स्विट्जरलैंड की लक्जरी रिस्ट वॉच इंडस्ट्री को भारत में बिलियन डॉलर मौका नजर आ रहा है। देश के टीयर टू शहरों तक लक्जरी वॉच के आउटलेट्स खुल रहे हैं। रिपोर्ट कहती हैं कि वर्ष 2025 के पहले पांच महीनों में भारत को स्विस घडिय़ों का एक्सपोर्ट 10 परसेंट से ज्यादा बढ़ा है। फेडरेशन ऑफ द स्विस वॉच इंडस्ट्री के डेटा के अनुसार जनवरी से मई 2025 के बीच भारत को 104.3 मिलियन स्विस फ्रेंक (करीब 1,100 करोड़ रुपये) की घडिय़ां एक्सपोर्ट की गईं जो पिछले साल इसी अवधि में 94.2 मिलियन स्विस फ्रेंक थीं। वर्ष 2024 में भारत को कुल एक्सपोर्ट 2,600 करोड़ रुपये का रहा था। हांगकांग और चीन जैसे बड़े मार्केट्स के स्लोडाउन से रिकवर नहीं हो पाने के बाद से स्विस वॉच इंडस्ट्री की नजर भारत पर टिकी हैं। क्योंकि भारत में 10 हजार डॉलर से ज्यादा कमाई वाले 6 करोड़ लोग हैं। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत एक बड़ा और उभरता बाजार बन गया है। वेडिंग और फेस्टिव सीजन में भारत में वैसे भी हाई टिकट परचेज का ट्रेंड है। भारत स्विस घडिय़ों के लिए दूसरा सबसे बड़ा ग्लोबल मार्केट है। स्पेन के अलावा केवल भारत में स्विस घडिय़ों की सेल्स में डबल डिजिट ग्रोथ हुई है। ताइवान में 9 परसेंट ग्रोथ हुई जबकि तुर्की में 8 परसेंट। लेकिन सबसे बड़े लक्जरी मार्केट चीन में सेल्स 23.1 परसेंट घटी है जबकि थाईलैंड में 22.7 परसेंट और हांगकांग में 13.8 परसेंट गिरावट आई। फेडरेशन ऑफ द स्विस वॉच इंडस्ट्री के चेयरमैन यीव बुगमन के अनुसार भारत में डिमांड में स्टेबल ग्रोथ हो रही है। भारत का लक्जरी वॉच मार्केट अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, इसलिए भारी ग्रोथ की संभावना है। इस फेडरेशन में 500 से ज्यादा ब्रांड्स शामिल हैं जिनक कुल स्विस वॉच सेक्टर के प्रॉडक्शन में 90 परसेंट शेयर है। वॉच रिटेलर हेलिओस वॉच कंपनी के प्रतीक कपूर के अनुसार 1-4 लाख की प्राइस वाली घडिय़ां अब कलेक्टर आइटम नहीं हैं। हेलीओस भारत में 15 स्टोर्स ऑपरेट करती है जिनमें रोलेक्स, ओमेगा, ब्रेगेट, बुलगारी, फ्रेंक म्यूलर और कार्टियर जैसे ब्रांड्स शोकेस होते हैं। यह ग्रोथ तब है जब स्विस फ्रेंक महंगा हो रहा है। पिछले साल यह 94 रुपये का था अब 106 रुपये तक पहुंच चुका है। जिससे स्विस घडिय़ों की प्राइस भी बढ़ी है। स्विस घडिय़ों के 104 मिलियन स्विस फ्रेंक के एक्सपोर्ट के आधार पर भारत आठवां सबसे बड़ा मार्केट है। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत और ईएफटीए देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट लागू हो जाने के बाद सितंबर से स्विस घडिय़ों पर इंपोर्ट ड्यूटी घट जाएगी। भारत में फिलहाल स्विस घडिय़ों पर 22 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी है जिसे अगले 7 वर्ष में घटाकर जीरो किया जाना है। मार्च के महीने में भारत ने ईएफटीए देशों — स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लीशटेंटाइन के साथ 16 वर्ष से चल रही बातचीत के बाद फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया था। रिपोर्ट कहती हैं कि ईएफटीए ग्रुप ने भारत में अगले 15 वर्ष में 100 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट करने का प्रस्ताव दिया है।