भारत सरकार पावर जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन की कॉस्ट को 25 परसेंट तक घटाने के एक प्लान पर काम कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्फोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी की अगुवाई में पावर सेक्टर को डिजिटाइज और डिसेंट्रलाइज करने के लिए एक टास्कफोर्स का गठन किए जाने की संभावना है। एनर्जी सैक्टर को डिजिटाइज कर सरकार एक क्रांतिकारी सुधार को आगे बढ़ाना चाहती है। यह टास्क फोर्स, ऊर्जा मंत्रालय के तहत काम करेगा और इसे रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत फंडिंग दी जाएगी। मार्च में नंदन नीलेकणी ने एक प्रजेंटेशन में कहा था कि ....एनर्जी है अगला यू.पी.आई.! लाखों छोटे प्रोड्यूसर्स डिजिटल एनर्जी ग्रिड (डीईजी) में पार्टिसिपेट करेंगे। इससे पहले फरवरी में, फाउंडेशन फॉर इंटरऑपरेबिलिटी इन डिजिटल इकोनॉमी (एफआईडीई) और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने डिजिटल एनर्जी ग्रिड पर एक व्हाइटपेपर जारी किया था। इसमें नीलेकणी ने डीसेंट्रलाइज़्ड एनर्जी जनरेशन और ट्रेडिंग का कॉन्सेप्ट सामने रखा था। इस फ्यूचर में नागरिक सिर्फ कंज्यूमर नहीं होंगे, बल्कि एनर्जी इकॉनॉमी के सक्रिय भागीदार होंगे। जो सिर्फ ग्रिड से नहीं, बल्कि एक-दूसरे से एक कनेक्टेड डिजिटल नेटवर्क के जरिए बिजली का ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। माना जा रहा है कि डिजिटल एनर्जी ग्रिड का एक पायलट जल्द ही लखनऊ में शुरू हो सकता है। यह यूनिफाइड एनर्जी इंटरफेस (यूईआई) पर काम करेगा जो यूपीआई की तरह का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा।