मार्च 2025 तक भारत में क्रेडिट कार्ड लोन पर डिफॉल्ट रेट 15 परसेंट तक पहुंच गई है। ये भारत के परिवारों की गिरती फाइनेंशियल हेल्थ की ओर इशारा कर रही है। एनेलिस्ट कहते हैं कि क्रेडिट कार्ड लोन में बढ़ रहे डिफॉल्ट के इस ट्रेंड से पता चलता है कि बड़ी संख्या ऐसे कंज्यूमर की है जो लोन चुका नहीं पा रहे हैं। क्रिफ (CRIF) हाईमार्क की लेटेस्ट रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2025 तक जिन कंज्यूमर पर क्रेडिट कार्ड लोन ड्यू चल रहा था उनमें से हर 100 में से 15 (15%) का लोन 90 दिन या अधिक समय से बकाया है। आंकड़ा पिछले दो वर्ष की तुलना में काफी बढ़ा है- मार्च 2023 में यह दर 12.6%, मार्च 2024 में 12.5% और अब मार्च 2025 में 15% हो गई है। हालांकि क्रिफ ने रिपोर्ट में कहा है कि कम समय के ड्यू में हल्की गिरावट देखी गई है। 31 से 90 दिन की अवधि वाले क्रेडिट कार्ड लोन ड्यू की दर वित्त वर्ष$24 में 2.3 परसेंट से घटकर वित्त वर्ष25 में 2.1 परसेंट रह गई। इसी तरह 0 से 30 दिन तक के बकाया लोन की दर पिछले वर्ष के 3.9 परसेंट से घटकर 2.7 परसेंट रह गई है। नए कार्ड इश्यू में आई भारी गिरावट: क्रिफ हाईमार्क के अनुसार, डिफॉल्ट रेट्स बढऩे के कारण नए क्रेडिट कार्ड जारी करने की संख्या में 26 परसेंट से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 24 में जहां लगभग 29.2 मिलियन कार्ड जारी किए गए थे, वहीं वित्त वर्ष 25 में यह संख्या घटकर 21.6 मिलियन रह गई है। इसके बावजूद, प्राइवेट बैंक अब भी 70 परसेंट नए कार्ड जारी कर मार्केट लीडर बने हुए हैं। हालांकि, इन बैंकों ने अब रिस्क असैसमेंट को और कड़ा कर दिया है और कमजोर प्रोफाइल वाले कंज्यूमर को क्रेडिट देने से पहले ठोक-बजाकर देख रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जो ग्राहक 90 दिन से अधिक समय से डिफॉल्ट कर चुके हैं, वे वित्तीय रूप से उबर नहीं पा रहे हैं और लगातार उसी स्थिति में बने हुए हैं जिससे क्रेडिट स्कोर खराब हो रहा है। छोटी अवधि के डिफॉल्ट घटने से पता चलता है कि कुछ कंज्यूमर बकाया चुकाने की कोशिश कर रहे हैं या फिर बैंकों को रिकवरी में कामयाबी मिल रही है।
