जीएसटी 2.0 पर मीडिया को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक्सपोर्टरों के लिए एक पैकेज पर विचार किया जा रहा है। इसका फोकस ज्यादातर एमएसएमई सैक्टर पर होगा। इस योजना में कार्यशील पूंजी तक आसान करना, कोलटरल फ्री लोन की लिमिट बढ़ाना, ब्याज सब्सिडी और सैक्टर-विशेष के लिए सहायता शामिल होगी। सरकार की चिंता टेक्सटाइल और जेम्स एंड ज्यूलरी जैसे बड़े पैमाने पर रोजगार वाले सैक्टरों को लेकर है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने एक प्लान तैयार किया है जिसे इंडस्ट्री के साथ बातचीत कर फाइनट्यून किया जा रहा है। एमएसएमई सैक्टर के एक्सपोर्टरों को ट्रंप टैरिफ के कारण 45 से 80 बिलियन डॉलर तक के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्तावित योजना के केंद्र में पांच नई स्कीमें होंगी, जिन्हें कोविड के दौरान की क्रेडिट गारंटी योजनाओं के आधार पर तैयार किया गया है। ताकि एमएसएमई एक्सपोर्टरों को वर्किंग कैपिटल मिल सके, कोलेटरल फ्री लोन की लिमिट 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने और ब्याज दरों को कम करने के लिए विशेष सबवेंशन दिया जाए। इसके साथ ही, पैकेज में इक्विटी फाइनेंसिंग चैनलों को खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। ताकि कंपनियां कर्ज बढ़ाए बिना ग्रोथ कैपिटल जुटा सकें। सबसे ज्यादा प्रभावित सैक्टर जैसे टेक्सटाइल, रेडीमेड गारमेंट्स, जेम्स एंड ज्यूलरी, इंजीनियरिंग गुड्स और एग्रीकल्चर और समुद्री एक्सपोर्ट के लिए विशेष सहायता खिडक़ी शुरू करने का भी प्लान है। जीएसटी कटौती के बाद सरकार अब इनपुट टेक्स क्रेडिट रिफंड को भी फास्ट्रेक करने पर काम कर रही है। चर्चा है कि भारत की की कंपनियां पहले ही जोखिम कम करने के लिए भूटान और नेपाल के रास्ते नियर-शोरिंग विकल्पों की तलाश कर रही हैं।