सरसों तथा इसके तेल पिछले एक महीने से बाजार 200/400 रुपए प्रति कुंतल ऊपर नीचे चल रहा है। दूसरे खाद्य तेलों से काफी ऊंचे होने से इसकी बिक्री कम हो गई है। इधर बरसात अच्छी हुई है, जिससे अगली बिजाई भी अधिक होने की संभावना है, इन सारी परिस्थितियों में वर्तमान भाव में स्टाक की बजाय माल बेचना लाभदायक रहेगा तथा जरूरत का व्यापार करना चाहिए। हम मानते हैं कि सरसों की आपूर्ति मंडियों में पूरी तरह टूट चुकी है, क्योंकि सरसों के उत्पादन में पोल रहा है जिसकी वजह से उसके भाव ऊपर में 7675 रुपए बिककर वापस लौटने लगे हैं। वास्तविकता यह है कि अन्य खाद्य तेलों की अपेक्ष तेल 35/40 रुपए किलो ऊपर बिक गया है, इस वजह से इसकी बिक्री घटने लगी है तथा दूसरे तेलों की बिक्री बढऩे लगी है। अत: वर्तमान भाव में माल बेचकर निकल जाना चाहिए। वर्तमान में इस रिकॉर्ड तेजी के बाद रिस्की लग रहा है, क्योंकि उतना उत्पादन कम नहीं है, जितना की बाजार तेज हो चुका है। सरसों का उत्पादन 111 लाख मीट्रिक टन का अखिल भारतीय तेल तिलह सेमिनार में लगाया गया था, लेकिन वह उत्पादन धरातल पर 100 लाख मीट्रिक टन के करीब ही बैठ रहा है। इस कमी की तुलना में ज्यादा भाव बढक़र 7650 रुपए प्रति कुंतल सरसों 42 प्रतिशत कंडीशन वाली जयपुर में ऊपर में बिकने के बाद वर्तमान में 7450 रुपए रह गई है। उत्पादक मंडियों में 6500/7000 रुपए के आसपास भाव हो गए हैं, भरतपुर में 7200 का व्यापार हो गया है। तेल सरसों भी 170/172 रुपए प्रति किलो बिकने के बाद वर्तमान में 160 रुपए भाव रह गया है, जबकि तेल सोया अभी भी बंदरगाहों पर 120/122 रुपए एवं यहां 126/127 रुपए प्रति किलो चल रहा हैं। सरसों एवं तेल सोया के भाव का अंतर 40/42 रुपए प्रति किलो का हो चुका है। सोयाबीन चौतरफा लिवाली चलने से इसके भाव बढक़र 4900/5000 रुपए प्रति क्विंटल प्लांट पहुंच में हो गए हैं अभी भी मंडियों में 4800/4850 रुपए के बीच ही घूम रही है। पाम तेल भी बंदरगाहों पर काफी सस्ते चल रहा है, जिस कारण तेल सरसों में इतनी अधिक तेजी का वास्तविक रूप में कोई लॉजिक नहीं बनता है। अत: खाद्य तेलों की महंगाई को रोकने के लिए सरकार कभी भी एक्शन ले सकती है। हम मानते हैं कि सोयाबीन की दुर्गति होने से इसकी बिजाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, लेकिन मौसम अनुकूल होने से दाहोद नीमच रतलाम शिवपुरी के अलावा कोटा के सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य बिजाई बता रहे हैं। मध्य प्रदेश में बरसात अधिक हो रही है, जिससे सोयाबीन की फसल को नुकसान होने का खतरा बन गया है, इन परिस्थितियों में अब सोयाबीन एवं पाम तेल के व्यापार में ही रिस्क कम दिखाई दे रहा है। सरसों व इसके तेल में व्यापार कम करना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले महीने भी 3.5 लाख बोरी के करीब दैनिक की ही आवक थी तथा अभी भी साढ़े तीन लाख बोरी की ही दैनिक कटक है। सरसों की आवक में देश की मंडियों में कोई कमी नहीं है, केवल सट्टेबाजी एवं जमाखोरी के चलते सरसों व इसके तेल में तेजी बनी हुई है।