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11-07-2025

भारी वाहनों की नो-एंट्री पर आक्रोश, लघु उद्योग भारती व उद्योग संघ ने विरोध जताया

  •  बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्रों में भारी वाहनों की नो-एंट्री व्यवस्था को लेकर उद्योग संगठनों में गहरा आक्रोश है। लघु उद्योग भारती और बीकानेर जिला उद्योग संघ ने इसे औद्योगिक विकास के खिलाफ बताया है और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर आदेशों की समीक्षा करने की चेतावनी दी है। लघु उद्योग भारती बीकानेर के संरक्षक सुभाष चंद्र मित्तल, अध्यक्ष राजेश गोयल और सचिव राकेश जाजू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र की महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा और मुख्य जिलाधीश अधिकारी से भेंट कर आपत्ति पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि रानी बाजार, बीछवाल और करणी नगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भारी वाहनों की आवाजाही कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल की निकासी के लिए अत्यंत आवश्यक है। नाकाबंदी की स्थिति में न केवल ट्रक ड्राइवर इन क्षेत्रों में आने से कतराएंगे, बल्कि अतिरिक्त भाड़ा, डेमरेज चार्ज और देरी से माल की डिलीवरी जैसी समस्याएं सामने आएंगी, जिससे स्थानीय उद्योगों की लागत बढक़र प्रतिस्पर्धा से बाहर होने का खतरा पैदा हो जाएगा। बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया और सचिव वीरेंद्र किराड़ू ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर 20 जून 2025 को सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए नो-एंट्री के आदेशों की पुन: समीक्षा की मांग की। संघ के अनुसार, बीछवाल, करणी, राजीबाजार, अनाज मंडी और फल-सब्ज़ी मंडी जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों तक अब भारी वाहनों की सीधी आवाजाही बंद हो जाएगी, जिससे ट्रकों को बेवजह टोल चुकाकर लगभग 25 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इससे माल भाड़ा और लॉजिस्टिक लागत बढ़ रही है, जो उत्पादन व आपूर्ति पर सीधा असर डाल रही है। ज्ञापन में बताया गया कि बीकानेर में प्रतिदिन लगभग 500 ट्रक विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में माल लाते हैं। इन्हें मुख्य मार्गों पर रोके जाने से न केवल यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। रात के समय पहुंचने वाले माल को उतारने के लिए मजदूरों की अनुपलब्धता की समस्या भी सामने आएगी, जिससे दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका पर भी असर पड़ेगा। दोनों संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि औद्योगिक क्षेत्रों में आने-जाने वाले भारी वाहनों को नो-एंट्री से मुक्त रखा जाए और मौके का निरीक्षण कर आदेशों में आवश्यक संशोधन किया जाए, ताकि उद्योगों का सुचारु संचालन और शहर की यातायात व्यवस्था बनी रह सके।

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भारी वाहनों की नो-एंट्री पर आक्रोश, लघु उद्योग भारती व उद्योग संघ ने विरोध जताया

 बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्रों में भारी वाहनों की नो-एंट्री व्यवस्था को लेकर उद्योग संगठनों में गहरा आक्रोश है। लघु उद्योग भारती और बीकानेर जिला उद्योग संघ ने इसे औद्योगिक विकास के खिलाफ बताया है और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर आदेशों की समीक्षा करने की चेतावनी दी है। लघु उद्योग भारती बीकानेर के संरक्षक सुभाष चंद्र मित्तल, अध्यक्ष राजेश गोयल और सचिव राकेश जाजू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र की महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा और मुख्य जिलाधीश अधिकारी से भेंट कर आपत्ति पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि रानी बाजार, बीछवाल और करणी नगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भारी वाहनों की आवाजाही कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार माल की निकासी के लिए अत्यंत आवश्यक है। नाकाबंदी की स्थिति में न केवल ट्रक ड्राइवर इन क्षेत्रों में आने से कतराएंगे, बल्कि अतिरिक्त भाड़ा, डेमरेज चार्ज और देरी से माल की डिलीवरी जैसी समस्याएं सामने आएंगी, जिससे स्थानीय उद्योगों की लागत बढक़र प्रतिस्पर्धा से बाहर होने का खतरा पैदा हो जाएगा। बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया और सचिव वीरेंद्र किराड़ू ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर 20 जून 2025 को सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए नो-एंट्री के आदेशों की पुन: समीक्षा की मांग की। संघ के अनुसार, बीछवाल, करणी, राजीबाजार, अनाज मंडी और फल-सब्ज़ी मंडी जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों तक अब भारी वाहनों की सीधी आवाजाही बंद हो जाएगी, जिससे ट्रकों को बेवजह टोल चुकाकर लगभग 25 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। इससे माल भाड़ा और लॉजिस्टिक लागत बढ़ रही है, जो उत्पादन व आपूर्ति पर सीधा असर डाल रही है। ज्ञापन में बताया गया कि बीकानेर में प्रतिदिन लगभग 500 ट्रक विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में माल लाते हैं। इन्हें मुख्य मार्गों पर रोके जाने से न केवल यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। रात के समय पहुंचने वाले माल को उतारने के लिए मजदूरों की अनुपलब्धता की समस्या भी सामने आएगी, जिससे दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका पर भी असर पड़ेगा। दोनों संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि औद्योगिक क्षेत्रों में आने-जाने वाले भारी वाहनों को नो-एंट्री से मुक्त रखा जाए और मौके का निरीक्षण कर आदेशों में आवश्यक संशोधन किया जाए, ताकि उद्योगों का सुचारु संचालन और शहर की यातायात व्यवस्था बनी रह सके।


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