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11-12-2025

केलेंडर ईयर 2025 आईपीओ के जरिए कंपनियों ने अब जुटाए 19.6 बिलियन डॉलर

  •  भारत में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के जरिए 2025 में अब तक कंपनियां 1.77 लाख करोड़ रुपए (19.6 बिलियन डॉलर) जुटाने में सफल रही हैं, जो कि 2024 से मामूली रूप से ज्यादा है। यह दिखाता है कि पब्लिक इश्यू को लेकर निवेशकों का रुझान बना हुआ है। इस साल के समाप्त होने तक यह आंकड़ा और बढऩे की उम्मीद है, क्योंकि इस सप्ताह ही पांच नए आईपीओ खुल रहे हैं, जिसमें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी का 1.2 बिलियन डॉलर का आईपीओ शामिल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में 2024 में आईपीओ के जरिए कंपनियों ने 1.73 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। यह बढ़ोतरी दिखाती है कि भारतीय बाजार का तेजी से विस्तार हो रहा है और निवेशकों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियां वैश्विक परिस्थितियों के कठिन होने से पहले ही फंडिंग हासिल करने के लिए आईपीओ की बढ़ती मांग का इस्तेमाल कर रही हैं और भारत ने कंपनियों के लिए लिस्टिंग की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। सेकंडरी मार्केट में रिकॉर्ड संख्या में भारतीय शेयर बेचने के बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशक आईपीओ में सक्रिय भागीदार बने हुए हैं। प्राइमरी मार्केट्स में एफआईआई के उत्साह ने विभिन्न क्षेत्रों और बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों को ऊंचे मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने में मदद की है। इस साल अब तक सूचीबद्ध 300 से ज्यादा कंपनियों में से लगभग आधी कंपनियां अपने आईपीओ के समय के ऑफर प्राइस से नीचे कारोबार कर रही हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को प्री-आईपीओ गिरवी शेयरों को लॉक-इन करने और सार्वजनिक निर्गम प्रकटीकरण को सरल बनाने से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए प्रमुख सुधारों का प्रस्ताव रखा। सेबी ने जारीकर्ता के निर्देशों के अनुसार, डिपॉजिटरी को गिरवी रखे गए शेयरों को लॉक-इन अवधि के लिए ‘गैर-हस्तांतरणीय’ के रूप में नामित करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है।

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केलेंडर ईयर 2025 आईपीओ के जरिए कंपनियों ने अब जुटाए 19.6 बिलियन डॉलर

 भारत में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के जरिए 2025 में अब तक कंपनियां 1.77 लाख करोड़ रुपए (19.6 बिलियन डॉलर) जुटाने में सफल रही हैं, जो कि 2024 से मामूली रूप से ज्यादा है। यह दिखाता है कि पब्लिक इश्यू को लेकर निवेशकों का रुझान बना हुआ है। इस साल के समाप्त होने तक यह आंकड़ा और बढऩे की उम्मीद है, क्योंकि इस सप्ताह ही पांच नए आईपीओ खुल रहे हैं, जिसमें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी का 1.2 बिलियन डॉलर का आईपीओ शामिल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में 2024 में आईपीओ के जरिए कंपनियों ने 1.73 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। यह बढ़ोतरी दिखाती है कि भारतीय बाजार का तेजी से विस्तार हो रहा है और निवेशकों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियां वैश्विक परिस्थितियों के कठिन होने से पहले ही फंडिंग हासिल करने के लिए आईपीओ की बढ़ती मांग का इस्तेमाल कर रही हैं और भारत ने कंपनियों के लिए लिस्टिंग की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। सेकंडरी मार्केट में रिकॉर्ड संख्या में भारतीय शेयर बेचने के बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशक आईपीओ में सक्रिय भागीदार बने हुए हैं। प्राइमरी मार्केट्स में एफआईआई के उत्साह ने विभिन्न क्षेत्रों और बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों को ऊंचे मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने में मदद की है। इस साल अब तक सूचीबद्ध 300 से ज्यादा कंपनियों में से लगभग आधी कंपनियां अपने आईपीओ के समय के ऑफर प्राइस से नीचे कारोबार कर रही हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को प्री-आईपीओ गिरवी शेयरों को लॉक-इन करने और सार्वजनिक निर्गम प्रकटीकरण को सरल बनाने से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए प्रमुख सुधारों का प्रस्ताव रखा। सेबी ने जारीकर्ता के निर्देशों के अनुसार, डिपॉजिटरी को गिरवी रखे गए शेयरों को लॉक-इन अवधि के लिए ‘गैर-हस्तांतरणीय’ के रूप में नामित करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है।


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