वो कहते हैं ना स्काई इ•ा द लिमिट...ऑटो इंक के लिए बिल्कुल ठीक है। भारत में भी...विदेश में भी रनवे तैयार है उड़ान का हौसला है। क्योंकि पांव मजबूती से जम चुके हैं। पिछले दिनों मारुति के घर से खबर आई कि कॉम्पेक्ट एसयूवी फ्रॉन्क्स वित्त वर्ष 25 में बेस्ट मेड इन इंडिया एक्सपोर्टिंग मॉडल बन चुकी है। इससे भी बड़ी बात यह है कि मेड इन इंडिया फ्रॉन्क्स का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट जापान है। वही जापान जो भारत की ऑटो सक्सैस स्टोरी की नींव की ईंट है। वित्त वर्ष 2025 में 7.70 लाख मेड इन इंडिया पैसेंजर वेहीकल एक्सपोर्ट हुए। टेबल 3 के अनुसार मारुति 1.57 लाख यूनिट्स के साथ भारत की सबसे बड़ी यूवी एक्सपोर्टर है। वहीं यूवी एक्सपर्ट महिन्द्रा एंड महिन्द्रा का यूवी एक्सपोर्ट वॉल्यूम सिर्फ 15603 यूनिट्स के एक्सपोर्ट वॉल्यूम के साथ सातवें पायदान पर है। लेकिन महिन्द्रा अब इस कहानी को रीराइट (नए सिरे से लिखना) करने के लिए कमर कस चुकी है। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने हाल ही में ग्लोबल विजन 2027 प्लान जारी किया है। प्लान है नए प्लेटफॉर्म से चार एसयूवी का जो पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन ऑप्शन के साथ आएंगी। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा इस नए प्लेटफॉर्म को मैजिक टच दे रही है, अलग-अलग इंटरनेशनल मार्केट्स के लिए। कंपनी इन्हें उन मार्केट्स में उतारने के प्लान पर काम कर रही है जहां अभी चीनी कार ब्रांड्स का दबदबा है। कंपनी 15 अगस्त यानी देश की आजादी के दिन को अपनी ब्रांडिंग के साथ जोडऩे की करीने से और कामयाब कोशिश कर चुकी है और लगातार इस मौके पर अपने फ्यूचर विजन और फ्यूचर मॉडल्स को पेश करती रही है। इस बार 15 अगस्त को कंपनी ने न्यू-आईक्यू प्लेटफॉर्म के तहत इलेक्ट्रिक, पेट्रोल और डीजल सहित विभिन्न पावरट्रेन ऑप्शन के साथ चार एसयूवी बनेंगी। यहां कीवर्ड यह है कि कंपनी ने कहा है कि यह बड़े ग्लोबल रोडमैप का हिस्सा है और साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे बड़े मार्केट्स इस नई एसयूवी रेंज के जरिए टार्गेट किए जाएंगे। अपनी ब्रांडिंग को कॉस्मोपॉलिटन टच देने के लिए कंपनी ने बीई 6 इलेक्ट्रिक एसयूवी का बैटमोबाइल एडिशन भी पेश किया। भले ही यह लिमिटेड एडिशन है लेकिन डीसी कॉमिक्स के नकाबपोश हीरो के जरिए कंपनी भारत के यंग इलीट्स के दिल में जगह बनाना चाहती है क्योंकि बैटमैन सीरीज ग्लोबल ब्लॉकबस्टर है।
प्राइस पॉइंट : हालांकि चीन के दबदबे वाले मार्केट्स में फीचर रिच, मॉडर्न डिजाइन वाले चीनी मॉडलों का दबदबा है। लेकिन चीनी ब्रांड्स की पिच है अफोर्डेबिलिटी और वेल्यू फोर मनी। कम से कम इस मामले में महिन्द्रा का हाथ तंग नहीं है। नई ईवी सीरीज से कंपनी मॉडर्न डिजाइन, लेटेस्ट फीचर्स, अडैस और अफोर्डेबिलिटी की क्रॉसवर्ड प•ाल को एक साथ साध लिया है। और इससे एक और अंदाजा लग सकता है कि यूवी दिग्गज प्राइस पॉइंट के साथ भी खेल करना चाहती है। हाल ही आई रिपोर्ट से पता चलता है कि टेस्ला मॉडल वाई को भारत में सिर्फ 600 बुकिंग मिली हैं। टेस्ला जैसे ग्लोबल, प्रोग्रेसिव हाईटेक ब्रांड ब्रांड के लिए यह बड़ा शॉक है। और इसका सबसे बड़ा कारण है प्राइस पॉइंट। और दूसरा कारण है नोवल्टी फैक्टर का फीका पड़ जाना। नोवल्टी यानी नयापन। टाटा और महिन्द्रा (विशेषरूप से महिन्द्रा) ने जिस तरह से ईवी की प्राइस और फीचर पैकेजिंग की है उसने टेस्ला के खेत में हल चला दिया है। यह कुछ वैसा ही है जैसा चीनी ईवी ब्रांड्स ने चीन और यूरोप सहित अन्य बड़े ईवी मार्केट्स में किया है। अभी भारत में प्रीमियम ईवी एसयूवी की शुरुआत 20 लाख से ऊपर के बजट में होती है। लेकिन महिन्द्रा 15 से 18 लाख रुपये के बजट मेंं पोजिशनिंग कर बड़े कस्टमर कैचमेंट तक पहुंचना चाहती है। जिस कोड को क्रेक करने टेस्ला चूक गई वो एमजी ने विंडसर के जरिए क्रेक कर लिया। अभी हाल ही महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने कहा कि लॉन्च के पांच महीनों में बीईवी6 और एक्सईवी9 की कुल सेल्स 20 हजार यूनिट्स को पार कर गई। लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि 20 लाख रुपये से कम के बजट में फीचर रिच, मॉडर्न डिजाइन वाला ईवी मॉडल कंपनी के लिए जैकपॉट साबित हो सकता है और यहीं नया प्लेटफॉर्म न्यू-आईक्यू काम आएगा।
चाइनीज चैलेंज : चीनी ईवी ब्रांड्स के पास इकोनॉमी ऑफ स्केल और वेल्यू फोर मनी का एडवांटेज है लेकिन यही इनके लिए बड़ा डिसएडवांटेज साबित हो रहा है। अमेरिका ने चायनीज ईवी की एंट्री ही बैन कर दी है वहीं ईयू के देशों ने 45 परसेंट तक काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगा दी है। दूसरी ओर चीनी ब्रांड्स के लिए घर के हालात भी ठीक नहीं है और प्राइसवॉर के कारण ब्रांड्स में आपस में कत्लेआम मचा हुआ है। शाओमी और हुआवे जैसी स्मार्टफोन कंपनियों ने नए ईवी मॉडल लॉन्च कर बड़ी बुकिंग हासिल कर ली है। इससे भी चीन में बीवाईडी, गीली और साइक जैसी कंपनियों के लिए ग्रोथ का हैडरूम बहुत कम बचा है और रेवेन्यू व प्रॉफिटेबिलिटी घटने के कारण इंटरनेशनल मार्केट्स में झौंकने के लिए फंड्स भी पहले जितने नहीं है। दूसरी ओर महिन्द्रा एंड महिन्द्रा अपने घर में बहुत मजबूत विकट पर है और कोविड के बाद के पांच साल में कंपनी की सेल्स तीनगुना होकर 5.57 लाख यूनिट्स तक पहुंच चुकी है।
मल्टीप्लायर इफेक्ट : बॉर्न ईवी से कंपनी 25 से 30 लाख रुपये के प्राइस सैगमेंट में सेंध लगाने में कामयाब रही है। जिससे कंपनी को प्रॉफाइल बदलने में भी मदद मिली है। इस प्राइस सैगमेंट के कस्टमर लक्जरी व इंटरनेशनल ब्रांड्स पर दांव लगाते हैं लेकिन बीईवी6 और एक्सईवी9 की पैकेजिंग इस प्रोग्रेसिव कस्टमर बेस को अपने साथ जोडऩे में कामयाब रही है। कंपनी ने फ्यूल इकोनॉमी और अफोर्डेबिलिटी के बजाय एस्पिरेशनल लाइफस्टाइल की पिच पर इन्हें पोजिशन किया और सक्सैस स्टोरी लिखी है। और इस लर्निंग का फायदा ग्लोबल मार्केट्स में चाइनीज ब्रांड्स को चैलेंज करने भी मिलेगा।

