इंडिया-यूएस ट्रेड डील को लेकर बड़ा कंफ्यूजन मचा हुआ है। ट्रंप तो ट्रंप ठहरे, दावा है भारत के साथ ट्रेड डील होने वाली है। लेकिन भारत सरकार ऐसा कोई इशारा नहीं कर रही। चर्चा है कि ट्रेड डील की गाड़ी एग्रीकल्चर सैक्टर में फंस गई है। 9 जुलाई अब कोई ज्यादा दूर भी नहीं है। यदि बात नहीं बनी तो 26 परसेंट टैरिफ तो पहले से तय है। प्रेसिडेंट डॉनाल्ड ट्रंप द्वारा आर्म ट्विस्ट (बांह मरोडऩे) के बावजूद भारत ने अमेरिका के एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट्स डेयरी, सूअर का मांस (पोर्क) और जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) अनाज को मार्केट एक्सैस देने के दबाव को मानने से इंकार कर दिया है। भारत सरकार के अनुसार इस डील में सबसे बड़े स्पॉइलस्पोर्ट एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट्स को मार्केट एक्सैस देने को लेकर ट्रंप प्रशासन का दबाव है। भारत का कहना है कि इन मांगों को मानना उसके लिए संभव नहीं है, क्योंकि यह देश की फूड सिक्यॉरिटी, फूड सिस्टम, सांस्कृतिक संवेदना और घरेलू किसानों के हितों के खिलाफ हैं। वैसे भी भारत में सिर्फ जीएम कॉटन की ही कॉमर्शियल कल्टीवेशन को कानूनी मंजूरी मिली हुई है किसी खाद्य फसल को नहीं। भारत सरकार को उम्मीद थी कि मिनी ड्राफ्ट पर समझौता हो जाता है तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की संभावित भारत यात्रा से पहले फुल डील की घोषणा की जा सकती है। लेकिन एग्रीकल्चर, डेयरी और पॉल्ट्री प्रॉडक्ट्स को लेकर समझौता नहीं हो पा रहा है। बात सिर्फ भारत की ही नहीं है जापान ने भी ट्रंप के दबाव के बावजूद अमेरिकी चावल का इंपोर्ट बढ़ाने से इंकार कर दिया है। आप जानते हैं जापान चावल की भयंकर कमी से जूझ रहा है और 5 किलो स्टिकी राइस का पैक तीन गुना होकर 2500 रुपये तक पहुंच गया है। जापान ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से 30 लाख टन चावल खरीदने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया है। एक ओर जापान खरीदने के लिए भारत से बात कर रहा है दूसरी ओर अमेरिका को मना कर रहा है। पिछले दिनों ट्रंप ने अपने सोशियल मीडिया पर दावा कर दिया था कि चीन के साथ ट्रेड डील हो गई है लेकिन चीन इस दावे पर प्रतिक्रिया तक देना जरूरी नहीं समझा। गौरतलब है कि अमेरिका ने पहले भारत को चेताया था कि यदि डील नहीं होती है तो 2019 में लगाए गए टैरिफ फिर से लागू हो सकते हैं। ट्रंप प्रशासन ने उस समय भारतीय एल्यूमिनियम और स्टील उत्पादों पर 25-26 परसेंट टेक्स लगा दिया था। भारत की ट्रेड टीम इन दिनों अमेरिका में ही है और दोनों पक्ष कम से कम ड्राफ्ट तैयार कर लेने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि रिपोर्ट कहती हैं कि दोनोंं पक्षों के बीच ट्रेड डील को लेकर संघर्ष की स्थिति बन गई है। अमेरिकी पक्ष चाह रहा है कि भारत संवेदनशील कृषि क्षेत्रों में उदारीकरण करे, जबकि भारत के लिए यह बिल्कुल नो-गो (कोई समझौता संभव नहीं) वाला मामला है। हालांकि एनेलिस्ट कहते हैं कि डील नहीं होने की स्थिति में यदि ट्रंप प्रशासन 26 परसेंट टैरिफ लगा भी देता है तो भारत के हालात अन्य देशों से बेहतर होंगे बशर्ते ट्रंप सौ परसेंट...पांच सौ परसेंट टैक्स लगाने की बात ना करने लगें। हालांकि रिपोर्ट कहती हैं कि करीब एक दर्जन देशों के साथ 9 जुलाई तक अमेरिका की ट्रेड डील हो जाने की उम्मीद है। पिछले सप्ताह कनाडा के साथ सहमति बन गई है। चीन और यूके के साथ डील की घोषणा जरूर की गई है लेकिन इन्हें भी चेहरा बचाने की कोशिश बताया जा रहा है।