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02-06-2025

फूड प्रोडक्ट्स की लेबलिंग पर ‘100%’ के इस्तेमाल पर FSSAI ने लगाया प्रतिबंध

  •  भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की कंपनियों को सलाह दी है कि वे अपने खाने के पैकेट या लेबल पर 100 प्रतिशत टर्म का इस्तेमाल न करें। अधिकारियों ने चिंता जताई है कि इससे उपभोक्ता गुमराह हो सकते हैं।  सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को जारी सलाह में कहा गया है कि वे अपने खाने के पैकेट, लेबल और विज्ञापन में 100 प्रतिशत जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये पूरी तरह से अस्पष्ट हैं, इसलिए नियमों के हिसाब से ऐसा करने से बचना चाहिए। देश के शीर्ष खाद्य नियामक ने कहा कि अब बहुत सारी कंपनियां अपने खाने के पैकेट और विज्ञापनों में 100 प्रतिशत शब्दों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं। एफएसएसएआई ने कहा, कि इस तरह की शब्दावली को लेकर नियमों में कोई साफ परिभाषा नहीं है। ये शब्द लोगों को गुमराह कर सकते हैं और गलत सोच पैदा कर सकते हैं कि यह चीज पूरी तरह सही या शुद्ध है, जो जरूरी नहीं होता। इसलिए ये शब्द गलतफहमी पैदा करते हैं। खाद्य सुरक्षा के नियम (2018) के अनुसार, एफएसएस एक्ट, 2006 या उससे जुड़े नियमों में 100 प्रतिशत को परिभाषित नहीं किया गया है। एफएसएसएआई ने कहा कि नियमों के तहत कोई भी कंपनी अपने विज्ञापन या दावे में दूसरी कंपनियों को बुरा दिखाने वाली बातें नहीं कर सकती, और ऐसा कुछ नहीं कह सकती जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाएं। जो भी दावा या जानकारी दी जाती है, वह सच होनी चाहिए, साफ और आसान समझ में आने वाली होनी चाहिए, ताकि ग्राहक सही जानकारी समझ सकें और कोई गुमराह न हो। 100 प्रतिशत शब्दों का इस्तेमाल, चाहे अकेले किया जाए या किसी और शब्द के साथ मिलाकर, लोगों में गलत धारणा पैदा कर सकता है कि वह चीज पूरी तरह से शुद्ध या सबसे अच्छी है, जो सही नहीं होता। एफएसएसएआई ने कहा कि ऐसा शब्द इस्तेमाल करने से लोग सोच सकते हैं कि बाजार में बाकी के खाने वाले सामान अच्छे नहीं हैं या वे नियमों का पालन नहीं करते, जिससे ग्राहकों को गलत जानकारी मिलती है। खाद्य नियामक निकाय ने जून 2024 में एक अधिसूचना जारी की थी कि फलों के रस बनाने वाली कंपनियां अपने पैकेट और विज्ञापन से 100 प्रतिशत फल का रस जैसे दावे हटा दें। इससे पहले, एफएसएसएआई ने अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि बड़ी कंपनी डाबर का यह कहना कि उनके फलों के पेय पदार्थ 100 प्रतिशत फलों से बने हैं, नियमों के खिलाफ है। यह उपभोक्ता को भ्रामक करने वाला टर्म है।

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फूड प्रोडक्ट्स की लेबलिंग पर ‘100%’ के इस्तेमाल पर FSSAI ने लगाया प्रतिबंध

 भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की कंपनियों को सलाह दी है कि वे अपने खाने के पैकेट या लेबल पर 100 प्रतिशत टर्म का इस्तेमाल न करें। अधिकारियों ने चिंता जताई है कि इससे उपभोक्ता गुमराह हो सकते हैं।  सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को जारी सलाह में कहा गया है कि वे अपने खाने के पैकेट, लेबल और विज्ञापन में 100 प्रतिशत जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें क्योंकि ये पूरी तरह से अस्पष्ट हैं, इसलिए नियमों के हिसाब से ऐसा करने से बचना चाहिए। देश के शीर्ष खाद्य नियामक ने कहा कि अब बहुत सारी कंपनियां अपने खाने के पैकेट और विज्ञापनों में 100 प्रतिशत शब्दों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं। एफएसएसएआई ने कहा, कि इस तरह की शब्दावली को लेकर नियमों में कोई साफ परिभाषा नहीं है। ये शब्द लोगों को गुमराह कर सकते हैं और गलत सोच पैदा कर सकते हैं कि यह चीज पूरी तरह सही या शुद्ध है, जो जरूरी नहीं होता। इसलिए ये शब्द गलतफहमी पैदा करते हैं। खाद्य सुरक्षा के नियम (2018) के अनुसार, एफएसएस एक्ट, 2006 या उससे जुड़े नियमों में 100 प्रतिशत को परिभाषित नहीं किया गया है। एफएसएसएआई ने कहा कि नियमों के तहत कोई भी कंपनी अपने विज्ञापन या दावे में दूसरी कंपनियों को बुरा दिखाने वाली बातें नहीं कर सकती, और ऐसा कुछ नहीं कह सकती जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाएं। जो भी दावा या जानकारी दी जाती है, वह सच होनी चाहिए, साफ और आसान समझ में आने वाली होनी चाहिए, ताकि ग्राहक सही जानकारी समझ सकें और कोई गुमराह न हो। 100 प्रतिशत शब्दों का इस्तेमाल, चाहे अकेले किया जाए या किसी और शब्द के साथ मिलाकर, लोगों में गलत धारणा पैदा कर सकता है कि वह चीज पूरी तरह से शुद्ध या सबसे अच्छी है, जो सही नहीं होता। एफएसएसएआई ने कहा कि ऐसा शब्द इस्तेमाल करने से लोग सोच सकते हैं कि बाजार में बाकी के खाने वाले सामान अच्छे नहीं हैं या वे नियमों का पालन नहीं करते, जिससे ग्राहकों को गलत जानकारी मिलती है। खाद्य नियामक निकाय ने जून 2024 में एक अधिसूचना जारी की थी कि फलों के रस बनाने वाली कंपनियां अपने पैकेट और विज्ञापन से 100 प्रतिशत फल का रस जैसे दावे हटा दें। इससे पहले, एफएसएसएआई ने अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि बड़ी कंपनी डाबर का यह कहना कि उनके फलों के पेय पदार्थ 100 प्रतिशत फलों से बने हैं, नियमों के खिलाफ है। यह उपभोक्ता को भ्रामक करने वाला टर्म है।


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