जयपुर। आप जानते हैं यूक्रेन वॉर के दौरान रूस पर दबाव डालने के लिए अमेरिका सहित दुनियाभर के देशों ने उसके 300 बिलियन डॉलर के असैट्स फ्रीज कर दिए थे। इसी को देखते हुए भारत सरकार पिछले सालों में विदेशी तिजोरियों से सोना भारत शिफ्ट कर रही है। सरकार को आशंका यह भी है कि जिस तरह से दुनियाभर के देशों में गुटबाजी और तनाव बढ़ रहा है उससे एनर्जी सिक्योरिटी खतरे में पड़ सकती है। माना आपने सऊदी नहीं तो वेनेजुएला से क्रूड ऑयल खरीद लिया लेकिन उसे भारत लाने के लिए भी तो ऑइल टेंकर चाहियें। और भारत के अपने ऑइल टेंकर गिने चुने हैं। ज्यादातर विदेशी कंपनियों की ओनरशिप में है। यानी विवाद हुआ नहीं कि कभी भी देश की एनर्जी सप्लाई लाइन काटी जा सकती है। बस इसीलिए भारत सरकार आत्मनिर्भर कार्यक्रम चला रही है और अब तो ट्रंप भी यही बात करने लगे हैं। आत्मनिर्भर कार्यक्रम के तहत भारत सरकार 112 ऑइल टेंकर खरीदने के प्लान पर काम कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार पहले फेज में 79 ऑइल टेंकर खरीदे जाएंगे जिनमें से 30 मध्यम दूरी के कैरियर होंगे। इंटरनेशनल मीडिया की रिपोर्ट कहती है कि यह प्लान 10 बिलियन डॉलर यानी 85 हजार करोड़ रुपये का है और इसके तहत 2040 तक ऑइल टेंकर की पूरी नई फ्लीट तैयार हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑइल मार्केटिंग कंपनियां केवल वे ही ऑइल टेंकर लीज कर ले सकेंगी जो भारत में ही बने हों। भारत सरकार ऑइल रिफाइनिंग कैपेसिटी भी तेजी से बढ़ा रही है। अभी यह 250 मिलियन टन है जिसे 2030 तक 450 मिलियन टन करने का प्लान है।