वर्ष 1857 से 1947 तक 90 साल का दौर ऐसा था जब दुनियाभर के गुलाम देशों से आ रही बेतहाशा दौलत से ब्रिटेन के खजाने भरते जा रहे थे। गली-गली में पान की दुकान की तरह बैंक खुल रहे थे। अकेले भारत से ही 45 ट्रिलियन डॉलर लूटे गए। लेकिन सिर्फ 78 साल में ही फुल सर्कल हो चुका है और एक दौर में लंदन को ग्लोबल फाइनेंशियल कैपिटल बनाने वाले बिलिनेयर अब इससे पीछा छुड़ा रहे हैं। आपने पढ़ा होगा कोई दो साल पहले ब्रिटेन के एक शैडो मिनिस्टर भारत आए तो भारत के कारोबारियों का एक डेलीगेशन उनसे मिला। आप सोच नहीं सकते कि मीटिंग में सबसे बड़ा मुद्दा क्या था? भारत के कारोबारियों ने शिकायत की ...मगिंग...की। मगिंग यानी रस्ते-चलते छीना-झपटी की। एक ने कहा ऐसे हालात तो हमारी दिल्ली में भी नहीं है...लंदन में 1 लाख पाउंड की हाथ घड़ी कब हाथ से फिसल जाएगी कोई नहीं कह सकता। खैर...टेक्स बेस बढ़ाने के लिए लाई गई नॉन-डॉमीसाइल टेक्स पॉलिसी अब यूके सरकार पर भारी पडऩे लगी है। क्योंकि यूके में रहने के बजाय बड़े कारोबारी इनकम टेक्स बचाने के लिए उडक़ी मार रहे हैं। हाल ही यूके की रिचलिस्ट में नौवें पायदान के बिलिनेयर लंदन से अपना कारोबार बंदकर यूएई शिफ्ट हो गए। नॉर्वे मूल के शिपिंग टाइकून जॉन फ्रेडरिक्सन ने कहा कि ब्रिटेन नर्क बन चुका है। उनसे पहले भी दर्जनों बिलिनेयर यूके को अलविदा कह चुके हैं। चर्चा है कि हिंदुजा परिवार और स्टील किंग लक्ष्मीनिवास मित्तल भी यूके छोडऩे की तैयारी कर रहे हैं। 81 साल के बिलिनेयर फ्रेडरिक्सन की नेटवर्थ 18 बिलियन डॉलर है। अब वे अपने कारोबार को दुबई से चला रहे हैं। उन्होंने कहा ...यह अब मुझे नॉर्वे की तरह लगने लगा है। ब्रिटेन बर्बाद हो गया है, जैसे नॉर्वे हो चुका है। मैं नॉर्वे से जहां तक हो सके दूर रहने की कोशिश करता हूं। उन्होंने ब्रिटेन की ट्रेड पॉलिसीज को भी आड़े हाथों लिया। ब्रिटेन की व्यापार नीति पूरी तरह निराशाजनक है। उन्होंने कहा सिर्फ ब्रिटेन नहीं बल्कि पूरा वेस्ट नीचे की ओर जा रहा है। लोगों को और मेहनत करनी चाहिए, ऑफिस जाना चाहिए — होम ऑफिस नहीं। जॉन फ्रेडरिक्सन उन कई अमीर लंदनवासियों में शामिल हैं जिन्होंने नॉन-डॉम टेक्स कानून समाप्त होने के बाद यूके छोड़ दिया। इस कानून के तहत विदेशी मूल के व्यवसायियों को ओवरसीज असेट्स और इनकम पर ब्रिटिश टैक्स से छूट मिलती थी।ओस्लो में जन्मे फ्रेडरिक्सन ने 1978 में नॉर्वे छोडऩे के बाद ऑयल इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। फिर 1970 के दशक में पहला टैंकर खरीदकर शिपिंग सेक्टर में कदम रखा। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान उनकी संपत्ति तेजी से बढ़ी और वे 70 जहाजों की फ्लीट के साथ दुनिया के सबसे बड़े ऑयल टैंकर मालिक बन गए। ओवरसीज असेट्स और ट्रस्ट्स पर टेक्स छूट खत्म होने के चलते अल्ट्रा-रिच वर्ग में चिंता बढ़ी है। रिपोर्ट्स के अनुसार स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल भी इसी कारण लंदन छोडऩे की तैयारी में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में 16,500 एचएनआईहाई यूके को अलविदा कह सकते हैं।