गूगल पर यूरोप की खबरें सर्च करें तो आप चौंक जाएंगे। आमतौर पर ठंडे माहौल वाला पूरा यूरोप हीटवेट की चपेट में हैं। हालात यह हैं कि ग्रीस के कई शहरों को बंद करना पड़ा है। गर्मी के कारण वाइल्डफायर (दावानल या कहें तो जंगल की आग) के मामले बढ़ रहे हैं। एक न्यूजहेडलाइन तो यहां तक थी ...Like working in a volcano इस हीटवेव को ना भूतो कहा जा रहा है। इतने लोग बीमार पड़ रहे हैं कि ज्यादातर देशों में हॉस्पिटल चरमरा रहे हैं। जून 2025 यूरोप के कई देशों में रिकॉर्ड गर्म महीना रहा। इंग्लैंड में जून का औसत तापमान रिकॉर्ड 16.9 डिग्री दर्ज किया गया। पूरे यूके में यह 1884 के बाद दूसरा सबसे गर्म जून रहा। स्पेन में 23.6 डिग्री के औसत के साथ पुराने रिकॉर्ड टूट गए। पुर्तगाल के हालात तो भारत जैसे हो गए यहां जून में औसत 46.6 डिग्री तक पहुंच गया। पेरिस में 38 डिग्री और पूरे फ्रांस में औसत 41.5 डिग्री तापमान तक पहुंचने के बाद रैड अलर्ट जारी करना पड़ गया। इटली को 40 डिग्री तक तापमान पहुंच जाने के बाद 17 शहरों में मैक्सीमम हीट अलर्ट जारी करना पड़ गया। रिपोर्ट कहती हैं कि अब तक यूरोप में हीटवेव से 680 से अधिक लोगों की अकाल मौत हो चुकी है। केवल ब्रिटेन में ही 570 से अधिक मौतें लू से होने वाली बीमारियों से हो चुकी हैं। स्पेन में भी 114 लोगों की जान जा चुकी है। वैज्ञानिक कहते हैं यूरोप के आसमान में हीट डोम बन चुका है। हीट डोम यानी गर्म हवा का गुंबद। जिससे गर्म हवा वायुमंडल से बाहर नहीं निकल पा रही है। 1950 के दशक के बाद से हीट डोम तीव्रता और बारंबारता तीन गुना बढ़ गई। भयंकर गर्मी के कारण जंगल जलने के चलते तुर्की को पांच जिलों से पचास हजार लोगों को निकालना पड़ा है। ग्रीस के चिओस द्वीप पर आग ने 15 हजार एकड़ जंगल को जलाकर राख कर दिया। जिसे काबू में लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुर्तगाल में शहरी फायर ब्रिगेड को गांवों में तैनात करना पड़ा है। प्रोफेसर लुकारिनी की अगुवाई में हुई एक स्टडी के अनुसार यूरोप दुनिया के औसत से दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है। दक्षिणी यूरोप शुष्क उपोष्णकटिबंधीय और नम उत्तरी क्षेत्रों के बीच में होने के कारण, यहां गर्मी फंस जाती है। एलियांज रिसर्च के अनुसार, हीटवेव की वजह से यूरोप की जीडीपी ग्रोथ 0.5 परसेंट तक घट सकती है। स्टडी के अनुसार 32 डिग्री से अधिक तापमान का एक दिन आधे दिन की हड़ताल के बराबर नुकसान पहुंचाता है। स्पेन का जीडीपी 1.4 परसेंट घट सकता है जबकि जर्मनी का 0.1 परसेंट। भयंकर गर्मी के कारण ग्लोबल जीडीपी 0.6 परसेंट तक घट सकता है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने चेतावनी दी है कि 2030 तक गर्मी की वजह से वैश्विक कार्य घंटों में 2.2 परसेंट की कमी आएगी।