कुछ साल पहले डेनमार्क को घटती आबादी को देखते हुए...डू इट फोर डेनमार्क...केंपेन चलाना पड़ा था। जापान और साउथ कोरिया के हालात बेहद विकट है। चीन लाख कोशिशों के बावजूद परिवार बढ़ाने के लिए युवाओं को जगा नहीं पा रहा है। अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप 1 हजार डॉलर का चाइल्ड इंसेंटिव घोषित कर चुके हैं। लेकिन इतना दूर क्यों जाना। भारत में ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने पिछले कार्यकाल में घटती आबादी के अर्ली ट्रेंड्स को पकड़ते हुए इसे रोकने के लिए एक्शन प्लान लाने की बात कही थी। भारत को अब तक डेमोग्राफिक डिविडेंड वाला देश माना जाता रहा है लेकिन यह किस तेजी से डेफिसिट (घाटा) में बदल रहा है इसका अंदाजा भारत सरकार के एक टेक्निकल ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी राज्यों में कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट — टीएफआर) के 2035 तक 2.1 के रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे जाने का अनुमान है। सरकार के टेक्निकल ग्रुप ऑन पॉपुलेशन प्रोजेक्शंस (टीजीपीपी) की पॉपुलेशन प्रोजेक्शंस फॉर इंडिया एंड स्टेट्स 2011-2036 रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल टीएफआर 2031-2035 के बीच केवल 1.73 रह जाएगा। वर्ष 2011-2015 के दौरान भारत का टीएफआर 2.37 था। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर और दिल्ली जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में 2035 तक टीएफआर के घटकर 1.50 रहने का अनुमान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीएफआर दरअसल प्रतिमहिला बच्चों के जन्म की वह औसत संख्या है मौतों के कारण घटती आबादी को स्थिर रखने के लिए जरूरी है। संगठन के लिए आबादी को घटने से थामने के लिए प्रति महिला 2.1 जन्म होना जरूरी है। लगभग सभी राज्यों में 2035 तक टीएफआर के 2.1 से नीचे जाने की आशंका है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु का टीएफआर 1.51 तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि कर्नाटक और उत्तराखंड में यह 1.60 रह सकता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों (असम को छोडक़र) में टीएफआर के लगभग 1.61 रहने का अनुमान है, जबकि असम में यह स्तर 1.83 रह सकता है। बिहार ऐसा एकमात्र राज्य होगा, जहां 2035 तक टीएफआर 2.38 प्रति महिला के स्तर के ऊपर रहने की संभावना जताई गई है।
