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02-05-2025

देवदारु है आयुर्वेदिक गुणों का खजाना

  •  देवदारु हिमालय की वादियों में पाया जाने वाला एक विशाल वृक्ष है। यह न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके औषधीय, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ भी इसे अनमोल बनाते हैं। हाल के समय में आयुर्वेद के बढ़ते महत्व के बीच देवदारु ने विशेष तौर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। देवदारु को ‘देवताओं की लकड़ी’ के रूप में जाना जाता है। इस पौधे के सभी भागों का उपयोग विभिन्न औषधीय लाभों के लिए किया जाता है। भारत में यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम जैसे राज्यों में उगता है और इसकी ऊंचाई 40-60 मीटर तक हो सकती है। इसकी शंकुधारी पत्तियां और सुगंधित लकड़ी इसे विशिष्ट बनाती हैं। हिंदू धर्म में देवदारु को पवित्र माना जाता है। पुराणों में इसे भगवान शिव से जोड़ा जाता है और कई धार्मिक स्थलों पर इसके वृक्ष लगाए जाते हैं। इसकी शीतल छाया और सुगंधित वातावरण ध्यान और योग के लिए बेहतर माहौल प्रदान करते हैं। आयुर्वेद में देवदारु का विशेष स्थान है। इसकी छाल, पत्तियां, तेल और राल का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, देवदारु में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसका तेल जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों की अकडऩ को कम करने में प्रभावी है। इसके अलावा यह त्वचा रोगों में भी उपयोगी है। देवदारु जुकाम-खांसी के समय शरीर से अतिरिक्त कफ को भी बाहर निकालने में मदद करता है। इस गुण के कारण रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से बलगम को निकालकर खांसी जैसे कफ विकार रोगों से राहत दिलाने में मदद करता है। देवदारु का सेवन करने कफ को संतुलित करने और फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जिससे यह अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस फूलने की स्थिति में राहत देता है। अस्थमा जैसे श्वास रोग में देवदारु का सेवन रामबाण इलाज है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण गठिया से संबंधित सूजन और दर्द जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए इसे जोड़ों पर लगाया जा सकता है। देवदारु तेल को इसके एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण घाव भरने के लिए घावों पर भी लगाया जा सकता है। अपनी त्वचा पर देवदारु के पत्ते का पेस्ट लगाने से त्वचा के संक्रमण के साथ-साथ इसके एंटीफंगल गुण के कारण खुजली को रोकने में भी मदद मिल सकती है। देवदारु मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा हो सकता है और मन को शांत करने में भी मदद करता है। इसके उपयोग से नींद के पैटर्न को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है, जिससे अनिद्रा की शिकायत दूर होती है। वहीं, झुर्रियां, शुष्क त्वचा को भी देवदारु का तेल नियंत्रित करता है और त्वचा में नमी की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। 

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देवदारु है आयुर्वेदिक गुणों का खजाना

 देवदारु हिमालय की वादियों में पाया जाने वाला एक विशाल वृक्ष है। यह न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके औषधीय, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ भी इसे अनमोल बनाते हैं। हाल के समय में आयुर्वेद के बढ़ते महत्व के बीच देवदारु ने विशेष तौर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। देवदारु को ‘देवताओं की लकड़ी’ के रूप में जाना जाता है। इस पौधे के सभी भागों का उपयोग विभिन्न औषधीय लाभों के लिए किया जाता है। भारत में यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम जैसे राज्यों में उगता है और इसकी ऊंचाई 40-60 मीटर तक हो सकती है। इसकी शंकुधारी पत्तियां और सुगंधित लकड़ी इसे विशिष्ट बनाती हैं। हिंदू धर्म में देवदारु को पवित्र माना जाता है। पुराणों में इसे भगवान शिव से जोड़ा जाता है और कई धार्मिक स्थलों पर इसके वृक्ष लगाए जाते हैं। इसकी शीतल छाया और सुगंधित वातावरण ध्यान और योग के लिए बेहतर माहौल प्रदान करते हैं। आयुर्वेद में देवदारु का विशेष स्थान है। इसकी छाल, पत्तियां, तेल और राल का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, देवदारु में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसका तेल जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों की अकडऩ को कम करने में प्रभावी है। इसके अलावा यह त्वचा रोगों में भी उपयोगी है। देवदारु जुकाम-खांसी के समय शरीर से अतिरिक्त कफ को भी बाहर निकालने में मदद करता है। इस गुण के कारण रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से बलगम को निकालकर खांसी जैसे कफ विकार रोगों से राहत दिलाने में मदद करता है। देवदारु का सेवन करने कफ को संतुलित करने और फेफड़ों से अतिरिक्त बलगम को बाहर निकालने में मदद मिलती है। जिससे यह अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस फूलने की स्थिति में राहत देता है। अस्थमा जैसे श्वास रोग में देवदारु का सेवन रामबाण इलाज है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण गठिया से संबंधित सूजन और दर्द जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए इसे जोड़ों पर लगाया जा सकता है। देवदारु तेल को इसके एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण घाव भरने के लिए घावों पर भी लगाया जा सकता है। अपनी त्वचा पर देवदारु के पत्ते का पेस्ट लगाने से त्वचा के संक्रमण के साथ-साथ इसके एंटीफंगल गुण के कारण खुजली को रोकने में भी मदद मिल सकती है। देवदारु मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा हो सकता है और मन को शांत करने में भी मदद करता है। इसके उपयोग से नींद के पैटर्न को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है, जिससे अनिद्रा की शिकायत दूर होती है। वहीं, झुर्रियां, शुष्क त्वचा को भी देवदारु का तेल नियंत्रित करता है और त्वचा में नमी की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। 


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