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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

30-05-2025

इंडियन कंपनियां कैपेक्स बढ़ाएं, प्रॉफिट के अनुरूप बढ़ाई जाए सैलेरी भी

  •  मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने 6.5 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि करने और वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारतीय कंपनियों से अपना कैपेक्स बढ़ाने और लाभप्रदता वृद्धि के अनुरूप कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को कहा। नागेश्वरन ने ‘निवेश के पुण्य चक्र’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बढ़े हुए निवेश से न केवल क्षमता बढ़ेगी बल्कि अधिक वेतन वाली अधिक नौकरियां पैदा होंगी जिसका नतीजा बढ़ी हुई घरेलू बचत के रूप में निकलेगा। ‘निवेश का पुण्य चक्र’ एक ऐसी स्थिति है जहां निवेश से उत्पन्न सकारात्मक परिणाम आगे के निवेश को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे एक आत्मनिर्भर और लगातार बढ़ती हुई आर्थिक वृद्धि की स्थिति बनती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं कि लाभप्रदता में वृद्धि न केवल पूंजी निर्माण में वृद्धि से अधिक हो गई है, बल्कि लाभ कमाने की क्षमता में वृद्धि ने वेतन वृद्धि और भर्तियों को भी पीछे छोड़ दिया है। यह कुछ ऐसी स्थिति है जिसे हम अगले 25 या 30 वर्षों तक नहीं झेल सकते हैं।’’ उन्होंने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि इस तरह की चुनौती का सामना आमतौर पर विकसित देशों को करना पड़ता है, न कि भारत जैसे विकासशील देशों को। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर, भारत के निजी क्षेत्र की लाभप्रदता मार्च, 2024 तक 7.2 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढक़र 28.7 लाख करोड़ रुपये हो गई लेकिन दूसरे दशक में पूंजी निर्माण केवल तीन गुना बढ़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में, लाभप्रदता की वृद्धि दर और पूंजी निर्माण की वृद्धि दर में एक छोटा फासला रहा है। अगर हमें वास्तविक रूप से न्यूनतम 6.5 प्रतिशत की सतत वृद्धि हासिल करनी है और उच्च वृद्धि दर का लक्ष्य रखना है तो इस अंतर को कम करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही निजी क्षेत्र को पूंजी और श्रम के संतुलित उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को अगले 25 वर्षों में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र सहित क्षमता निर्माण में बहुत अधिक निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि भारत की पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू आय और बचत में स्थिर वृद्धि की जरूरत होगी जो तभी संभव हो सकता है जब उनकी आय बढ़े। नागेश्वरन ने पूंजी की बेहतर उत्पादकता के लिए विनियामक बोझ को कम करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, लेकिन इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच भरोसा पैदा करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, नियामकीय अतिक्रमण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कभी-कभी निजी क्षेत्र की ओर से उतना विश्वास न होना है। हमारी राय में नियमन कम करने का क्या स्पष्ट है, लेकिन कैसे अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।’’ उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विश्वास पर आधारित सहयोगी नजरिये की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अगले 25 वर्षों में जिस तरह की वृद्धि की उम्मीद करते हैं, उसे तब तक हासिल नहीं कर सकते, जब तक कि न केवल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच, बल्कि देश भर की सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच भी सहयोगात्मक दृष्टिकोण न हो।’’ आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि भारत ने आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.3-6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है और अच्छे मानसून, सरकारी कैपेक्स में वृद्धि, कर राहत और कम ब्याज दर के माहौल के कारण यह लंबे समय तक बरकरार रहेगी।

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इंडियन कंपनियां कैपेक्स बढ़ाएं, प्रॉफिट के अनुरूप बढ़ाई जाए सैलेरी भी

 मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने 6.5 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि करने और वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारतीय कंपनियों से अपना कैपेक्स बढ़ाने और लाभप्रदता वृद्धि के अनुरूप कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को कहा। नागेश्वरन ने ‘निवेश के पुण्य चक्र’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बढ़े हुए निवेश से न केवल क्षमता बढ़ेगी बल्कि अधिक वेतन वाली अधिक नौकरियां पैदा होंगी जिसका नतीजा बढ़ी हुई घरेलू बचत के रूप में निकलेगा। ‘निवेश का पुण्य चक्र’ एक ऐसी स्थिति है जहां निवेश से उत्पन्न सकारात्मक परिणाम आगे के निवेश को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे एक आत्मनिर्भर और लगातार बढ़ती हुई आर्थिक वृद्धि की स्थिति बनती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं कि लाभप्रदता में वृद्धि न केवल पूंजी निर्माण में वृद्धि से अधिक हो गई है, बल्कि लाभ कमाने की क्षमता में वृद्धि ने वेतन वृद्धि और भर्तियों को भी पीछे छोड़ दिया है। यह कुछ ऐसी स्थिति है जिसे हम अगले 25 या 30 वर्षों तक नहीं झेल सकते हैं।’’ उन्होंने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि इस तरह की चुनौती का सामना आमतौर पर विकसित देशों को करना पड़ता है, न कि भारत जैसे विकासशील देशों को। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर, भारत के निजी क्षेत्र की लाभप्रदता मार्च, 2024 तक 7.2 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढक़र 28.7 लाख करोड़ रुपये हो गई लेकिन दूसरे दशक में पूंजी निर्माण केवल तीन गुना बढ़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में, लाभप्रदता की वृद्धि दर और पूंजी निर्माण की वृद्धि दर में एक छोटा फासला रहा है। अगर हमें वास्तविक रूप से न्यूनतम 6.5 प्रतिशत की सतत वृद्धि हासिल करनी है और उच्च वृद्धि दर का लक्ष्य रखना है तो इस अंतर को कम करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही निजी क्षेत्र को पूंजी और श्रम के संतुलित उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को अगले 25 वर्षों में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र सहित क्षमता निर्माण में बहुत अधिक निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि भारत की पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू आय और बचत में स्थिर वृद्धि की जरूरत होगी जो तभी संभव हो सकता है जब उनकी आय बढ़े। नागेश्वरन ने पूंजी की बेहतर उत्पादकता के लिए विनियामक बोझ को कम करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, लेकिन इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच भरोसा पैदा करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, नियामकीय अतिक्रमण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कभी-कभी निजी क्षेत्र की ओर से उतना विश्वास न होना है। हमारी राय में नियमन कम करने का क्या स्पष्ट है, लेकिन कैसे अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।’’ उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विश्वास पर आधारित सहयोगी नजरिये की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अगले 25 वर्षों में जिस तरह की वृद्धि की उम्मीद करते हैं, उसे तब तक हासिल नहीं कर सकते, जब तक कि न केवल केंद्र और राज्य सरकारों के बीच, बल्कि देश भर की सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच भी सहयोगात्मक दृष्टिकोण न हो।’’ आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि भारत ने आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.3-6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है और अच्छे मानसून, सरकारी कैपेक्स में वृद्धि, कर राहत और कम ब्याज दर के माहौल के कारण यह लंबे समय तक बरकरार रहेगी।


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