क्रॉक्स एक ग्लोबल फुटवीयर ब्रांड है और क्लॉग्स एक फुटवीयर डिजाइन है। यानी हम ज्यादातर क्लॉग्स खरीदने जाते हैं और दुकानदार से क्रॉक्स मांगते हैं। यानी क्रॉक्स के जैसी डिजाइन वाले फुटवीयर। यह तो कुछ वही हुआ जैसा डालडा घी या सर्फ डिटरजेंट पावडर। क्रॉक्स का मामला फिर गर्मा रहा है क्योंकि भारत की एक अदालत ने क्रॉक्स के कॉपराइट चोरी के 9 साल पुराने मामले की फाइल से धूल हटा ली है। मामला दरअसल यह है कि अमेरिकी फुटवीयर कंपनी क्रॉक्स ने भारत की कई कंपनियों पर उसके फेमस रबर क्लॉग्स के जैसे दिखने वाले फुटवीयर बाजार में उतारने का आरोप लगाया था। अदालत के पुरानी फाइल खोलने के फैसले से क्रॉक्स को अब अपने कॉपीराइट चोरी के मामले को कानूनी रूप से आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है। आप जानते हैं पिछले सप्ताह इटली के लक्जरी फैशन ब्रांड प्रादा ने कोल्हापुरी चप्पल की डिजाइन चोरी कर मिलान में आयोजित समर/स्प्रिंग 2025 मैन्स शो में शोकेस किए थे। जिसके बाद भारत से आलोचना ही ऐसी लहर उठी की प्रादा को माफी मांगनी पड़ गई थी। क्रॉक्स ने दरअसल 6 कंपनियों पर उसके डिजाइन चोरी कर प्रॉडक्ट लॉन्च करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। क्रॉक्स ने कहा था कि बाटा, रिलेक्सो और लिबर्टी सहित छह कंपनियों ने उसके फुटवियर की विशेष डिजाइन की नकल करते हुए मिलते-जुलते डिजाइन वाले प्रॉडक्ट्स बाजार में लॉन्च किए हैं। हालांकि, वर्ष 2019 में कोर्ट ने तकनीकी आधार पर इन मुक़दमों को खारिज कर दिया था। लेकिन क्रॉक्स की अपील पर हाईकोर्ट ने कहा कि क्रॉक्स के मुकदमों को रिजेक्ट करना कानूनी नजरिए से ठीक नहीं है। हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ क्रॉक्स अब इस मामले को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है। दरअसल क्रॉक्स ने अनुरोध किया था कि प्रतिद्वंदी कंपनियों को उन फुटवियर को बेचने से रोका जाए जो उसके रबर क्लॉग्स की स्पष्ट नकल हैं। दूसरी ओर, लिबर्टी कंपनी ने पक्ष रखते हुए कहा कि क्रॉक्स इस प्रकार के डिजाइन की मूल प्रवर्तक (ओरिजिनेटर) नहीं है, बल्कि वह भी एक ऐसी डिजाइन स्टाइल का उपयोग कर रही है जो पूर्व से ही अन्य निर्माताओं द्वारा अपनाई जा रही थी। क्रॉक्स की स्थापना वर्ष 2002 में कोलोराडो (अमेरिका) में हुई थी। इसके ब्राइट कलर्स वाले, बेहद खास डिजाइन और आरामदायक रेजिन से बने फुटवीयर बहुत तेजी से दुनियाभर में लोकप्रिय हो गए हैं। भारत में भी इनकी क्रॉक्स के क्लॉग्स की डिमांड तेजी से बढ़ी है, और कंपनी देशभर में सेल्स नेटवर्क चला रही है। मार्केट रिसर्च फर्म स्टैटिस्टा वर्ष 2025 तक भारत का फुटवीयर बाजार 33.86 बिलियन डॉलर का है जिसमें 97 परसेंट शेयर नॉन-लक्जरी फुटवीयर का है।