपनी को अपनी स्ट्रेटेजी पर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है।


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