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15-09-2025

सरकार 6 महीने बाद अनिवार्य कर सकती है सिल्वर ज्वैलरी की हॉलमार्किंग

  •  सरकार स्वैच्छिक आधार पर शुरू की गई चांदी के आभूषणों और वस्तुओं की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया की प्रभाविता का मूल्यांकन करने के बाद इनकी हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के बारे में विचार करेगी। उपभोक्ताओं के हित में धातु की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल पहचान प्रणाली लागू की जाएगी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि हमें इसका मूल्यांकन करने के लिए कुछ समय चाहिए। छह महीने पर्याप्त होंगे। हम छह महीने तक इस पर गौर करेंगे और उसके बाद विचार करेंगे कि इसे अनिवार्य किया जाए या नहीं। अधिकारी ने यह टिप्पणी इस सवाल के जवाब में की कि क्या सरकार चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने पर विचार कर सकती है। बीआईएस भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसकी स्थापना बीआईएस अधिनियम 2016 के तहत वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए की गई है। तिवारी ने कहा कि सोने के आभूषणों की तरह इन्हें भी अनिवार्य बनाने पर विचार किया जा रहा है क्योंकि छोटे स्तर पर लोग चांदी पिघलाकर आभूषण बनाते हैं और उन्हें अनिवार्य प्रमाणन के दायरे में लाना एक बड़ी चुनौती है।

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सरकार 6 महीने बाद अनिवार्य कर सकती है सिल्वर ज्वैलरी की हॉलमार्किंग

 सरकार स्वैच्छिक आधार पर शुरू की गई चांदी के आभूषणों और वस्तुओं की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया की प्रभाविता का मूल्यांकन करने के बाद इनकी हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के बारे में विचार करेगी। उपभोक्ताओं के हित में धातु की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक डिजिटल पहचान प्रणाली लागू की जाएगी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि हमें इसका मूल्यांकन करने के लिए कुछ समय चाहिए। छह महीने पर्याप्त होंगे। हम छह महीने तक इस पर गौर करेंगे और उसके बाद विचार करेंगे कि इसे अनिवार्य किया जाए या नहीं। अधिकारी ने यह टिप्पणी इस सवाल के जवाब में की कि क्या सरकार चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने पर विचार कर सकती है। बीआईएस भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसकी स्थापना बीआईएस अधिनियम 2016 के तहत वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए की गई है। तिवारी ने कहा कि सोने के आभूषणों की तरह इन्हें भी अनिवार्य बनाने पर विचार किया जा रहा है क्योंकि छोटे स्तर पर लोग चांदी पिघलाकर आभूषण बनाते हैं और उन्हें अनिवार्य प्रमाणन के दायरे में लाना एक बड़ी चुनौती है।


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