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10-06-2025

ग्लोबल वर्कस्पेस की डिमांड को पूरा करने को रैडी है इंडियन मार्केट

  •  इन्डिया में ग्लोबल फम्र्स के बढ़ते प्रवेश के साथ ही देश में स्पेस से जुड़ी डिमांड को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके अलावा, भारत फ्यूचर-रेडी, फ्लेक्सिबल एनवायरनमेंट को भी तैयार कर रहा है, जो समान रूप से परफॉर्मेंस, मजबूती और उद्देश्यपूर्ण डिजाइन प्रदान कर सके। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। ग्लोबल कॉरपोरेट्स अब वर्कस्पेस के लिए 100 मिलियन वर्गफुट से अधिक के स्थानों को टारगेट कर रहे हैं। नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल 63 प्रतिशत कॉरपोरेट रियल एस्टेट लीडर्स ने आर्थिक और भू-राजनीतिक अस्थिरता के बारे में चिंता व्यक्त की। इसके लिए कंपनियां अपनी स्पेस रणनीतियों में बदलाव कर रही हैं। वे कम समय की लीज, ज्यादा फ्लेक्सिबल फॉर्मेट के साथ-साथ ऐसे लोकेशन को प्राथमिकता देने पर विचार कर रही हैं, जो उनके जोखिम विविधीकरण और प्रतिभा तक पहुंच को आसान बनाते हों। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि भारत में यह बदलाव पहले से ही चल रहा है। देश में ऑफिस लीजिंग 2024 में 71.9 मिलियन वर्ग फीट तक पहुंच गई है, जो कि एन्युअल लेवल पर 21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। जबकि 2025 की शुरुआत मजबूत रही है, ऑफिस लीजिंग फस्र्ट क्वार्टर में 28.2 मिलियन वर्गफीट तक पहुंच गई है, जो सालाना आधार पर 74 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने आगे कहा कि कॉर्पोरेट रियल एस्टेट की जटिलताएं आज स्ट्रैटेजिक अलाइनमेंट, ऑपरेशनल वोलैटिलिटी और तेजी से विकसित हो रही कार्यशैली में बदलाव से आकार ले रही हैं। निष्कर्षों से पता चला कि पीछे हटने के बजाय, कई कॉर्पोरेट बदलाव को गति दे रहे हैं। लगभग 50 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स को उम्मीद है कि अगले तीन से पांच वर्षों में उनके फुटप्रिंट्स में 104 मिलियन वर्ग फीट स्थान तक वृद्धि होगी। नाइट फ्रैंक में ग्लोबल ऑक्यूपियर रिसर्च के पार्टनर और हेड डॉ. ली इलियट ने कहा कि ऑक्यूपायर्स पुराने पोर्टफोलियो से अलग हो रहे हैं, लेकिन वे जगह नहीं छोड़ रहे हैं, वे बेहतर जगह की ओर बढ़ रहे हैं और कई मामलों में अपने पोर्टफोलियो को क्षेत्रीय बनाने के लिए अधिक स्थानों पर जा रहे हैं। सर्वे में पाया गया है कि संगठन अपनी स्थान रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। वे प्रमुख संपत्तियों में एकत्रित हो रहे हैं, काम से जुड़ी फ्लेक्सिबिलिटी की तलाश रहे हैं और एकल मुख्यालय के बजाय हब नेटवर्क को डिजाइन कर रहे हैं। इलियट ने आगे कहा कि वैश्विक अनिश्चितता और व्यवसाय परिवर्तन की आवश्यकता इस गतिविधि को धीमा करने के बजाय तेज कर रही है, क्योंकि कॉरपोरेट्स जानते हैं कि उन्हें वर्तमान मैक्रो एनवायरमेंट में सफल होने के लिए इसे सही करने की आवश्यकता है।

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ग्लोबल वर्कस्पेस की डिमांड को पूरा करने को रैडी है इंडियन मार्केट

 इन्डिया में ग्लोबल फम्र्स के बढ़ते प्रवेश के साथ ही देश में स्पेस से जुड़ी डिमांड को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके अलावा, भारत फ्यूचर-रेडी, फ्लेक्सिबल एनवायरनमेंट को भी तैयार कर रहा है, जो समान रूप से परफॉर्मेंस, मजबूती और उद्देश्यपूर्ण डिजाइन प्रदान कर सके। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। ग्लोबल कॉरपोरेट्स अब वर्कस्पेस के लिए 100 मिलियन वर्गफुट से अधिक के स्थानों को टारगेट कर रहे हैं। नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल 63 प्रतिशत कॉरपोरेट रियल एस्टेट लीडर्स ने आर्थिक और भू-राजनीतिक अस्थिरता के बारे में चिंता व्यक्त की। इसके लिए कंपनियां अपनी स्पेस रणनीतियों में बदलाव कर रही हैं। वे कम समय की लीज, ज्यादा फ्लेक्सिबल फॉर्मेट के साथ-साथ ऐसे लोकेशन को प्राथमिकता देने पर विचार कर रही हैं, जो उनके जोखिम विविधीकरण और प्रतिभा तक पहुंच को आसान बनाते हों। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि भारत में यह बदलाव पहले से ही चल रहा है। देश में ऑफिस लीजिंग 2024 में 71.9 मिलियन वर्ग फीट तक पहुंच गई है, जो कि एन्युअल लेवल पर 21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। जबकि 2025 की शुरुआत मजबूत रही है, ऑफिस लीजिंग फस्र्ट क्वार्टर में 28.2 मिलियन वर्गफीट तक पहुंच गई है, जो सालाना आधार पर 74 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने आगे कहा कि कॉर्पोरेट रियल एस्टेट की जटिलताएं आज स्ट्रैटेजिक अलाइनमेंट, ऑपरेशनल वोलैटिलिटी और तेजी से विकसित हो रही कार्यशैली में बदलाव से आकार ले रही हैं। निष्कर्षों से पता चला कि पीछे हटने के बजाय, कई कॉर्पोरेट बदलाव को गति दे रहे हैं। लगभग 50 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स को उम्मीद है कि अगले तीन से पांच वर्षों में उनके फुटप्रिंट्स में 104 मिलियन वर्ग फीट स्थान तक वृद्धि होगी। नाइट फ्रैंक में ग्लोबल ऑक्यूपियर रिसर्च के पार्टनर और हेड डॉ. ली इलियट ने कहा कि ऑक्यूपायर्स पुराने पोर्टफोलियो से अलग हो रहे हैं, लेकिन वे जगह नहीं छोड़ रहे हैं, वे बेहतर जगह की ओर बढ़ रहे हैं और कई मामलों में अपने पोर्टफोलियो को क्षेत्रीय बनाने के लिए अधिक स्थानों पर जा रहे हैं। सर्वे में पाया गया है कि संगठन अपनी स्थान रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। वे प्रमुख संपत्तियों में एकत्रित हो रहे हैं, काम से जुड़ी फ्लेक्सिबिलिटी की तलाश रहे हैं और एकल मुख्यालय के बजाय हब नेटवर्क को डिजाइन कर रहे हैं। इलियट ने आगे कहा कि वैश्विक अनिश्चितता और व्यवसाय परिवर्तन की आवश्यकता इस गतिविधि को धीमा करने के बजाय तेज कर रही है, क्योंकि कॉरपोरेट्स जानते हैं कि उन्हें वर्तमान मैक्रो एनवायरमेंट में सफल होने के लिए इसे सही करने की आवश्यकता है।


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