TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

27-05-2025

सेवाओं, रक्षा, रॉयल्टी से राजस्व जोडऩे पर अमेरिका को 35-40 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष: जीटीआरआई

  •  आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ वस्तु व्यापार में 44.4 अरब डॉलर का घाटा होने के बावजूद अमेरिका शिक्षा, डिजिटल सेवाओं, वित्तीय गतिविधियों, रॉयल्टी और हथियारों के व्यापार से हासिल राजस्व को जोडऩे पर 35-40 अरब डॉलर के अधिशेष की स्थिति में है। जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका के पक्ष में कुल व्यापार अधिशेष होने की स्थिति भारत को व्यापार समझौते पर जारी बातचीत में आत्मविश्वास के साथ आगे बढऩे, घाटा बढऩे के दावों का कड़ा विरोध करने और निष्पक्ष एवं संतुलित शर्तों की मांग करने की हर वजह देती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर इस व्यापार अंतर का जिक्र किया है, जिसमें भारत पर व्यापार से अनुचित लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है। अमेरिका घाटे के आंकड़ों का इस्तेमाल भारत को शुल्क कम करने और अपना बाजार खोलने को मजबूर करने के लिए भी कर रहा है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार में घाटे की अमेरिकी कहानी भ्रामक और अधूरी है। असलियत यह है कि अमेरिका शिक्षा, डिजिटल सेवाओं, वित्तीय संचालन, बौद्धिक संपदा रॉयल्टी और हथियारों की बिक्री के माध्यम से भारत से हर साल चुपचाप 80-85 अरब डॉलर कमाता है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘ये भारी कमाई संकीर्ण वस्तु व्यापार के आंकड़ों में नहीं दिखती है। जब आप उन्हें कारक मानते हैं, तो अमेरिका भारत के साथ बिल्कुल भी घाटे की स्थिति में नहीं है। असल में यह 35-40 अरब डॉलर अधिशेष की स्थिति में है।’’श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के लिए उन क्षेत्रों में व्यापक रियायतें देने का कोई कारण नहीं है जिनका व्यापार संतुलन से कोई लेना-देना नहीं है, खासकर जब ये रियायतें भारतीय बाजार से अमेरिका की पहले से ही प्रमुख आय को और बढ़ाएंगी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 186 अरब डॉलर रहा।  जीटीआरआई के मुताबिक, अमेरिका के लिए भारत से कमाई का सबसे बड़ा जरिया उच्च शिक्षा क्षेत्र है। अमेरिका में पढऩे वाले भारतीय छात्र हर साल 25 अरब डॉलर से अधिक खर्च करते हैं, जिसमें से लगभग 15 अरब डॉलर पढ़ाई और 10 अरब डॉलर रहने-खाने पर खर्च होते हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को अमेरिकी रक्षा उत्पादों की बिक्री से भी अरबों डॉलर मिलते हैं। हालांकि, रक्षा बिक्री के सटीक आंकड़े गोपनीयता के कारण अक्सर सामने नहीं आ पाते हैं। इसके अलावा गूगल, मेटा, अमेजन, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियां भी भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल बाजार में बिक्री के जरिये सालाना 15-20 अरब डॉलर की कमाई करती हैं।

Share
सेवाओं, रक्षा, रॉयल्टी से राजस्व जोडऩे पर अमेरिका को 35-40 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष: जीटीआरआई

 आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ वस्तु व्यापार में 44.4 अरब डॉलर का घाटा होने के बावजूद अमेरिका शिक्षा, डिजिटल सेवाओं, वित्तीय गतिविधियों, रॉयल्टी और हथियारों के व्यापार से हासिल राजस्व को जोडऩे पर 35-40 अरब डॉलर के अधिशेष की स्थिति में है। जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका के पक्ष में कुल व्यापार अधिशेष होने की स्थिति भारत को व्यापार समझौते पर जारी बातचीत में आत्मविश्वास के साथ आगे बढऩे, घाटा बढऩे के दावों का कड़ा विरोध करने और निष्पक्ष एवं संतुलित शर्तों की मांग करने की हर वजह देती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर इस व्यापार अंतर का जिक्र किया है, जिसमें भारत पर व्यापार से अनुचित लाभ उठाने का आरोप लगाया गया है। अमेरिका घाटे के आंकड़ों का इस्तेमाल भारत को शुल्क कम करने और अपना बाजार खोलने को मजबूर करने के लिए भी कर रहा है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार में घाटे की अमेरिकी कहानी भ्रामक और अधूरी है। असलियत यह है कि अमेरिका शिक्षा, डिजिटल सेवाओं, वित्तीय संचालन, बौद्धिक संपदा रॉयल्टी और हथियारों की बिक्री के माध्यम से भारत से हर साल चुपचाप 80-85 अरब डॉलर कमाता है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘ये भारी कमाई संकीर्ण वस्तु व्यापार के आंकड़ों में नहीं दिखती है। जब आप उन्हें कारक मानते हैं, तो अमेरिका भारत के साथ बिल्कुल भी घाटे की स्थिति में नहीं है। असल में यह 35-40 अरब डॉलर अधिशेष की स्थिति में है।’’श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के लिए उन क्षेत्रों में व्यापक रियायतें देने का कोई कारण नहीं है जिनका व्यापार संतुलन से कोई लेना-देना नहीं है, खासकर जब ये रियायतें भारतीय बाजार से अमेरिका की पहले से ही प्रमुख आय को और बढ़ाएंगी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 186 अरब डॉलर रहा।  जीटीआरआई के मुताबिक, अमेरिका के लिए भारत से कमाई का सबसे बड़ा जरिया उच्च शिक्षा क्षेत्र है। अमेरिका में पढऩे वाले भारतीय छात्र हर साल 25 अरब डॉलर से अधिक खर्च करते हैं, जिसमें से लगभग 15 अरब डॉलर पढ़ाई और 10 अरब डॉलर रहने-खाने पर खर्च होते हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत को अमेरिकी रक्षा उत्पादों की बिक्री से भी अरबों डॉलर मिलते हैं। हालांकि, रक्षा बिक्री के सटीक आंकड़े गोपनीयता के कारण अक्सर सामने नहीं आ पाते हैं। इसके अलावा गूगल, मेटा, अमेजन, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियां भी भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल बाजार में बिक्री के जरिये सालाना 15-20 अरब डॉलर की कमाई करती हैं।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news