जापान की स्पोट्र्सवीयर कंपनी एसिक्स का नाम आपने सुना होगा। अमेरिका की नाइकी दरअसल 1949 में जापान में शुरू हुई इस कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटर थी। फिर 1964 में नाइकी ने अपना बिजनस शुरू कर लिया। नाइके और एसिक्स के बीच डिजाइन और ट्रेडमार्क चोरी को लेकर लंबा विवाद भी चला था। आज नाइकी का रेवेन्यू 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है वहीं एसिक्स का 4.5 बिलियन डॉलर का। खैर...खबर यह है कि एसिक्स भारत में अपने प्रॉडक्शन को बढ़ाने के प्लान पर काम कर रही है। कंपनी का प्लान सप्लाई चेन को स्ट्रीमलाइन करने के लिए लोकल प्रॉडक्शन में 30-40 परसेंट इजाफा करने का है। आपको याद होगा भारत सरकार ने पिछले साल फुटवीयर की क्वॉलिटी बेंचमार्किंग कर दी थी। जिसके तहत देशी और विदेशी दोनों उत्पादकों को क्वॉलिटी सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। यानी अब भारत में इन स्टेंडर्ड्स पर बने फुटवीयर ही बिक सकते हैं। चूंकि इंपोर्ट मुश्किल हो रहा है इसलिए एसिक्स को भारत में अपना प्रॉडक्शन बढ़ाना पड़ रहा है। फिलहाल एसिक्स ने भारत में इंपोर्ट बंद कर दिया है। एसिक्स इंडिया के एमडी रजत खुराना के अनुसार चैलेंजिंग हालातों को देखते हुए कंपनी लोकल मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम डवलप कर रही है। वित्तीय वर्ष 25 में एसिक्स ने ग्लोबल ब्रांड्स को सिंगल ब्रांड स्टोर चलाने के लिए जरूरी 30 परसेंट लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लेवल को हासिल कर लिया था। भारत में एसिक्स के करीब 125 स्टोर हैं और इस वर्ष अपना पहला कोको (कंपनी ओन्ड कंपनी ऑपरेटेड) स्टोर खोलने का प्लान है। एसिक्स भारत में नाइकी, एडिडास, और स्केचर्स यूएसए जैसे ग्लोबल ब्रांड्स के साथ मुकाबले में है। कंपनी एग्रेसिव एक्सपांशन प्लान को देखते हुए हर महीने तीन फ्रेंचाइज स्टोर खोलना चाहती है। वित्त वर्ष 25 में एसिक्स की सेल 26 परसेंट ग्रोथ के साथ करीब 5 करोड़ डॉलर रही थी। इस साल कंपनी 35 से 37% रेवेन्यू ग्रोथ का टार्गेट लेकर चल रही है। डेलॉइट की 2024 रिपोर्ट में कहा है कि भारत में स्पोर्ट्सवीयर और स्पोर्ट्सगुड्स का मार्केट 2023 के मुकाबले दोगुना होकर 2030 तक 58 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।