TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-07-2025

वैल्यू पोजिशनिंग से टाटा करेगी ईवी में रिकवरी

  •  भारत की सबसे बड़ी ईवी मेकर टाटा मोटर्स का हाई ग्रोथ वाले ईवीपीवी सैगमेंट में फस्र्ट मूवर एडवांटेज अब फीका पड़ रहा है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया और महिंद्रा एंड महिंद्रा के अचानक आक्रामक हो जाने से गर्म हुए कंपीटिशन से टाटा से सामने वॉल्यूम और मार्केट शेयर दोनों का चैलेंज खड़ा हो गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में जहां टाटा मोटर्स का ईवीपीवी में मार्केटशेयर दो-तिहाई से ज्यादा था, वहीं वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में यह गिरकर लगभग एक-तिहाई पर आ गया है। इसी दौरान जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने मार्केट शेयर दोगुना कर 28 परसेंट तक पहुंचा दिया है। वहीं हाल ही दो बॉर्न एसयूवी लॉन्च करने वाली महिन्द्रा का ईवीपीवी में मार्केटशेयर चार गुना बढक़र 20 परसेंट को भी पार कर गया है। टाटा मोटर्स 2030 तक उसकी कुल पैसेंजर वेहीकल सेल्स में 30 परसेंट शेयर ईवी का बनाए रखना चाहती है। लेकिन अपनी इंजीनियरिंग कूवत के दम पर यहां तक पहुंची टाटा मोटर्स को भरोसा है कि वह हैरियर ईवी और जल्द लॉन्च होने वाली सिएरा ईवी जैसे फुल-साइज एसयूवी सेगमेंट में दो नए लॉन्च के जरिए मीडियम टू लॉन्गटर्म में अपने मार्केटशेयर को फिर से 50 परसेंट तक पहुंचा सकती है। टाटा मोटर्स के एमडी शैलेश चंद्रा के अनुसार हम हाई ईवी सेगमेंट में मौजूद नहीं थे, और इस प्राइस सेगमेंट में इतनी डिमांड होगी इसका अंदाजा नहीं था। फुल-साइज सेगमेंट में इलेक्ट्रिफिकेशन से जुड़ी ज्यादातर बाधाएं पहले ही दूर हो चुकी हैं। इस सेगमेंट में ईवी की प्राइस इंजन वाले ऑटोमैटिक मॉडलों के बराबर आ चुकी हैं। ईवी पर सिर्फ 5 परसेंट जीएसटी लगता है, जबकि इसी सेगमेंट की आइस कारों पर कुल टैक्स 48 परसेंट है।इस सेगमेंट में चार्जिंग स्पीड और लिमिटेड रेंज जैसी चिंताओं को भी काफी हद तक हल कर लिया गया है। इसी जगह कंपनी अपने दो नए ईवी प्रॉडक्ट्स को पोजिशन कर रही है। चंद्रा के अनुसार साल इस वर्ष से ही मार्केट शेयर में रिकवरी दिखने लगेगी। चंद्रा के अनुसार ईवी मार्केटशेयर में गिरावट चिंता का कारण नहीं है। मार्केट में नए प्रॉडक्ट्स आए हैं जिनकी डिमांड पीक पर है लेकिन कुछ महीने बाद यह स्थिर हो जाएगी। हमारा लक्ष्य मीडियम टू लॉन्गटर्म में 50 परसेंट मार्केट शेयर को बनाए रखना है। मार्केट में कंपीटिशन होने से ईवीपीवी मार्केट का विस्तार होगा। भारत में हर साल लगभग 40 लाख कारें बिकती हैं, जिनमें से केवल 2 परसेंट ईवी होती हैं। महीने में लगभग 12 हजार ईवीपीवी बिकते हैं ऐसे में इतने छोटे मार्केट में एक नए प्रॉडक्ट की सेल्स का पूरे मार्केट पर असर पड़ता है। फ्लीट सैगमेंट: पिछले वित्त वर्ष में टाटा मोटर्स के ईवी मार्केटशेयर में कमी का बड़ा कारण फ्लीट ऑपरेटर्स के लिए सब्सिडी का बंद होना था। चंद्रा के अनुसार हमने पर्सनल सेगमेंट में वॉल्यूम बनाए रखा लेकिन फ्लीट सेगमेंट में नुकसान हुआ। अब टाटा मोटर्स का प्लान फ्लीट कस्टमर्स को बेहतर वैल्यू प्रपोजिशन देकर उन्हें फिर से जोडऩे का है। प्लान कुछ ऐसा करने का है जिससे ईवी की वैल्यू सीएनजी के बराबर हो जाए। अब तक ईवी को डीजल से बेहतर लेकिन सीएनजी से कमतर समझा जाता था। एंट्री सेगमेंट चैलेंज: टाटा मोटर्स के पास एंट्री सेगमेंट में टियागो ईवी और पंच ईवी जैसे प्रोडक्ट हैं लेकिन यह सेगमेंट अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। इस सेगमेंट में अभी भी कई चैलेंज हैं जैसे हाई प्राइस और लिमिटेड रेंज। इन्हें अब भी सिटी कार के रूप में देखा जाता है। चंद्रा ने कहा हम प्राइस और फीचर्स में बैलेंस बनाकर नई स्ट्रेटेजी पर काम कर रहे हैं। कॉस्ट घटाने से वैल्यू प्रपोजिशन में सुधार होगा।

Share
वैल्यू पोजिशनिंग से टाटा करेगी ईवी में रिकवरी

 भारत की सबसे बड़ी ईवी मेकर टाटा मोटर्स का हाई ग्रोथ वाले ईवीपीवी सैगमेंट में फस्र्ट मूवर एडवांटेज अब फीका पड़ रहा है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया और महिंद्रा एंड महिंद्रा के अचानक आक्रामक हो जाने से गर्म हुए कंपीटिशन से टाटा से सामने वॉल्यूम और मार्केट शेयर दोनों का चैलेंज खड़ा हो गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में जहां टाटा मोटर्स का ईवीपीवी में मार्केटशेयर दो-तिहाई से ज्यादा था, वहीं वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में यह गिरकर लगभग एक-तिहाई पर आ गया है। इसी दौरान जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने मार्केट शेयर दोगुना कर 28 परसेंट तक पहुंचा दिया है। वहीं हाल ही दो बॉर्न एसयूवी लॉन्च करने वाली महिन्द्रा का ईवीपीवी में मार्केटशेयर चार गुना बढक़र 20 परसेंट को भी पार कर गया है। टाटा मोटर्स 2030 तक उसकी कुल पैसेंजर वेहीकल सेल्स में 30 परसेंट शेयर ईवी का बनाए रखना चाहती है। लेकिन अपनी इंजीनियरिंग कूवत के दम पर यहां तक पहुंची टाटा मोटर्स को भरोसा है कि वह हैरियर ईवी और जल्द लॉन्च होने वाली सिएरा ईवी जैसे फुल-साइज एसयूवी सेगमेंट में दो नए लॉन्च के जरिए मीडियम टू लॉन्गटर्म में अपने मार्केटशेयर को फिर से 50 परसेंट तक पहुंचा सकती है। टाटा मोटर्स के एमडी शैलेश चंद्रा के अनुसार हम हाई ईवी सेगमेंट में मौजूद नहीं थे, और इस प्राइस सेगमेंट में इतनी डिमांड होगी इसका अंदाजा नहीं था। फुल-साइज सेगमेंट में इलेक्ट्रिफिकेशन से जुड़ी ज्यादातर बाधाएं पहले ही दूर हो चुकी हैं। इस सेगमेंट में ईवी की प्राइस इंजन वाले ऑटोमैटिक मॉडलों के बराबर आ चुकी हैं। ईवी पर सिर्फ 5 परसेंट जीएसटी लगता है, जबकि इसी सेगमेंट की आइस कारों पर कुल टैक्स 48 परसेंट है।इस सेगमेंट में चार्जिंग स्पीड और लिमिटेड रेंज जैसी चिंताओं को भी काफी हद तक हल कर लिया गया है। इसी जगह कंपनी अपने दो नए ईवी प्रॉडक्ट्स को पोजिशन कर रही है। चंद्रा के अनुसार साल इस वर्ष से ही मार्केट शेयर में रिकवरी दिखने लगेगी। चंद्रा के अनुसार ईवी मार्केटशेयर में गिरावट चिंता का कारण नहीं है। मार्केट में नए प्रॉडक्ट्स आए हैं जिनकी डिमांड पीक पर है लेकिन कुछ महीने बाद यह स्थिर हो जाएगी। हमारा लक्ष्य मीडियम टू लॉन्गटर्म में 50 परसेंट मार्केट शेयर को बनाए रखना है। मार्केट में कंपीटिशन होने से ईवीपीवी मार्केट का विस्तार होगा। भारत में हर साल लगभग 40 लाख कारें बिकती हैं, जिनमें से केवल 2 परसेंट ईवी होती हैं। महीने में लगभग 12 हजार ईवीपीवी बिकते हैं ऐसे में इतने छोटे मार्केट में एक नए प्रॉडक्ट की सेल्स का पूरे मार्केट पर असर पड़ता है। फ्लीट सैगमेंट: पिछले वित्त वर्ष में टाटा मोटर्स के ईवी मार्केटशेयर में कमी का बड़ा कारण फ्लीट ऑपरेटर्स के लिए सब्सिडी का बंद होना था। चंद्रा के अनुसार हमने पर्सनल सेगमेंट में वॉल्यूम बनाए रखा लेकिन फ्लीट सेगमेंट में नुकसान हुआ। अब टाटा मोटर्स का प्लान फ्लीट कस्टमर्स को बेहतर वैल्यू प्रपोजिशन देकर उन्हें फिर से जोडऩे का है। प्लान कुछ ऐसा करने का है जिससे ईवी की वैल्यू सीएनजी के बराबर हो जाए। अब तक ईवी को डीजल से बेहतर लेकिन सीएनजी से कमतर समझा जाता था। एंट्री सेगमेंट चैलेंज: टाटा मोटर्स के पास एंट्री सेगमेंट में टियागो ईवी और पंच ईवी जैसे प्रोडक्ट हैं लेकिन यह सेगमेंट अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। इस सेगमेंट में अभी भी कई चैलेंज हैं जैसे हाई प्राइस और लिमिटेड रेंज। इन्हें अब भी सिटी कार के रूप में देखा जाता है। चंद्रा ने कहा हम प्राइस और फीचर्स में बैलेंस बनाकर नई स्ट्रेटेजी पर काम कर रहे हैं। कॉस्ट घटाने से वैल्यू प्रपोजिशन में सुधार होगा।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news