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28-05-2025

फॉरेन डोनेशन पाने वाले एनजीओ प्रकाशित नहीं कर सकेंगे अखबार

  •  केंद्र ने कहा है कि प्रकाशन संबंधी गतिविधियों में लगे और विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कोई समाचार पत्र प्रकाशित नहीं कर सकेंगे और उन्हें भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से यह प्रमाण पत्र लेना होगा कि वे कोई समाचार सामग्री प्रसारित नहीं करते हैं। केंद्र ने कहा है कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण चाहने वाले एनजीओ को नए नियमों का पालन करना होगा। गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि उसने एफसीआरए के तहत बनाए गए नियमों में संशोधन किया है और अब से विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति मांगने वाले एनजीओ को यह हलफनामा देना होगा कि वे वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के अच्छे आचरण संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। एफएटीएफ आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन पर ग्लोबल निगरानी संस्था है। गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसे निकाय या गैर सरकारी संगठन, जो पंजीकरण चाहते हैं, उन्हें पिछले तीन वित्तीय वर्षों के वित्तीय विवरण और लेखा परीक्षा रिपोर्ट संलग्न करनी होगी, जिसमें परिसंपत्तियों और देनदारियों का विवरण, प्राप्तियां और भुगतान खाता, तथा आय और व्यय खाता शामिल होगा। यदि लेखापरीक्षा रिपोर्ट और वित्तीय विवरण में पिछले तीन वित्तीय वर्षों के गतिविधि-वार व्यय शामिल नहीं हैं, तो एनजीओ द्वारा गतिविधि-वार व्यय की गई राशि को निर्दिष्ट करने वाला चार्टर्ड अकाउंटेंट का प्रमाण पत्र, आय और व्यय खाते और प्राप्ति और भुगतान खाते के साथ विधिवत मिलान किया जाना चाहिए। यदि एसोसिएशन या एनजीओ प्रकाशन संबंधी गतिविधियों में शामिल है या यदि प्रकाशन गतिविधियां इसके उद्देश्यों में शामिल हैं, जैसा कि एसोसिएशन के ‘मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन’ या ट्रस्ट डीड में कहा गया है, तो एफसीआरए, 2010 के अनुपालन के संबंध में मुख्य पदाधिकारी से एक शपथ पत्र अवश्य लिया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने कहा कि यदि एसोसिएशन का प्रकाशन भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के पास पंजीकृत है, तो उसे भारत के समाचारपत्रों पंजीयक से ‘‘समाचारपत्र नहीं’’ होने संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि एनजीओ पहले एफसीआरए के तहत पंजीकृत था, तो उसे पंजीकरण प्रमाणपत्र की समाप्ति या रद्द होने के बाद विदेशी अंशदान की प्राप्ति और उपयोग के संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा। इसमें कहा गया है कि यदि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में लक्ष्यों और उद्देश्यों पर व्यय 15 लाख रुपये से कम है, तो पूंजी निवेश को शामिल करने के संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सरकार ने शर्त रखी है कि जो गैर सरकारी संगठन विदेशी अंशदान प्राप्त करने की अनुमति चाहते हैं, उन्हें दानकर्ता से एक प्रतिबद्धता पत्र संलग्न करना होगा, जिसमें पत्र में दी गई प्रतिबद्धता राशि दान की राशि से मेल खानी चाहिये। परियोजना रिपोर्ट का भी जिक्र करना होगा, जिसमें विदेशी अंशदान से होने वाले प्रस्तावित व्यय का विस्तृत ब्योरा शामिल होगा, तथा यह घोषणा भी होगी कि प्रशासनिक व्यय विदेशी अंशदान के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। विदेशी धन प्राप्त करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों को अनिवार्य रूप से एफसीआरए के तहत पंजीकृत कराना होगा और ऐसे धन का इस्तेमाल केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए करना होगा, जिनके लिए इसे प्राप्त किया है। सरकार ने कहा है कि विदेशी अंशदान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले किसी भी संगठन के पास एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम होना चाहिए।

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फॉरेन डोनेशन पाने वाले एनजीओ प्रकाशित नहीं कर सकेंगे अखबार

 केंद्र ने कहा है कि प्रकाशन संबंधी गतिविधियों में लगे और विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कोई समाचार पत्र प्रकाशित नहीं कर सकेंगे और उन्हें भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से यह प्रमाण पत्र लेना होगा कि वे कोई समाचार सामग्री प्रसारित नहीं करते हैं। केंद्र ने कहा है कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण चाहने वाले एनजीओ को नए नियमों का पालन करना होगा। गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि उसने एफसीआरए के तहत बनाए गए नियमों में संशोधन किया है और अब से विदेशी धन प्राप्त करने की अनुमति मांगने वाले एनजीओ को यह हलफनामा देना होगा कि वे वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के अच्छे आचरण संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। एफएटीएफ आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन पर ग्लोबल निगरानी संस्था है। गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसे निकाय या गैर सरकारी संगठन, जो पंजीकरण चाहते हैं, उन्हें पिछले तीन वित्तीय वर्षों के वित्तीय विवरण और लेखा परीक्षा रिपोर्ट संलग्न करनी होगी, जिसमें परिसंपत्तियों और देनदारियों का विवरण, प्राप्तियां और भुगतान खाता, तथा आय और व्यय खाता शामिल होगा। यदि लेखापरीक्षा रिपोर्ट और वित्तीय विवरण में पिछले तीन वित्तीय वर्षों के गतिविधि-वार व्यय शामिल नहीं हैं, तो एनजीओ द्वारा गतिविधि-वार व्यय की गई राशि को निर्दिष्ट करने वाला चार्टर्ड अकाउंटेंट का प्रमाण पत्र, आय और व्यय खाते और प्राप्ति और भुगतान खाते के साथ विधिवत मिलान किया जाना चाहिए। यदि एसोसिएशन या एनजीओ प्रकाशन संबंधी गतिविधियों में शामिल है या यदि प्रकाशन गतिविधियां इसके उद्देश्यों में शामिल हैं, जैसा कि एसोसिएशन के ‘मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन’ या ट्रस्ट डीड में कहा गया है, तो एफसीआरए, 2010 के अनुपालन के संबंध में मुख्य पदाधिकारी से एक शपथ पत्र अवश्य लिया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने कहा कि यदि एसोसिएशन का प्रकाशन भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के पास पंजीकृत है, तो उसे भारत के समाचारपत्रों पंजीयक से ‘‘समाचारपत्र नहीं’’ होने संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि एनजीओ पहले एफसीआरए के तहत पंजीकृत था, तो उसे पंजीकरण प्रमाणपत्र की समाप्ति या रद्द होने के बाद विदेशी अंशदान की प्राप्ति और उपयोग के संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा। इसमें कहा गया है कि यदि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में लक्ष्यों और उद्देश्यों पर व्यय 15 लाख रुपये से कम है, तो पूंजी निवेश को शामिल करने के संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सरकार ने शर्त रखी है कि जो गैर सरकारी संगठन विदेशी अंशदान प्राप्त करने की अनुमति चाहते हैं, उन्हें दानकर्ता से एक प्रतिबद्धता पत्र संलग्न करना होगा, जिसमें पत्र में दी गई प्रतिबद्धता राशि दान की राशि से मेल खानी चाहिये। परियोजना रिपोर्ट का भी जिक्र करना होगा, जिसमें विदेशी अंशदान से होने वाले प्रस्तावित व्यय का विस्तृत ब्योरा शामिल होगा, तथा यह घोषणा भी होगी कि प्रशासनिक व्यय विदेशी अंशदान के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। विदेशी धन प्राप्त करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों को अनिवार्य रूप से एफसीआरए के तहत पंजीकृत कराना होगा और ऐसे धन का इस्तेमाल केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए करना होगा, जिनके लिए इसे प्राप्त किया है। सरकार ने कहा है कि विदेशी अंशदान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले किसी भी संगठन के पास एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम होना चाहिए।


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