भारत का क्विक कॉमर्स क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन मैट्रो शहरों से हटकर इसे लाभप्रद रूप से आगे बढऩे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कम डिमांड, डिजिटल मैन्योरिटी और स्थानीय खरीदारी की आदतों के कारण सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) में गैर-महानग र क्षेत्रों का योगदान केवल 20 प्रतिशत का है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। मार्केट रिसर्च कंपनी रेडसीर के अनुसार, भारतीय क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री वर्ष 2025 के पहले पांच महीनों के दौरान सालाना आधार पर लगभग 150 प्रतिशत की दर से बढ़ा। इसे ‘डार्क स्टोर्स’ के विस्तार और तेज प्रतिस्पर्धा से बढ़ावा मिला। इसके बावजूद 100 से अधिक शहरों में क्विक कॉमर्स मंच की उपस्थिति के बावजूद गैर-महानगर शहर (आठ महानगरों को छोडक़र) इस क्षेत्र के जीएमवी में केवल 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। ग्लोबल मैनेजमेंट कन्सल्टेंसी फर्म कियर्नी के अनुसार, क्विक कॉमर्स किराना बाज़ार वर्ष 2024 और 2027 के बीच तीन गुना होकर 1.5 लाख करोड़ से 1.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।