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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-12-2025

चीन ऐसे कर रहा ग्लोबल ऑटो मार्केट की चर्निंग

  •  मेड इन चायना ईवी ने चीन के 50 परसेंट पीवी मार्केट में पर कब्जा जमा लिया है। नतीजा ग्लोबल दिग्गज जो चीन को अपना सबसे मजबूत किला बता रहे थे अब पैनिक बटन दबाकर पेट्रोल (आइस) कारों के लिए चायना के इतर नए ग्रोथ मार्केट्स डवलप करने में लगे हैं। लेकिन चीन के इस ईवी अटैक से केवल विदेशी कंपनियां ही नहीं हारी हैं बल्कि चीन की अपनी लीगेसी आइस कार कंपनियों के लिए बड़ा क्राइसिस खड़ा हो गया है। ऐसे में इन कंपनियों ने अपने अनसोल्ड स्टॉक और बिक नहीं सकने वाली गाडिय़ों को ग्लोबल मार्केट्स में झोंकना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने तो चीनी ईवी को घुसने ही नहीं दिया वहीं यूरोप के देश टैरिफ वॉल को ऊंचा कर चुके हैं। फिर भी अमेरिका और यूरोप के ऑटोमेकर्स पोलैंड से लेकर दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड से लेकर तुर्की तक चीन की पेट्रोल कारों से तगड़ा हेडविंड (हमला) झेलना पड़ रहा है। वर्ष 2020 से अब तक चीन के कुल ऑटो एक्सपोर्ट में पेट्रोल कारों का शेयर 76 परसेंट रहा है। ऑटोमोबिलिटी का डेटा कहता है कि मेड इन चायना पेट्रोल कारों का सालाना एक्सपोर्ट वॉल्यूम 10 लाख से बढक़र इस वर्ष संभवत: 65 लाख के लेवल को भी पार कर सकता है। ईवी पर सब्सिडी ने फोक्सवैगन, जीएम और निसान जैसी विदेशी कंपनियों के मार्केट को खत्म कर दिया है। ईवी और प्लग-इन-हाइब्रिड्स को छोड़ दें तो भी चीन दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो-एक्सपोर्टर बन गया। चीन के सबसे बड़े कार एक्सपोर्टरों में साइक, बाइक, डोंगफेंग और चांगान जैसी वे सरकारी कंपनियां शामिल हैं जो कभी टेक्नोलॉजी के लिए ग्लोबल दिग्गजों पर निर्भर थीं। लेकिन जब से बीवाईडी ने अपने इनोवेटिव बिजनस मॉडल को धरती पर उतारा है लीगेसी कंपनियों के जेवी फेल हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर साइक-जीएम की चीन में सेल्स वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच 14 लाख से घटकर 4.35 लाख यूनिट्स पर आ गई। ये कंपनियां अब एक्सपोर्ट मार्केट में अपना माल झोंक रही हैं। साइक का सालाना एक्सपोर्ट इन सालों में 4 लाख सालाना से बढक़र 10 लाख यूनिट्स का हो गया है। डोंगफेंग के होंडा और निसान से साथ जेवी की चीन में सेल गिर रही है। पूर्वी यूरोप, लेटिन अमेरिका और अफ्रीका के देश चीन की इन कार कंपनियों के लिए जैकपॉट साबित हो रहे हैं क्योंकि यहां अभी भी पेट्रोल कार का दबदबा है।  चीन की टॉप कार एक्सपोर्टर चेरी की एक्सपोर्ट सेल्स 2020 से 2024 के बीच 7.3 लाख से बढक़र 26 लाख हो गई। हालांकि बीवाईडी जैसी कंपनियों के दम पर चीन के ईवी मॉडलों ने एक्सपोर्ट मार्केट में तगड़ी सेंध लगाई है लेकिन पेट्रोल वेहीकल्स की भी फ्लडिंग हो रही है। अमेरिका और यूरोप के देश चीन के चैलेंज को ईवी तक सीमित करके देख रहे हैं लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि चीन की पेट्रोल कार कंपनियां ग्लोबल कंपनियों के दूसरे मार्केट्स को भी निगल रही हैं।

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चीन ऐसे कर रहा ग्लोबल ऑटो मार्केट की चर्निंग

 मेड इन चायना ईवी ने चीन के 50 परसेंट पीवी मार्केट में पर कब्जा जमा लिया है। नतीजा ग्लोबल दिग्गज जो चीन को अपना सबसे मजबूत किला बता रहे थे अब पैनिक बटन दबाकर पेट्रोल (आइस) कारों के लिए चायना के इतर नए ग्रोथ मार्केट्स डवलप करने में लगे हैं। लेकिन चीन के इस ईवी अटैक से केवल विदेशी कंपनियां ही नहीं हारी हैं बल्कि चीन की अपनी लीगेसी आइस कार कंपनियों के लिए बड़ा क्राइसिस खड़ा हो गया है। ऐसे में इन कंपनियों ने अपने अनसोल्ड स्टॉक और बिक नहीं सकने वाली गाडिय़ों को ग्लोबल मार्केट्स में झोंकना शुरू कर दिया है। अमेरिका ने तो चीनी ईवी को घुसने ही नहीं दिया वहीं यूरोप के देश टैरिफ वॉल को ऊंचा कर चुके हैं। फिर भी अमेरिका और यूरोप के ऑटोमेकर्स पोलैंड से लेकर दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड से लेकर तुर्की तक चीन की पेट्रोल कारों से तगड़ा हेडविंड (हमला) झेलना पड़ रहा है। वर्ष 2020 से अब तक चीन के कुल ऑटो एक्सपोर्ट में पेट्रोल कारों का शेयर 76 परसेंट रहा है। ऑटोमोबिलिटी का डेटा कहता है कि मेड इन चायना पेट्रोल कारों का सालाना एक्सपोर्ट वॉल्यूम 10 लाख से बढक़र इस वर्ष संभवत: 65 लाख के लेवल को भी पार कर सकता है। ईवी पर सब्सिडी ने फोक्सवैगन, जीएम और निसान जैसी विदेशी कंपनियों के मार्केट को खत्म कर दिया है। ईवी और प्लग-इन-हाइब्रिड्स को छोड़ दें तो भी चीन दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो-एक्सपोर्टर बन गया। चीन के सबसे बड़े कार एक्सपोर्टरों में साइक, बाइक, डोंगफेंग और चांगान जैसी वे सरकारी कंपनियां शामिल हैं जो कभी टेक्नोलॉजी के लिए ग्लोबल दिग्गजों पर निर्भर थीं। लेकिन जब से बीवाईडी ने अपने इनोवेटिव बिजनस मॉडल को धरती पर उतारा है लीगेसी कंपनियों के जेवी फेल हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर साइक-जीएम की चीन में सेल्स वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच 14 लाख से घटकर 4.35 लाख यूनिट्स पर आ गई। ये कंपनियां अब एक्सपोर्ट मार्केट में अपना माल झोंक रही हैं। साइक का सालाना एक्सपोर्ट इन सालों में 4 लाख सालाना से बढक़र 10 लाख यूनिट्स का हो गया है। डोंगफेंग के होंडा और निसान से साथ जेवी की चीन में सेल गिर रही है। पूर्वी यूरोप, लेटिन अमेरिका और अफ्रीका के देश चीन की इन कार कंपनियों के लिए जैकपॉट साबित हो रहे हैं क्योंकि यहां अभी भी पेट्रोल कार का दबदबा है।  चीन की टॉप कार एक्सपोर्टर चेरी की एक्सपोर्ट सेल्स 2020 से 2024 के बीच 7.3 लाख से बढक़र 26 लाख हो गई। हालांकि बीवाईडी जैसी कंपनियों के दम पर चीन के ईवी मॉडलों ने एक्सपोर्ट मार्केट में तगड़ी सेंध लगाई है लेकिन पेट्रोल वेहीकल्स की भी फ्लडिंग हो रही है। अमेरिका और यूरोप के देश चीन के चैलेंज को ईवी तक सीमित करके देख रहे हैं लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि चीन की पेट्रोल कार कंपनियां ग्लोबल कंपनियों के दूसरे मार्केट्स को भी निगल रही हैं।


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