मैट्रो सिटीज में क्विक कॉमर्स मॉडल वर्क कर रहा है और अब बारी टीयर टू सिटीज में बिजनेस नेटवर्क को बढ़ाने की है। त्यौहारी सीजन से पूर्व टीयर टू शहरों को इसके लिये तैयार किया जा रहा है। गत करीब एक सप्ताह के दौरान स्विगी के क्विक डिलीवरी मॉडल इन्स्टामार्ट ने 6 नये शहरों में प्रवेश लिया है। गत दो माह में त्रिसुर, मंगलोर, कानपुर, उदयपुर, वारंगल, सालेम, अमृतसर, भोपाल, वाराणसी और लुधियाना में प्रवेश लिया गया है। अब इन्स्टामार्ट कुल मिलाकर 43 शहरों में ऑपरेट कर रही है। जोमाटो के स्वामित्व वाली ब्लिंकइट ने भी ऐसी ही स्टोरी प्रदर्शित की है। गत दो सप्ताह में कोचि, भटिंडा, हरिद्वार और विजयवाड़ा में प्रवेश किया गया है। ब्लिंकइट के सीईओ ने कहा है कि विस्तार की योजना जारी रहेगी। मुम्बई बेस्ड जेप्टो ने गत एक वर्ष में एक बिलियन डॉलर का फंड जुटाया है। अब वह दस नये शहरों में प्रवेश करने की घोषणा कर चुकी है। वर्तमान में वह टॉप दस मैट्रो शहरों में ऑपरेट कर रही है। जयपुर, चंडीगढ़, अहमदाबाद में पहले से ही काम कर रही है। हालांकि छोटे शहरों में विस्तार कुछ चुनौतियां भी देता है। इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार क्विक कॉमर्स फम्र्स लो मार्जिन पर काम करती हैं। मार्जिन को कवर अप करने के लिये हाई ऑर्डर फ्रीक्वेंसी, हाई एवरेज ऑर्डर वैल्यू पर भरोसा किया जाता है। टीयर टू और निचले दर्जे के शहरों में डिमांड कमजोर रहती है और यह बड़ा चैलेंज है। मसलन गत वर्ष फरवरी, 2023 में जोमाटो ने 225 छोटे शहरों से एक्जिट लेने की घोषणा की थी। कारण ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (जीओवी) में यह केवल 0.3 प्रतिशत योगदान कर रहे थे। हालांकि टॉप एक्जीक्यूटिव्ज का कहना है कि बाधाएं हैं लेकिन डिमांड भी है और वह उत्साहित करती है।
इन्स्टामार्ट के सीईओ ने कहा है कि एवरीडे इसेंशियल्स से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टॉयेज दस मिनट में डिलीवर किये जाते हैं। मैंगलोर की बात करें तो हाल ही में एक दिन में करीब 1000 ऑर्डर प्राप्त हुए और यह किसी मैट्रो शहर से कहीं ज्यादा रहे। त्रिसुर भी फास्ट सिटी के रूप में इमर्ज हो रहा है। केवल 4 मिनट में करीब 1000 ऑर्डर प्राप्त होना, यही बताता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार डिमांड चैलेंज देती है लेकिन क्विक कॉमर्स की सफलता छोटे शहरों में एक्जीक्यूशन पर निर्भर है। इसलिए कम्पनियां यहां पर डार्क स्टोर्स पर फोकस बढ़ा रही है। जेप्टो के सीईओ के अनुसार जहां तक डार्क स्टोर्स लांच करने का सवाल है तो जियो सलेक्शन, नेटवर्क डिजाइन प्रोसेस काफी मजबूत है। वे अनेक फैक्टर्स पर विचार करते हैं- जैसे कि रोड पैटर्न, ट्रेफिक डेंसिटी, जियोग्राफिक सेंट्रिसिटी, वैदर पैटर्न, रियल एस्टेट प्राइस आदि। छोटे शहरों में तेजी से एडॉप्शन बढ़ाने के लिये क्विक डिलीवरी फम्र्स लोकल ब्राण्ड्स और वेंडर्स के साथ पार्टनरशिप भी कर रही हैं। यानि फम्र्स हर वह तरीका अपनाना चाहती है जो टीयर टू सिटीज में कस्टमर रीच को बढ़ा सके। फेस्टीवल सीजन से पहले ही कम्पनियां डार्क स्टोर्स नेटवर्क को एक्सपेंड कर रही है। ऐसा बड़े शहरों में भी किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि ई-कॉमर्स सेगमेंट की प्रमुख कम्पनी फ्लिपकार्ट ने हाल ही में ‘मिनट्स’ के साथ क्विक कॉमर्स श्रेणी में प्रवेश लिया है। फिलहाल शुरूआत बैंगलुरु, गुरुग्राम से की गई है। अक्टूबर में आने वाले फ्लैगशिप सेल इवेंट ‘बिग बिलियन डेज 2024’ से पहले वह टॉप सिटीज में 100 डार्क स्टोर्स खोलने पर काम कर रही है। ब्लिंकइट इस संख्या को वर्ष 2026 तक दो हजार पर पहुंचाना चाहती है। वर्तमान में 639 डार्क स्टोर्स संचालित हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश टॉप दस शहरों में स्थित होंगे। जेप्टो मार्च, 2025 तक स्टोर काउंट को 350 से बढ़ाकर 700 पर ले जाना चाहती है। कुल मिलाकर मार्केट यह बता रहा है कि वह क्विक डिलीवरी श्रेणी में भी फेस्टीवल्स के लिये रैडी हो रहा है।