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18-02-2025

सेलर क्यों बन रहे Gold Buyer ?

  •  एक साल में गोल्ड गोली हो गया है। 15 फरवरी 2024 को गोल्ड 64285 रुपये पर था जो 17 फरवरी 2025 को 86620 रुपये तक पहुंच गया। यानी एक साल में ही गोल्ड में 35 परसेंट का भयंकर बुलरन दिखा है। रूस-यूक्रेन वॉर चल ही रहा है, इजरायल-हमास संघर्ष कभी भी फिर से भडक़ सकता है, ट्रंप के ड्रिल बेबी ड्रिल के नारे से क्रूड ऑयल में ओवरसप्लाई के हालात पैदा हो रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर घटाई हैं जिससे बॉन्ड यील्ड कम हुई है डॉलर भी सस्ता हो रहा है। फिर ट्रेडवॉर छिडऩे का भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में इंवेस्टर गोल्ड को सेफ मानकर दांव लगा रहे हैं और गोल्ड बाइंग की दौड़ में इंवेस्टर ही नहीं सरकार भी शामिल हैं। अमेरिका के प्रेडिसेंट ट्रंप ने कॉर्पोरेट टेक्स में कटौती और इनकम टेक्स खत्म करने का प्रपोजल रखा है। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका को टेक्स के बजाय टैरिफ वाले 1913 के रास्ते पर लौटना चाहिए। लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि यदि ऐसा हो गया तो गोल्ड जो अभी गोली है रॉकेट हो सकता है। आप जानते ही हैं कि इंवेस्टर का भरोसा डिगा हुआ है और वे गोल्ड की फिजिकल डिलिवरी के लिए लाइन लगा रहे हैं। रिपोट्र्स के अनुसार व्यापारियों ने न्यूयॉर्क में कॉमेक्स कमोडिटी एक्सचेंज में 393 मीट्रिक टन सोना इंपोर्ट किया जिससे न्यूयॉर्क में गोल्ड रिजर्व 82 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार केंद्रीय बैंकों ने लगातार तीसरे वर्ष 1 हजार टन से ज्यादा गोल्ड खरीदा है और 2024 में यह 1,044.6 टन तक पहुंच गया।  सबसे ज्यादा पोलैंड ने 89.54 टन गोल्ड खरीदा उसके बाद भारत ने 72.60 टन और चीन ने 44.17 टन गोल्ड परचेज किया। कोविड के बाद से भारत का गोल्ड रिजर्व 2021 के 754 टन से बढक़र 2024 में 876 टन हो गया है।

    सेलर बन गए बायर : गोल्ड का सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर चीन सबसे बड़े बायर्स की लिस्ट में शामिल है। चीन ने 2021 से 24 के बीच 331 टन गोल्ड खरीदा है जिससे 2024 में इसका गोल्ड रिजर्व 2,279 टन हो गया है। अकेले 2023 में चीन ने 225 टन गोल्ड खरीदा था। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में चीन का अपना गोल्ड प्रॉडक्शन 378.2 टन था। रूस दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड प्रॉड्यूसक है और इसने साल 2023 में 321.8 टन सोने का प्रॉडक्शन किया था वहीं 293.8 टन के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरा, 191.9 टन  से साथ कनाडा चौथा और 166.7 टन के साथ अमेरिका गोल्ड का पांचवा सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर था।

    खतरा यह भी : भारत और चीन जैसे देशों को सबसे बड़ा खतरा यह महसूस हो रहा है कि रूस की ही तरह उनके फॉरेन असैट्स को भी फ्रीज किया जा सकता है इसलिए ये दोनों पड़ौसी देश विदेशों में जमा अपने गोल्ड की घर वापसी करा रहे हैं। अमेरिका ने रूस के 600 बिलियन डॉलर के असैट्स को फ्रीज कर रखा है।

    कंज्यूमर डिमांड : वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट कहती है कि अब तक कुल 212,000 टन सोने का खनन किया गया है जिसमें से 50 परसेंट ज्यूलरी के रूप में है। वित्त वर्ष 2024 में भारत में जहां गोल्ड इंवेस्टमेंट बढक़र 76 टन हो गया वहीं गोल्ड ज्यूलरी की डिमांड 2 परसेंट गिरकर 563 टन रह गई। पिछले साल (2024) चीन में गोल्ड ज्यूलरी की डिमांड 29 परसेंट की बड़ी गिरावट के साथ 479 टन रह गई थी। 

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सेलर क्यों बन रहे Gold Buyer ?

 एक साल में गोल्ड गोली हो गया है। 15 फरवरी 2024 को गोल्ड 64285 रुपये पर था जो 17 फरवरी 2025 को 86620 रुपये तक पहुंच गया। यानी एक साल में ही गोल्ड में 35 परसेंट का भयंकर बुलरन दिखा है। रूस-यूक्रेन वॉर चल ही रहा है, इजरायल-हमास संघर्ष कभी भी फिर से भडक़ सकता है, ट्रंप के ड्रिल बेबी ड्रिल के नारे से क्रूड ऑयल में ओवरसप्लाई के हालात पैदा हो रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर घटाई हैं जिससे बॉन्ड यील्ड कम हुई है डॉलर भी सस्ता हो रहा है। फिर ट्रेडवॉर छिडऩे का भी खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में इंवेस्टर गोल्ड को सेफ मानकर दांव लगा रहे हैं और गोल्ड बाइंग की दौड़ में इंवेस्टर ही नहीं सरकार भी शामिल हैं। अमेरिका के प्रेडिसेंट ट्रंप ने कॉर्पोरेट टेक्स में कटौती और इनकम टेक्स खत्म करने का प्रपोजल रखा है। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका को टेक्स के बजाय टैरिफ वाले 1913 के रास्ते पर लौटना चाहिए। लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि यदि ऐसा हो गया तो गोल्ड जो अभी गोली है रॉकेट हो सकता है। आप जानते ही हैं कि इंवेस्टर का भरोसा डिगा हुआ है और वे गोल्ड की फिजिकल डिलिवरी के लिए लाइन लगा रहे हैं। रिपोट्र्स के अनुसार व्यापारियों ने न्यूयॉर्क में कॉमेक्स कमोडिटी एक्सचेंज में 393 मीट्रिक टन सोना इंपोर्ट किया जिससे न्यूयॉर्क में गोल्ड रिजर्व 82 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया हैं। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार केंद्रीय बैंकों ने लगातार तीसरे वर्ष 1 हजार टन से ज्यादा गोल्ड खरीदा है और 2024 में यह 1,044.6 टन तक पहुंच गया।  सबसे ज्यादा पोलैंड ने 89.54 टन गोल्ड खरीदा उसके बाद भारत ने 72.60 टन और चीन ने 44.17 टन गोल्ड परचेज किया। कोविड के बाद से भारत का गोल्ड रिजर्व 2021 के 754 टन से बढक़र 2024 में 876 टन हो गया है।

सेलर बन गए बायर : गोल्ड का सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर चीन सबसे बड़े बायर्स की लिस्ट में शामिल है। चीन ने 2021 से 24 के बीच 331 टन गोल्ड खरीदा है जिससे 2024 में इसका गोल्ड रिजर्व 2,279 टन हो गया है। अकेले 2023 में चीन ने 225 टन गोल्ड खरीदा था। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में चीन का अपना गोल्ड प्रॉडक्शन 378.2 टन था। रूस दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड प्रॉड्यूसक है और इसने साल 2023 में 321.8 टन सोने का प्रॉडक्शन किया था वहीं 293.8 टन के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरा, 191.9 टन  से साथ कनाडा चौथा और 166.7 टन के साथ अमेरिका गोल्ड का पांचवा सबसे बड़ा प्रॉड्यूसर था।

खतरा यह भी : भारत और चीन जैसे देशों को सबसे बड़ा खतरा यह महसूस हो रहा है कि रूस की ही तरह उनके फॉरेन असैट्स को भी फ्रीज किया जा सकता है इसलिए ये दोनों पड़ौसी देश विदेशों में जमा अपने गोल्ड की घर वापसी करा रहे हैं। अमेरिका ने रूस के 600 बिलियन डॉलर के असैट्स को फ्रीज कर रखा है।

कंज्यूमर डिमांड : वल्र्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट कहती है कि अब तक कुल 212,000 टन सोने का खनन किया गया है जिसमें से 50 परसेंट ज्यूलरी के रूप में है। वित्त वर्ष 2024 में भारत में जहां गोल्ड इंवेस्टमेंट बढक़र 76 टन हो गया वहीं गोल्ड ज्यूलरी की डिमांड 2 परसेंट गिरकर 563 टन रह गई। पिछले साल (2024) चीन में गोल्ड ज्यूलरी की डिमांड 29 परसेंट की बड़ी गिरावट के साथ 479 टन रह गई थी। 


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