इन्डिया में प्रोफेशनल्स अब अपने कॅरियर में आगे बढऩे को लेकर टेलेंटेड, स्किल्ड बनने पर ध्यान रहे हैं और इसका जिम्मा खुद उठा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, गत एक वर्ष में 46 प्रतिशत प्रोफेशनल्स ने नई स्किल सीखने का पूरा खर्च खुद उठाया है। टीमलीज एडटेक की कर्मचारियों के मूल्यांकन में स्किल के प्रभाव पर एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल 23.9 प्रतिशत कंपनियों ने प्रोफेशनल्स को नई स्किल सीखने का खर्चा उठाया जबकि 46 प्रतिशत प्रोफेशनल्स ने इसका खर्च खुद ही वहन किया। यह रिपोर्ट टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, सेल्स, ऑपरेशंस और ह्यूमन रिसोर्स जैसे क्षेत्र के 14,000 से अधिक कर्मचारियों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर प्रदर्शन, सीखने और उन्नति के बारे में बदलती अपेक्षाओं को रेखांकित करती है। इसमें शामिल 84 प्रतिशत प्रोफेशनल्स ने गत वर्ष किसी न किसी तरह से अपनी स्किल को निखारने के लिए कुछ नया सीखने की जानकारी दी। इसका कारण उज्ज्वल कॅरियर और फ्यूचर के लिए खुद को तैयार रखना है। रिपोर्ट के अनुसार, 64 प्रतिशत से अधिक पेशेवरों ने बताया कि उनके मूल्यांकन परिणामों पर इसका सीधा असर देखने को मिला। दिलचस्प बात यह है कि 42 प्रतिशत ने कुछ नया सीखने के केवल 18 महीने के भीतर ही पदोन्नति, वेतन वृद्धि आदि जैसी उपलब्धियां हासिल की। टीमलीज एडटेक के फाउंडर एवं सीईओ ने कहा कि इस अध्ययन से एक बात बेहद स्पष्ट है कि जो पेशेवर पहल करते हैं, खासतौर पर जो अपने सीखने में इन्वेस्टमेंट करते हैं, उन्हें न केवल स्किल बल्कि पहचान, जिम्मेदारी और वास्तविक कॅरियर में गति मिलती है। उन्होंने कहा कि साथ ही कंपनियों को भी यह स्पष्ट संकेत देता कि कौशल में रणनीतिक रूप से अधिक निवेश की जरूरत है क्योंकि यह सीधे तौर पर प्रदर्शन पर असर डालता है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को इस मामले में तुरंत कार्य करने, समझदारी से सीखने और दीर्घकालिक नजरिया रखने की जरूरत है। वहीं नियोक्ताओं को खासतौर पर प्रौद्योगिकी और वित्त जैसे उच्च-प्रभाव वाले कार्यों के लिए मूल्यांकन के साथ कौशल विकास बजट को उसके अनुरूप बनाने, स्व-वित्तपोषित कौशल प्रयासों को मान्यता देने की आवश्यकता है।