गोल्ड में सी-सॉ का खेल चल रहा है। वॉर छिड़ता है तो प्राइस को सपोर्ट मिलने लगता है और डॉलर चढ़ता है तो करेक्शन आ जाता है। गोल्ड प्राइस का अब डिमांड डायनामिक्स से कोई लेना देना नहीं है। फिर पिछले छह महीने में गोल्ड में जितनी वोलेटिलिटी (उतार-चढ़ाव) दिखी है उसे लेकर मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि अब इसमें मार्केट फटीग यानी थकावट के संकेत मिल रहे हैं। जबकि बीएमआई का कहना है कि यह फटीग कितना है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इजराइल-ईरान टकराव के दौरान भी गोल्ड में इंवेस्टर्स की ज्यादा एक्टिविटी नहीं दिखी। पिछले छह वर्ष से चल रहे गोल्डरश का दौर अब खत्म हो रहा है। इस दौरान गोल्ड ने इंवेस्टर्स को सालाना 2024 और 2025 में सालाना 30 परसेंट तक का रिटर्न दिया है। मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने अपनी रिपोर्ट गोल्ड बुल रन: वी कॉल इट क्विट्स में कहा है कि कई फैक्टर गोल्ड की इस तेजी से जिम्मेदार रहे हैं, लेकिन अब गोल्ड प्राइस में ये सभी फैक्टर असर दिखा चुके हैं। बीएमआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है ...अभी के लिए रैली खत्म हो चुकी है। लेकिन किसी बड़े करेक्शन की भी कोई आशंका नहीं है। बीएमआई ने कहा वर्ष 2025 के लिए गोल्ड प्राइस का आउटलुक $3100 डॉलर प्रति आउंस पर बरकरार है। लेकिन पिछले महीने, अमेरिका के इंवेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन रिसर्च गोल्ड पर बुलिश बना हुआ है और इसने कहा कि 2025 की अंतिम तिमाही में गोल्ड की औसत प्राइस $3675 डॉलर प्रति आउंस होगी, जो 2026 की दूसरी तिमाही तक 4000 डॉलर प्रति आउंस तक पहुंच सकती है। जेपी मॉर्गन की हेड ऑफ ग्लोबल कमोडिटीज स्ट्रैटेजी नताशा केनेवा ने कहा कि स्लोडाउन के खतरे और टैरिफवॉर रिस्क के चलते गोल्ड संभवत: 4000 डॉलर प्रति आउंस को पार करेगा। बीएमआई ने कहा कि वर्ष 2025 में अब तक की औसत कीमत $3074 डॉलर प्रति आउंस रही है। जून में इजराइल-ईरान वॉर के दौरान भी गोल्ड प्राइस में ज्यादा तेजी नहीं दिखी थी। इसका बड़ा कारण यह है कि जियोपॉलिटिकल रिस्क को गोल्ड प्राइस में अक्टूबर 2023 (इजराइल-हमास संघर्ष) से ही फैक्टर किया जा चुका है। 13 जून को इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के बाद, सोना 16 जून को $3451 प्रति आउंस के सात सप्ताह के पीक लेवल पर पहुंचा जरूर लेकिन यह यह 2025 अप्रैल के $3500 डॉलर प्रति आउंस के ऑलटाइम हाई लेवल को नहीं तोड़ सका। और जैसे ही सीजफायर की बात आई प्राइस में करेक्शन आ गया। ऐसे में जब तक कोई भीषण वॉर नहीं छिड़ जाता गोल्ड प्राइस 4 हजार डॉलर आउंस के पार नहीं जाएगी। मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने कहा कि 25 वर्ष के आंकड़ों के अनुसार कॉमेक्स गोल्ड ने कभी भी एक वर्ष में 32 परसेंट से अधिक तेजी नहीं आई है। बीएमआई ने कहा कि अब सोना कमजोर डॉलर, कम बॉन्ड यील्ड और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद ज्यादा एक्टिविटी नहीं दिखा रहा है। गोल्ड में करेक्शन का रिस्क बढ़ रहा है और शॉर्ट टर्म में यह 3 हजार डॉलर प्रति आउंस के लेवल पर आ सकता है। हालांकि अमेरिका के फेडरल रिज़र्व द्वारा 2025 और 2026 में ब्याज दर में कटौती का जरूर गोल्ड प्राइस पर असर पड़ सकता है।
