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10-07-2025

बार्बी डॉल को हो गई डायबिटीज!

  •  ग्लोबल दिग्गज टॉय कंपनी मैटल ने बड़ा प्रयोग करते हुए ऐसी बार्बी डॉल लॉन्च की है जो टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त है। कंपनी ने डायबिटीज डॉल को मेडिकल कंडीशन के लिए संवेदना जगाने के लिए यह रेवॉल्यूशनरी कदम उठाया है। नई डॉल बार्बी फैशनिस्टास रेंज में लॉन्च की गई है और इसमें ग्लूकोज मॉनिटर, इंसुलिन पंप, और एमरजेंसी स्नैक्स रखने वाला बैग शामिल है। अमेरिकी कंपनी मैटल की बार्बी डॉल का वर्ष 2024 में कुल सेल्स रेवेन्यू 2.2 बिलियन डॉलर रहा था। हाल ही आई बार्बी फिल्म ने दुनियाभर में करीब 1.5 बिलियन डॉलर  (करीब 12 हजार करोड़) रुपये की कमाई की थी। मैटल ने इस डॉल को डायबिटीज रिसर्च एंड अवेयरनैस फाउंडेशन ब्रेकथ्रू टी1डी (पूर्व में जेडीआरएफ) के साथ पार्टनरशिप में तैयार किया है। दावा है कि इस डॉल को मेडिकल प्रॉफेशनल्स, माता-पिता और डायबिटीज कम्यूनिटी बहुत पसंद कर रही है। इनका मानना है कि बार्बी के इस कदम से यह बच्चों में जन्मजात रोगों को लेकर समझ और आत्मविश्वास बढ़ेगा। बार्बी की ग्लोबल प्रमुख क्रिस्टा बर्गर ने बयान में कहा, टाइप 1 डायबिटीज वाली बार्बी डॉल को पेश कर कंपनी टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना चाहती है। बार्बी बच्चों की दुनिया को देखने का नजरिया बनाती है और मेडिकल कंडीशन भी उनमें शामिल हैं। नई डॉल के शरीर पर ग्लूकोज मॉनिटर और इंसुलिन पंप दिखाए गए हैं जिससे यह ऐसी पहली मेनस्ट्रीम डॉल बन गई है जिसे मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ दिखाया गया है। इससे बच्चे डॉल में अपना अक्स देखेंगे। ब्रेकथ्रूटी1डी यूके की सीईओ करेन एडिंग्टन के अनुसार जिन बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज है और जो अपने जैसे किरदारों को खिलौनों में नहीं देखते, उनके लिए यह डॉल एक प्रेरणास्रोत साबित होगी। मैटेल ने बार्बी की आधिकारिक सोशल मीडिया पर इस डॉल की तस्वीरें भी जारी की हैं, जिनमें डॉल के शरीर पर चिकित्सा उपकरण साफ दिखाई देते हैं। टाइप1 डायबिटीज दरअसल एक क्रोनिक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियास (अग्न्याशय) की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है। इस वजह से शरीर में इंसुलिन का निर्माण या तो बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता। इंसुलिन वह हार्मोन है जो शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने में मदद करता है। यह स्थिति आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में सामने आती है और रोगियों को रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है। हाल के वर्षों में मैटल ने विटिलिगो (सफेद दाग), हियरिंग एड्स (कान की मशीन), कृत्रिम अंग, और व्हीलचेयर उपयोग करने वाली बार्बी डॉल्स भी लॉन्च की हैं। इन पहलों को बच्चों की विविधता को बेहतर रूप में प्रस्तुत करने के लिए व्यापक सराहना मिली है।

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बार्बी डॉल को हो गई डायबिटीज!

 ग्लोबल दिग्गज टॉय कंपनी मैटल ने बड़ा प्रयोग करते हुए ऐसी बार्बी डॉल लॉन्च की है जो टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त है। कंपनी ने डायबिटीज डॉल को मेडिकल कंडीशन के लिए संवेदना जगाने के लिए यह रेवॉल्यूशनरी कदम उठाया है। नई डॉल बार्बी फैशनिस्टास रेंज में लॉन्च की गई है और इसमें ग्लूकोज मॉनिटर, इंसुलिन पंप, और एमरजेंसी स्नैक्स रखने वाला बैग शामिल है। अमेरिकी कंपनी मैटल की बार्बी डॉल का वर्ष 2024 में कुल सेल्स रेवेन्यू 2.2 बिलियन डॉलर रहा था। हाल ही आई बार्बी फिल्म ने दुनियाभर में करीब 1.5 बिलियन डॉलर  (करीब 12 हजार करोड़) रुपये की कमाई की थी। मैटल ने इस डॉल को डायबिटीज रिसर्च एंड अवेयरनैस फाउंडेशन ब्रेकथ्रू टी1डी (पूर्व में जेडीआरएफ) के साथ पार्टनरशिप में तैयार किया है। दावा है कि इस डॉल को मेडिकल प्रॉफेशनल्स, माता-पिता और डायबिटीज कम्यूनिटी बहुत पसंद कर रही है। इनका मानना है कि बार्बी के इस कदम से यह बच्चों में जन्मजात रोगों को लेकर समझ और आत्मविश्वास बढ़ेगा। बार्बी की ग्लोबल प्रमुख क्रिस्टा बर्गर ने बयान में कहा, टाइप 1 डायबिटीज वाली बार्बी डॉल को पेश कर कंपनी टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना चाहती है। बार्बी बच्चों की दुनिया को देखने का नजरिया बनाती है और मेडिकल कंडीशन भी उनमें शामिल हैं। नई डॉल के शरीर पर ग्लूकोज मॉनिटर और इंसुलिन पंप दिखाए गए हैं जिससे यह ऐसी पहली मेनस्ट्रीम डॉल बन गई है जिसे मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ दिखाया गया है। इससे बच्चे डॉल में अपना अक्स देखेंगे। ब्रेकथ्रूटी1डी यूके की सीईओ करेन एडिंग्टन के अनुसार जिन बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज है और जो अपने जैसे किरदारों को खिलौनों में नहीं देखते, उनके लिए यह डॉल एक प्रेरणास्रोत साबित होगी। मैटेल ने बार्बी की आधिकारिक सोशल मीडिया पर इस डॉल की तस्वीरें भी जारी की हैं, जिनमें डॉल के शरीर पर चिकित्सा उपकरण साफ दिखाई देते हैं। टाइप1 डायबिटीज दरअसल एक क्रोनिक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली पैंक्रियास (अग्न्याशय) की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है। इस वजह से शरीर में इंसुलिन का निर्माण या तो बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता। इंसुलिन वह हार्मोन है जो शरीर में ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने में मदद करता है। यह स्थिति आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में सामने आती है और रोगियों को रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है। हाल के वर्षों में मैटल ने विटिलिगो (सफेद दाग), हियरिंग एड्स (कान की मशीन), कृत्रिम अंग, और व्हीलचेयर उपयोग करने वाली बार्बी डॉल्स भी लॉन्च की हैं। इन पहलों को बच्चों की विविधता को बेहतर रूप में प्रस्तुत करने के लिए व्यापक सराहना मिली है।


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