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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

19-06-2025

इन्फ्लुएंसर से मार्केटिंग में बढ़ रहा .िजंग

  •  .िजंग यानी जोश। भारत का डिजिटिल कॉन्टेंट इकोसिस्टम तेजी से मैच्यॉर हो रहा है। जिससे ब्रांड ओनर्स की इंफ्लूएंसर मार्केटिंग पर निर्भरता बढ़ रही है। ब्यूटी से लेकर बैंकिंग और लोन से लेकर इंश्योरेंस तक हर सैक्टर में ब्रांड प्रमोशन में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का दखल बढ़ रहा है। इंडिया इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग रिपोर्ट 2025 के अनुसार कॉन्टेंट क्रिएटर्स पर कुल खर्च 2024 में 3,600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया कि 92 परसेंट ब्रांड्स 2025 में इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग पर अपने खर्च को और बढ़ाने के प्लान पर काम कर रहे हैं। यह सेक्टर 2024 से 2026 के बीच हर साल 25 परसेंट की ग्रोथ रेट से बढ़ेगा। अन्स्र्ट एंड यंग 2024 की एक रिपोर्ट कहती है इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग का बाजार 2023 में 1,875 करोड़ रुपये से बढक़र 2024 में 2,344 करोड़ रुपये हो गया। 2022 में इसका आकार 1,500 करोड़ रुपये था। वल्र्ड लेवल पर इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री का आकार वर्ष 2022 में 16.4  बिलियन डॉलर का था जो वर्ष 2023 में 29 परसेंट बढक़र 21.1 बिलियन डॉलर का हो गया। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे ब्रांड्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिनका मानना है कि इन्फ्लूएंसर का कस्टमर कनेक्ट अच्छा होता है और इससे सेल्स कन्वर्जन में मदद मिलती है। जहां पहले इंफ्लूएंसर मार्केटिंग का दखल ज्यादातर बी2सी (बिजनस-टू-कंज्यूमर) सैगमेंट में ही था लेकिन 2024 में बी2बी (बिजनस-टू-बिजनस) कैटेगरी में भी इन्फ्लुएंसर पार्टनरशिप में तेज ग्रोथ हुई है। वर्ष 2020 में केवल 31 परसेंट बी2बी कंपनियां ही इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग का इस्तेमाल कर रही थीं जो अब 82 परसेंट हो गई हैं। दस हजार  से 1 लाख फॉलोवर वाले माइक्रो इन्फ्लुएंसर्स छोटे शहरों से हैं और उनका ऑडियंस एंगेजमेंट लेवल बहुत हाई है। वहीं 1 लाख से 10 लाख फॉलोवर वाले मैक्रो इन्फ्लूएंसर बड़े ब्रांड्स के लिए ब्रांड सेफ्टी और ब्रांड विजिबिलिटी के लिए उपयोगी हैं। रिपोर्ट बताती है कि ऑॅटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी बिग टिकट कैटेगरी में 85 परसेंट कंपनियां माइक्रो इन्फ्लूएंसर में इंवेस्टमेंट बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। लेकिन 4-5 परसेंट फेसबुक और 9-10 परसेंट इंस्टाग्राम अकाउंट्स फर्जी है ऐसे में उनके रीच और एंगेजमेंट के आंकड़े भी फर्जी हो सकते हैं। चेक (ष्ट॥श्वक्त) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 1.3 बिलियन डॉलर का मार्केटिंग खर्च फेक फॉलोवर्स पर बर्बाद होता है।  वर्ष 2020 में भारत में 9.6 लाख इन्फ्लुएंसर थे, जो 2024 में 322 परसेंट बढक़र 40.6 लाख हो गए। इनमें से ज्यादातर नैनो क्रिएटर्स हैं। वहीं केवल 30 हजार ही मेगा या सेलिब्रिटी इन्फ्लूएंसर कैटेगरी में आते हैं।

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इन्फ्लुएंसर से मार्केटिंग में बढ़ रहा .िजंग

 .िजंग यानी जोश। भारत का डिजिटिल कॉन्टेंट इकोसिस्टम तेजी से मैच्यॉर हो रहा है। जिससे ब्रांड ओनर्स की इंफ्लूएंसर मार्केटिंग पर निर्भरता बढ़ रही है। ब्यूटी से लेकर बैंकिंग और लोन से लेकर इंश्योरेंस तक हर सैक्टर में ब्रांड प्रमोशन में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का दखल बढ़ रहा है। इंडिया इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग रिपोर्ट 2025 के अनुसार कॉन्टेंट क्रिएटर्स पर कुल खर्च 2024 में 3,600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया कि 92 परसेंट ब्रांड्स 2025 में इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग पर अपने खर्च को और बढ़ाने के प्लान पर काम कर रहे हैं। यह सेक्टर 2024 से 2026 के बीच हर साल 25 परसेंट की ग्रोथ रेट से बढ़ेगा। अन्स्र्ट एंड यंग 2024 की एक रिपोर्ट कहती है इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग का बाजार 2023 में 1,875 करोड़ रुपये से बढक़र 2024 में 2,344 करोड़ रुपये हो गया। 2022 में इसका आकार 1,500 करोड़ रुपये था। वल्र्ड लेवल पर इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग इंडस्ट्री का आकार वर्ष 2022 में 16.4  बिलियन डॉलर का था जो वर्ष 2023 में 29 परसेंट बढक़र 21.1 बिलियन डॉलर का हो गया। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे ब्रांड्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिनका मानना है कि इन्फ्लूएंसर का कस्टमर कनेक्ट अच्छा होता है और इससे सेल्स कन्वर्जन में मदद मिलती है। जहां पहले इंफ्लूएंसर मार्केटिंग का दखल ज्यादातर बी2सी (बिजनस-टू-कंज्यूमर) सैगमेंट में ही था लेकिन 2024 में बी2बी (बिजनस-टू-बिजनस) कैटेगरी में भी इन्फ्लुएंसर पार्टनरशिप में तेज ग्रोथ हुई है। वर्ष 2020 में केवल 31 परसेंट बी2बी कंपनियां ही इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग का इस्तेमाल कर रही थीं जो अब 82 परसेंट हो गई हैं। दस हजार  से 1 लाख फॉलोवर वाले माइक्रो इन्फ्लुएंसर्स छोटे शहरों से हैं और उनका ऑडियंस एंगेजमेंट लेवल बहुत हाई है। वहीं 1 लाख से 10 लाख फॉलोवर वाले मैक्रो इन्फ्लूएंसर बड़े ब्रांड्स के लिए ब्रांड सेफ्टी और ब्रांड विजिबिलिटी के लिए उपयोगी हैं। रिपोर्ट बताती है कि ऑॅटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसी बिग टिकट कैटेगरी में 85 परसेंट कंपनियां माइक्रो इन्फ्लूएंसर में इंवेस्टमेंट बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। लेकिन 4-5 परसेंट फेसबुक और 9-10 परसेंट इंस्टाग्राम अकाउंट्स फर्जी है ऐसे में उनके रीच और एंगेजमेंट के आंकड़े भी फर्जी हो सकते हैं। चेक (ष्ट॥श्वक्त) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 1.3 बिलियन डॉलर का मार्केटिंग खर्च फेक फॉलोवर्स पर बर्बाद होता है।  वर्ष 2020 में भारत में 9.6 लाख इन्फ्लुएंसर थे, जो 2024 में 322 परसेंट बढक़र 40.6 लाख हो गए। इनमें से ज्यादातर नैनो क्रिएटर्स हैं। वहीं केवल 30 हजार ही मेगा या सेलिब्रिटी इन्फ्लूएंसर कैटेगरी में आते हैं।


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