इस बार ट्यूरिज्म सीजन में इनबाउंड ट्यूरिज्म को झटका लग सकता है। ट्रेवल इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स के अनुसार एडवांस बुकिंग, क्वेरी के डेटा को देखकर तो यही लगता है। ईयर एंड क्वार्टर में इस बार ट्यूरिस्ट अराइवल्स स्लोमोशन में रह सकते हैं। इस बार भी ओवरसीज ट्यूरिस्ट नम्बर्स प्री-कोविड लेवल पर नहीं पहुंच पायेंगे। ट्रेवल कॉर्पोरेशन इन्डिया(टीसीआई) के मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार जिस लेवल पर एडवांस बुकिंग हो रही है, उससे इंटरनेशनल अराइवल्स बढऩे पर संचय की स्थिति बन रही है। इसका कारण यह है कि इनके्रडीबल इन्डिया की मार्केटिंग स्लो है। अगे्रसिव कैम्पेन की कमी है और इसका असर अरावल्स पर पड़ेगा। दूसरा अहम कारण है मिडिल ईस्ट, यूके्रन और पाकिस्तान के साथ विवाद की स्थितियां। उनके अनुसार अम्बेसडर्स को ट्यूरिज्म को गम्भीरता से लेना चाहिये। इन्डियन एसोसिएशन ऑफ ट्यूर ऑपरेटर्स(आईएटीओ) के पे्रसीडेंट के अनुसार इनबाउंड ट्यूरिस्ट की ग्रोथ स्लो है। वर्तमान में अमेरिका से क्वेरीज का ग्राफ लोअर साइड पर है। यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी कि हम प्री-कोविड लेवल पर पहुंच पायेंगे या नहीं। हो सकता है कि अक्टूबर से पिकअप आये। इन्डिया ट्यूरिज्म स्टेटिस्टिक्स के अनुसार 1981 के 1.28 मिलियन से 1991 में 1.68 मिलियन ट्यूरिस्ट आये। 2001 में यह संख्या 2.54 मिलियन रही जबकि 2011 में 6.31 मिलियन पर पहुंच गये। 2019 में 10.93 मिलियन रहे और यह सबसे ज्यादा रहा। इसके बाद तो स्थितियां सुधार पर आ ही नहीं पाई है। जियोपॉजिटल टेंशन के कारण भी इनबाउंड ट्यूरिज्म पटरी पर नहीं लौट पा रहा है। ट्रेवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इन्डिया (टीएएफआई) पे्रसीडेंट के अनुसार दुनिया में सेंटीमेंट पॉजिटिव नहीं है। यूके्रन, मिडिल ईस्ट में तनाव की स्थिति है। पाकिस्तान एयरस्पेस बंद होने का असर भी इन्डियन सब कांटीनेंट पर देखने को मिल रहा है। सरकार को इंटरनेशनल ट्यूरिस्ट के लिये बेहतर प्रॉपर्टीज का खाका तैयार करना चाहिये। फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इन्डियन ट्यूरिज्म एंड हॉस्पीटेलिटी के जनरल सेके्रटरी के अनुसार अमेरिका, यूरोप से क्वेरीज काफी कम है। दूसरा इनबाउंड ट्यूरिज्म के स्तर पर जापान, वियतनाम और श्रीलंका भारत को सीधा कॉम्पीटीशन दे रहा है। एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा इंटरनेशनल लेवल पर मार्केटिंग, प्रमोशनल एक्टीविटीज की कमी है। साउदी अरब, वियतनाम इस मार्केटिंग में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका परिणाम भी उन्हें मिल रहा है। हमें एगे्रसिव मार्केटिंग कैम्पेन पर ध्यान देना होगा ताकि इंटरनेशनल अराइवल्स का ग्राफ प्री-कोविड लेवल पर पहुंच पाये।