बास्केट साइज और मार्जिन को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया क्विक कॉमर्स वेंचर अब ई-कॉमर्स प्लेयर्स के लिये गेमचेंजर साबित हो रहा है। इन्स्टेंट फूड डिलीवरी सेगमेंट में रेडी-टू- ईट मील्स की डिलीवरी दस से पन्द्रह मिनट में की जाती है और एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 2026-27 में यह कैटेगरी ओवरऑल रेवेन्यू में करीब 8-15 प्रतिशत का योगदान करने लगेगी। प्रमुख क्विक कॉमर्स प्लेयर्स के लिये यह 25 से 30 प्रतिशत प्रॉफिट लेने का साधन भी बन सकती है। जिप्पी के फाउंडर और सीईओ के अनुसार 2026-27 में यह स्पेस देश के टॉप पन्द्रह शहरों में 8000 से 10,000 करोड़ को हिट कर सकती है। हालांकि यह ग्रॉसरी से अभी भी छोटी है लेकिन मार्जिन अच्छा है। ग्रॉसरी जहां वॉल्यूम गेम है, वहीं पर इन्स्टेंट डिलीवरी मार्जिन गेम है। जेप्टो कैफे, ब्लिंकइट बिस्ट्रो, स्विगी स्नैक, बिगबास्केट ने इस सेगमेंट में प्रवेश लिया हुआ है और प्रदर्शन बढ़ रहा है। स्विश और जिंग ने हाल में ही रेस में एंट्री ली है। देश की सबसे बड़ी क्लाउड किचन ऑपरेटर रिबेल फूड्ज ने क्विकीईएस को लांच किया है। यह 15 मिनट में फूड डिलीवरी करती है। ट्रेक्शन विजिबल भी है। प्लेटफॉम्र्स डेली हजारों ट्रांजेक्शंस कर रहे हैं। कुछ तो मंथली आधार पर पचास हजार का आंकड़ा पार कर रहे हैं। अब तो फूड डिलीवरी बिजनेस, क्विक कॉमर्स और इन्स्टेंट फूड डिलीवरी का गैप कम हो रहा है। एसीडस ग्लोबल के फाउंडर और सीईओ के अनुसार रेडी-टू-ईट कन्वीनियंस की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में स्टार्टअप्स और गम्भीर इन्वेस्टर्स इस श्रेणी में रुचि लेने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार यदि आपके पास डार्क स्टोर्स, फ्लीट और कस्टमर हैं, तो फूड डिलीवरी ज्यादा से ज्यादा क्यों न की जाये। ऑर्डर वितरण के हिसाब से ग्रॉसरी करीब साठ प्रतिशत शेयर रखती है। स्नेक्स श्रेणी 25 से 30 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इन्स्टेंट फूड डिलीवरी का ट्रेंड उम्मीद से बढक़र वृद्धि कर रहा है। हाई मार्जिन प्ले ने इसे स्पीड दी है और नये प्लेयर्स का ध्यान इस ओर खींचा भी है।