आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) ने रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25 परसेंट करने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के इस फैसले से लोन सस्ता होगा, जिससे ईएमई घटेगी और बचत को बढ़ावा मिलेगा। इससे पहले 1 अक्टूबर को हुई एमपीसी की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए इसे 5.5' पर स्थिर रखा था। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने देश की इकोनॉमी को रेयर गोल्डीलॉक्स पीरियड कहा है। गोल्डीलॉक्स यानी सब चंगा सी। लेकिन देश के सामने रिकॉर्ड लेवल तक गिर चुका रुपया बड़ा चैलेंज है जिससे इंपोर्ट महंगे होंगे। उन्होंने कहा, अक्टूबर 2025 की पॉलिसी के बाद से महंगाई को काफी हम होते देखा गया है। मौजूदा ग्रोथ इन्फ्लेशन डायनामिक्स एक दुर्लभ गोल्डीलॉक्स पीरियड दिखाते हैं, ग्रोथ मजबूत बनी हुई है। इकोनॉमिक्स की भाषा में गोल्डीलॉक्स उस दौर को कहा जाता है, जब महंगाई काबू में रहे और ग्रोथ रेट भी बरकरार रहे। यह शब्द बच्चों की कहानी गोल्डीलॉक्स एंड द थ्री बेयर्स से लिया गया है. इसमें गोल्डीलॉक्स तीन कटोरे में परोसे गए दलिया को आजमाती हैं, जिसमें एक बहुत गर्म, एक बिल्कुल ठंडा और एक न बहुत ठंडा और न ज्यादा गर्म होता है। गोल्डीलॉक्स तीसरे कटोरे वाले दलिया को खा जाती है। भारत की इकोनॉमी का भी हाल अभी कुछ ऐसा ही है। स्थिर आर्थिक विकास का क्रम बना हुआ है, जिसने मंदी को रोक रखा है और लेकिन इतना भी तेज नहीं कि महंगाई बढ़ जाए। यानी कि विकास की रफ्तार बैलेंस्ड और स्थिर है। आरबीआई इस साल फरवरी से लेकर जून के बीच रेपो रेट में कुल 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर चुका है जिससे यह सीधे 6.5 परसेंट से इसे 5.5 परसेंट पर आ गई। हालांकि अगस्त और अक्टूबर में हुई बैठकों में पॉलिसी रेट्स को बरकरार रखा गया था। आरबीआई ने 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 6.8 से बढ़ाकर 7.3 परसेंट कर दिया है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब रुपया गिरकर 89-90 प्रति डॉलर के आसपास पहुंच गया है। इसके बावजूद आरबीआई के पास $686 बिलियन का रिजर्व है, जो 11 महीने से अधिक के इंपोर्ट के लिए काफी है।
