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21-06-2025

लाल मिर्च : लाभदायक रहेगा

  •  लाल मिर्च की गुंटुर मंडी एक महीने के एक सप्ताह से खुल गई है, जिस कारण वहां से चालानी मांग निकलने से भाव मजबूत बोलने लगे हैं। वहीं उत्तर भारत में उपभोक्ताओं की मांग बढ़ जाने एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से भविष्य में यहां भी भाव चसक बोलने लगे हैं।  गत वर्ष की तुलना में आवक उत्पादक मंडियों में इस बार पिछले चार माह के अंतराल कम रही है तथा हल्के माल की उपलब्धि भी कम हैं, जिससे मीडियम व बढिय़ा माल आगे तेज ही रहेगा। गत वर्ष लाल मिर्च का बंपर उत्पादन होने से पूरे वर्ष धीरे-धीरे मंदे का रुख बना रहा। चालू सीजन में मौसम प्रतिकूल होने से बिजाई से  फसल तैयार तक किसानों को काफी मशक्कत करने के बावजूद भी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कम बैठी है। कुछ पौधे पहले ही पानी रूकने वाले खेतों में नष्ट गए थे, इसलिए फली भी कम लगी थी, जिससे प्रति हेक्टेयर लाल मिर्च की उत्पादकता कम बैठने से गुंटूर वारंगल सहित सभी उत्पादक क्षेत्रों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 19-20 प्रतिशत कम आया है। दक्षिण की मंडियों में जो तेजा लाल मिर्च 125/127 रुपए प्रति किलो बिक रही थी उसके भाव दो दिनों के अंतराल 140/142 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। यहां बिल्टी में जो व्यापार पिछले सप्ताह ही145/155 रुपए प्रति किलो का हुआ था, उसके भाव 155/150 रुपए बोलने लगे हैं। यहां भी डंडीदार लाल मिर्च 155 रुपए से बढक़र 160/165 रुपए प्रति किलो हो गई है। तथा फुल कट माल जो 195 रुपए बिका था, उसके भाव 205 रुपए बोलने लगे हैं। बढिय़ा माल 210/215 रुपए तक का व्यापार हो गया है। गौरतलब है कि इस बार बरेली लाइन का माल भी कम आने की संभावना है, क्योंकि बाजार गोरखपुर देवरिया एवं बिहार में ही ऊंचे चल रहे हैं, जिस कारण वहां का माल भाड़े कम होने से वहीं खपेगा।  दक्षिण भारत की अन्य मंडियों से हल्के माल पश्चिम बंगाल चालानी में बिक गया है। गुंटूर लाइन से लगातार अमृतसर लुधियाना एवं मुंबई वालों के लिए जून लोडिंग के सौदों की लोडिंग चल रही है। इधर हिमाचल एवं उत्तराखण्ड के लिए भी लगातार माल सीधे जा रहा है तथा कुछ माल वाया जयपुर भी जा रहा है, इस वजह से मंडियों में प्रेशर नहीं है। राजस्थान की मंडियों में भी माल का प्रेशर नहीं है तथा दिल्ली की अपेक्षा वहां भाव ऊंचे चल रहे हैं, जिससे  उत्पादक मंडियों से माल ज्यादा सीधे जयपुर लाइन में जा रहा है। नई फसल 4 महीने   से आ रही है तथा गत वर्ष की गिरावट को देखकर स्टॉक में भी ज्यादा माल अभी तक नहीं हो पाया है, पुराना माल आने-पौने भाव में कारोबारी काटते चले गए हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए बाजार काफी नीचे आ गया है। अत: अब इन भाव में जोखिम नहीं है।

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लाल मिर्च : लाभदायक रहेगा

 लाल मिर्च की गुंटुर मंडी एक महीने के एक सप्ताह से खुल गई है, जिस कारण वहां से चालानी मांग निकलने से भाव मजबूत बोलने लगे हैं। वहीं उत्तर भारत में उपभोक्ताओं की मांग बढ़ जाने एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से भविष्य में यहां भी भाव चसक बोलने लगे हैं।  गत वर्ष की तुलना में आवक उत्पादक मंडियों में इस बार पिछले चार माह के अंतराल कम रही है तथा हल्के माल की उपलब्धि भी कम हैं, जिससे मीडियम व बढिय़ा माल आगे तेज ही रहेगा। गत वर्ष लाल मिर्च का बंपर उत्पादन होने से पूरे वर्ष धीरे-धीरे मंदे का रुख बना रहा। चालू सीजन में मौसम प्रतिकूल होने से बिजाई से  फसल तैयार तक किसानों को काफी मशक्कत करने के बावजूद भी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता कम बैठी है। कुछ पौधे पहले ही पानी रूकने वाले खेतों में नष्ट गए थे, इसलिए फली भी कम लगी थी, जिससे प्रति हेक्टेयर लाल मिर्च की उत्पादकता कम बैठने से गुंटूर वारंगल सहित सभी उत्पादक क्षेत्रों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 19-20 प्रतिशत कम आया है। दक्षिण की मंडियों में जो तेजा लाल मिर्च 125/127 रुपए प्रति किलो बिक रही थी उसके भाव दो दिनों के अंतराल 140/142 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। यहां बिल्टी में जो व्यापार पिछले सप्ताह ही145/155 रुपए प्रति किलो का हुआ था, उसके भाव 155/150 रुपए बोलने लगे हैं। यहां भी डंडीदार लाल मिर्च 155 रुपए से बढक़र 160/165 रुपए प्रति किलो हो गई है। तथा फुल कट माल जो 195 रुपए बिका था, उसके भाव 205 रुपए बोलने लगे हैं। बढिय़ा माल 210/215 रुपए तक का व्यापार हो गया है। गौरतलब है कि इस बार बरेली लाइन का माल भी कम आने की संभावना है, क्योंकि बाजार गोरखपुर देवरिया एवं बिहार में ही ऊंचे चल रहे हैं, जिस कारण वहां का माल भाड़े कम होने से वहीं खपेगा।  दक्षिण भारत की अन्य मंडियों से हल्के माल पश्चिम बंगाल चालानी में बिक गया है। गुंटूर लाइन से लगातार अमृतसर लुधियाना एवं मुंबई वालों के लिए जून लोडिंग के सौदों की लोडिंग चल रही है। इधर हिमाचल एवं उत्तराखण्ड के लिए भी लगातार माल सीधे जा रहा है तथा कुछ माल वाया जयपुर भी जा रहा है, इस वजह से मंडियों में प्रेशर नहीं है। राजस्थान की मंडियों में भी माल का प्रेशर नहीं है तथा दिल्ली की अपेक्षा वहां भाव ऊंचे चल रहे हैं, जिससे  उत्पादक मंडियों से माल ज्यादा सीधे जयपुर लाइन में जा रहा है। नई फसल 4 महीने   से आ रही है तथा गत वर्ष की गिरावट को देखकर स्टॉक में भी ज्यादा माल अभी तक नहीं हो पाया है, पुराना माल आने-पौने भाव में कारोबारी काटते चले गए हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए बाजार काफी नीचे आ गया है। अत: अब इन भाव में जोखिम नहीं है।


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