कन्जम्पशन को बढ़ाने के लिये कम्पनियां नये-नये मार्केटिंग के फंडे अपनाती हैं। यह उनके लिये फायदे का सौदा हो सकता है लेकिन क्या कस्टमर के लिहाज से देखें तो फिजूलखर्ची या फिजूल की शॉपिंग करना सही है। शॉपिंग बॉस्केट को ऑनलाइन या ऑफलाइन लेवल पर नॉन इसेंशियल आइटम्स से भर लेना क्या सही है। क्या यह अपने पैसों की बर्बादी नहीं कहलायेगी? आज हम इसी पर चर्चा करेंगे कि कुछ वक्त के लिये हम यदि नॉन-इसेंशियल बाइंग पर रोक लगा लें तो इससे हमारे पर्स को कितना लाभ हो जायेगा। बचत के पैसों से हम जरूरी स्पेंडिंग कर सकते हैं। नो-बाय चैलेंज इतना कठिन भी नहीं है बस माइंडसैट को रीसैट करने की जरूरत है। एक सप्ताह, एक माह, एक क्वार्टर, छह माह, एक पूरे वर्ष, तक यदि हम इस विषय पर गौर करें तो पायेंगे कि हमने कितनी सेविंग कर ली है। ऐसा नहीं है कि हम स्पेंडिंग हैबिट को चैलेंज कर रहे हैं बल्कि हम नॉन-इसेंशियल बाइंग को चैलेंज कर रहे हैं।
इमोशनल बाइंग
कई हाउसहोल्ड्स में बजट के अनुसार एक्सपेंस प्लान किये जाते हैं लेकिन इमोशनल या इम्पल्सिव परचेज से स्वयं को नहीं रोक पाते। जब हम नो बाइंग चैलेंज को अपनायेंगे तो एक समय नेचुरली ऐसा आयेगा जब ‘कॉन्शियस स्पेंडर’ बन जायेंगे। ऐसा नहीं है कि हम एक रात में ही पूरी लाइफ को बदल डालें। छोटे और पे्रक्टीकल गोल लें। जैसे तीन माह के लिये आउटफिट नहीं खरीदेंगे, एक माह ऑनलाइन फूड ऑर्डर नहीं करेंगे। यदि एक वीक में तीन बार भी 300 रुपये की कॉफी ऑर्डर करते थे और इसे एक माह भी स्टॉप किया तो सीधे-सीधे 3,600 रुपये महिने की बचत हो जायेगी। यह मोटीवेशन के लिये शानदार कॉन्सेप्ट है। इसे सेलीबे्रशन की तरह ले सकते हैं। अब बात बचत की तो इसे साइलेंट स्पेंडिंग पर नहीं बल्कि मीनिंगफुल गोल जैसे के्रडिट कार्ड डेब्ट, इमरजेंसी फंड की टॉपिंग आदि में व्यय करें। इससे पैसे का सही उपयोग हो पायेगा। जब ऐसा करेंगे तो मन में एक अजीब सी संतुष्टि का अहसास होगा और घर में फिजूल की चीजों का अम्बार भी नहीं लगेगा। नो बाय चैलेंज शॉपिंग में कोई बाधा नहीं है बल्कि गैर जरूरी चीजों की परचेज से फ्रीडम है। जितनी भी अवधि के लिये हमने यह चैलेंज मन में असेप्ट किया है, वह पूरा हो जाने के बाद आप महसूस करेंगे कि हमारा फाइनेंशियल डिसिप्लिन सुधरा है, बचत बढ़ी है और मनी के साथ रिलेशनशिप बेहतर हुआ है। बस फिर क्या मनी के साथ हैल्दी रिलेशनशिप सैट हो गई, तो लाइफ सहजता के साथ गुजर ही जायेगी।