TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-06-2025

वाकई! विलुप्त हो जाएगा आपका स्मार्टफोन

  •  हाल के महीनों में सिलिकॉन वैली में चुप्पे-चाप एक बदलाव की पदचाप सुनाई दे रही है। टेक्नोलॉजी की सबसे दमदार आवाजें फ्यूचर के लिए एक नए विजन पर माथापच्ची कर रही हैं। लेकिन इस विजन में स्मार्टफोन शामिल नहीं है। आप जानते हैं पहला स्मार्टफोन 1992 में आईबीएम ने साइमन के नाम से डवलप किया था। हालांकि शुरुआत स्लो रही लेकिन पिछले करीब दो दशक से स्मार्टफोन छाया हुआ है। इसमें कैमरा से लेकर म्यूजिक प्लेयर और घड़ी तक ना जाने कितने गैजेट्स को बाजार से बाहर कर दिया। आम आदमी के लिए डिजिटल रेवॉल्यूशन क्या होती है स्मार्टफोन ने ही बताई है। लेकिन टेस्ला वाले एलन मस्क, फेसबुक वाले मार्क जुकरबर्ग, ओपनएआई वाले सैम ऑल्टमैन और माइक्रोसॉफ्ट वाले बिल गेट्स के लिए विजन फोर द फ्यूचर में थोड़ा अपग्रेड तो क्या स्मार्टफोन ही शामिल नहीं है। हालांकि इन चारों के भी अपनी ढपली अपना राग हैं और चारों एक कॉन्सेप्ट पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। टेस्ला वाले एलन मस्क न्यूरालिंक वाले ब्रेन इंप्लांट पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। डिजिटल टैटू से लेकर ऑगमेंटेड रियलिटी चश्मे तक की बात हो रही है। आपने नोट किया इनमें से कोई भी ऐसा कॉन्सेप्ट नहीं है जिसमें स्मार्टफोन जैसा टचस्क्रीन हो। आइडिया है सीधे विचार, नजर या यहां तक कि स्किन को इंटरफेस का जरिया बनाया जाए। न्यूरल लिंक और डिजिटल टैटू : न्यूरालिंक के फाउंडर एलन मस्क, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें यूजर केवल सोचने भर से मशीनों के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता है। कंपनी दो इंसानों में पहले ही न्यूरालिंक चिप इंफ्लांट कर चुकी है। इसका उद्देश्य गैजेट्स के फिजिकल कॉन्टेक्ट की जरूरत को पूरी तरह से समाप्त करना है। ना टैपिंग, ना क्लिक और ना ही स्वाइक - यहां तक कि वॉइस कमांड भी नहीं। यानी सोचा और काम हो गया।

    माइक्रोसॉफ्ट बिल गेट्स एक अलग तरह के इंटरफेस को सपोर्ट कर रहे हैं। टेक्सास की कंपनी कैओटिक मून इलेक्ट्रॉनिक टैटू डवलप कर रही है और गेट्स इसी को आगे बढ़ा रहे हैं। डिजिटल टैटू सीधे स्किन पर पहना जाता है। इन्हें नैनोसेंसर के जरिए डेटा कलेक्ट करने और ट्रांसमिट करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। डिजिटल टैटू का इस्तेमाल हेल्थ ट्रेकिंग से लेकर कम्यूनिकेशन और जियोलोकेशन तक में किया जा सकता है। ये टैटू शरीर को ही एक डिजिटल प्लेटफॉर्म में बदल देते हैं और आपको हाथ में स्मार्टफोन पकडऩे की जरूरत ही नहीं है। विजन-फस्र्ट कंप्यूटिंग : फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप वाली कंपनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग इनसे इतर ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लास (चश्मा) पर दांव लगा रहे हैं। उनका अनुमान है कि 2030 तक, ये ग्लास स्मार्टफोन की जगह प्राइमरी कंप्यूटर डिवाइस बन जाएंगे। कॉन्सेप्ट बहुत सिंपल है...डिजिटल कॉन्टेंट को सीधे यूजर की आंखों से सामने प्ले करना। देखने में ये एआर ग्लास बिल्कुल सादा चश्मे जैसे होते हैं और स्क्रीन पर नीचे देखने के बजाय, लोग ट्रांसपेरेंट डिस्प्ले के जरिए इंफॉर्मेशन, नेविगेशन टूल और कम्यूनिकेशन करेंगे। मार्क जकरबर्ग वैसे भी एआर और मेटावर्स स्पेस पर बड़ा दांव खेल रहे हैं। वे कहते हैं उनका टार्गेट स्क्रीन से आगे बढऩे का है। वे इंटरनेट कनेक्टिविटी और पर्सन टू पर्सन कम्यूनिकेशन को रीडिफाइन करना चाहते हैं। एपल का अलग रास्ता : एक ओर टेक दिग्गज रेवॉल्यूशनरी टेक्नोलॉजी पर दांव बढ़ा रहे हैं वहीं एपल के सीईओ टिम कुक रेवॉल्यूशन के बजाय फंक्शनैलिटी के साथ ही चिपके रहना चाहते हैं। कंपनी ने हाल ही आईफोन 16 लॉन्च किया है। यह स्मार्टफोन की एआई से लैस है। एपल की स्ट्रेटेजी रेवॉल्यूशन के बजाय इनोवेशन वाली है। कंपनी मौजूदा प्रॉडक्ट्स को अपग्रेड करते हुए धीरे-धीरे एआर और एआई पर आगे बढऩा चाहती है। एपल वैसे भी कुछ नया क्रांतिकारी करने के बजाय मौजूदा प्रॉडक्ट्स को ही नए रूप में पेश करने के लिए जानी जाती है। कुक कहते हैं कि हम उन चीजों को ही बेहतर बनाना चाहते हैं जिनका लोग पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं। वे डिसरप्शन नहीं डवलपमेंट को सपोर्ट करते हैं। टेक दिग्गजों में यह मतभेद हैं वे प्रॉडक्ट डिजाइन से आगे की बात है। मस्क, जुकरबर्ग, ऑल्टमैन और गेट्स बड़े क्रांतिकारी बदलाव को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें शरीर के भीतर एम्बेड हो जाने वाली टेक्नोलॉजी से लेकर माहौल के साथ सीमलैस कनेक्टिविटी तक को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि एपल स्मार्टफोन  को ही आगे नए रूप में सपोर्ट करते रहना चाहती है।

Share
वाकई! विलुप्त हो जाएगा आपका स्मार्टफोन

 हाल के महीनों में सिलिकॉन वैली में चुप्पे-चाप एक बदलाव की पदचाप सुनाई दे रही है। टेक्नोलॉजी की सबसे दमदार आवाजें फ्यूचर के लिए एक नए विजन पर माथापच्ची कर रही हैं। लेकिन इस विजन में स्मार्टफोन शामिल नहीं है। आप जानते हैं पहला स्मार्टफोन 1992 में आईबीएम ने साइमन के नाम से डवलप किया था। हालांकि शुरुआत स्लो रही लेकिन पिछले करीब दो दशक से स्मार्टफोन छाया हुआ है। इसमें कैमरा से लेकर म्यूजिक प्लेयर और घड़ी तक ना जाने कितने गैजेट्स को बाजार से बाहर कर दिया। आम आदमी के लिए डिजिटल रेवॉल्यूशन क्या होती है स्मार्टफोन ने ही बताई है। लेकिन टेस्ला वाले एलन मस्क, फेसबुक वाले मार्क जुकरबर्ग, ओपनएआई वाले सैम ऑल्टमैन और माइक्रोसॉफ्ट वाले बिल गेट्स के लिए विजन फोर द फ्यूचर में थोड़ा अपग्रेड तो क्या स्मार्टफोन ही शामिल नहीं है। हालांकि इन चारों के भी अपनी ढपली अपना राग हैं और चारों एक कॉन्सेप्ट पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। टेस्ला वाले एलन मस्क न्यूरालिंक वाले ब्रेन इंप्लांट पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। डिजिटल टैटू से लेकर ऑगमेंटेड रियलिटी चश्मे तक की बात हो रही है। आपने नोट किया इनमें से कोई भी ऐसा कॉन्सेप्ट नहीं है जिसमें स्मार्टफोन जैसा टचस्क्रीन हो। आइडिया है सीधे विचार, नजर या यहां तक कि स्किन को इंटरफेस का जरिया बनाया जाए। न्यूरल लिंक और डिजिटल टैटू : न्यूरालिंक के फाउंडर एलन मस्क, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें यूजर केवल सोचने भर से मशीनों के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता है। कंपनी दो इंसानों में पहले ही न्यूरालिंक चिप इंफ्लांट कर चुकी है। इसका उद्देश्य गैजेट्स के फिजिकल कॉन्टेक्ट की जरूरत को पूरी तरह से समाप्त करना है। ना टैपिंग, ना क्लिक और ना ही स्वाइक - यहां तक कि वॉइस कमांड भी नहीं। यानी सोचा और काम हो गया।

माइक्रोसॉफ्ट बिल गेट्स एक अलग तरह के इंटरफेस को सपोर्ट कर रहे हैं। टेक्सास की कंपनी कैओटिक मून इलेक्ट्रॉनिक टैटू डवलप कर रही है और गेट्स इसी को आगे बढ़ा रहे हैं। डिजिटल टैटू सीधे स्किन पर पहना जाता है। इन्हें नैनोसेंसर के जरिए डेटा कलेक्ट करने और ट्रांसमिट करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। डिजिटल टैटू का इस्तेमाल हेल्थ ट्रेकिंग से लेकर कम्यूनिकेशन और जियोलोकेशन तक में किया जा सकता है। ये टैटू शरीर को ही एक डिजिटल प्लेटफॉर्म में बदल देते हैं और आपको हाथ में स्मार्टफोन पकडऩे की जरूरत ही नहीं है। विजन-फस्र्ट कंप्यूटिंग : फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप वाली कंपनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग इनसे इतर ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लास (चश्मा) पर दांव लगा रहे हैं। उनका अनुमान है कि 2030 तक, ये ग्लास स्मार्टफोन की जगह प्राइमरी कंप्यूटर डिवाइस बन जाएंगे। कॉन्सेप्ट बहुत सिंपल है...डिजिटल कॉन्टेंट को सीधे यूजर की आंखों से सामने प्ले करना। देखने में ये एआर ग्लास बिल्कुल सादा चश्मे जैसे होते हैं और स्क्रीन पर नीचे देखने के बजाय, लोग ट्रांसपेरेंट डिस्प्ले के जरिए इंफॉर्मेशन, नेविगेशन टूल और कम्यूनिकेशन करेंगे। मार्क जकरबर्ग वैसे भी एआर और मेटावर्स स्पेस पर बड़ा दांव खेल रहे हैं। वे कहते हैं उनका टार्गेट स्क्रीन से आगे बढऩे का है। वे इंटरनेट कनेक्टिविटी और पर्सन टू पर्सन कम्यूनिकेशन को रीडिफाइन करना चाहते हैं। एपल का अलग रास्ता : एक ओर टेक दिग्गज रेवॉल्यूशनरी टेक्नोलॉजी पर दांव बढ़ा रहे हैं वहीं एपल के सीईओ टिम कुक रेवॉल्यूशन के बजाय फंक्शनैलिटी के साथ ही चिपके रहना चाहते हैं। कंपनी ने हाल ही आईफोन 16 लॉन्च किया है। यह स्मार्टफोन की एआई से लैस है। एपल की स्ट्रेटेजी रेवॉल्यूशन के बजाय इनोवेशन वाली है। कंपनी मौजूदा प्रॉडक्ट्स को अपग्रेड करते हुए धीरे-धीरे एआर और एआई पर आगे बढऩा चाहती है। एपल वैसे भी कुछ नया क्रांतिकारी करने के बजाय मौजूदा प्रॉडक्ट्स को ही नए रूप में पेश करने के लिए जानी जाती है। कुक कहते हैं कि हम उन चीजों को ही बेहतर बनाना चाहते हैं जिनका लोग पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं। वे डिसरप्शन नहीं डवलपमेंट को सपोर्ट करते हैं। टेक दिग्गजों में यह मतभेद हैं वे प्रॉडक्ट डिजाइन से आगे की बात है। मस्क, जुकरबर्ग, ऑल्टमैन और गेट्स बड़े क्रांतिकारी बदलाव को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें शरीर के भीतर एम्बेड हो जाने वाली टेक्नोलॉजी से लेकर माहौल के साथ सीमलैस कनेक्टिविटी तक को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि एपल स्मार्टफोन  को ही आगे नए रूप में सपोर्ट करते रहना चाहती है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news