भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने एक स्वदेशी, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स)-सक्षम ‘सिस्टम-ऑन-चिप’ (एसओसी) को विकसित किया है, जो 4जी, 5जी और उपग्रह संचार को एक ही प्लेटफॉर्म पर सहज रूप से एकीकृत करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करेगा। ‘सिस्टम-ऑन-चिप’ (एसओसी) एकीकृत परिपथ है, जो कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के अधिकांश प्रमुख घटकों को एक ही माइक्रोचिप पर समाहित करता है। आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर किरण कुची ने बताया कि यह कॉम्पैक्ट, कम ऊर्जा और कम लागत वाला चिप पृथ्वी के लगभग हर कोने में वर्षों तक बिना बैटरी बदले विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि जहां पारंपरिक 6जी को अक्सर उच्च-गति वाले नेटवर्क के रूप में देखा जाता है, वहीं यह चिप 6जी की एक विशेष श्रेणी का प्रतिनिधित्व करता है- कम-ऊर्जा, नैरोबैंड, सेंसर-आधारित कनेक्टिविटी। उन्होंने कहा कि इस चिप के साथ पहने जा सकने वाले और पशु टैग्स स्वास्थ्य निगरानी रख सकते हैं, जिससे शुरुआती चेतावनी मिल सकेगी और मानव व पशुधन प्रबंधन सुधरेगा। जीपीएस सक्षम यह चिप संपत्ति, जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, स्कूल बैग या बच्चों पर किफायती और सुरक्षित ढंग से निगरानी कर सकती है। चिप का सफलतापूर्वक परीक्षण हो चुका है और यह मानकों के अनुरूप पाई गई है। अब इसे विभिन्न नेटवर्क में उतारा जा सकता है और बड़े पैमाने पर व्यावसायिक रूप से लागू किया जा सकता है। कुची ने कहा कि यह सफलता भारत के फैबलेस सेमीकंडक्टर मॉडल का नतीजा है। चिप भारत में डिजाइन की गई, विदेश में निर्मित हुई, लेकिन परीक्षण, पैकेजिंग और उत्पादन देश में हुआ। बौद्धिक संपदा का अधिकार भारत के पास ही रहेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत देश की चिप निर्माण क्षमताएं बढ़ेंगी, भविष्य में ऐसी चिप्स का घरेलू उत्पादन भी संभव होगा।