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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

16-06-2025

उत्पादन में गिरावट से बिनौला खल की कीमतों में लगातार वृद्धि

  •  व्यापार हो या रिश्ता, मुनाफा वही कमा सकता है, जो घाटा सहने की क्षमता रखता हो, लेकिन मुनाफा कमाने की होड़ में इतना बड़ा जोखिम नहीं उठाना चाहिए कि वो आपको बदलते बाजार से दूर ले जाए..! खास तौर पर कमोडिटी व्यापार में दूसरे भौगोलिक कारक भी असर डालते हैं। ऐसे कारक इस समय बिनौला खल के व्यापार पर ज्यादा असर डालते दिख रहे हैं। मौजूदा बाजारों में बिनौला खल में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। हर साल मार्च से जुलाई के बीच बिनौला खल के दाम बढ़ जाते हैं। इस बार भी बिनौला खल के दाम 3100 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गए हैं। हालांकि कुछ किसानों को अभी भी दाम बढऩे की उम्मीद है, इसलिए उन्होंने बिनौला गोदाम में ही रखा हुआ है। क्योंकि उन्हें अभी भी पिछले साल के 3700 रुपए प्रति क्विंटल के दाम मिलने की उम्मीद है। 10 मई 2025 को एनसीडीईएक्स वायदा में प्रति क्विंटल बिनौला खल का मूल्य 2900 रुपये था, जो एक महीने की छोटी अवधि में 13 जून 2025 को 3,100 रुपये के स्तर को पार कर गया।  इस बार कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ष्टष्टढ्ढ) और कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ष्ट्रढ्ढ) दोनों ने ही कपास उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया था। दूसरे अनुमान में भी कहा गया था कि उत्पादन में और गिरावट आएगी। अगर पिछले पांच सालों के कपास, गांठों और बिनौला खल के उत्पादन के आंकड़ों पर गौर करें तो बाजार में मौजूदा तेजी की वजह समझ में आ जाएगी। साल 2019-20 में भारत ने 355 लाख  गांठें और 71 लाख टन बिनौला खल का उत्पादन किया था। जबकि 2020-21 में 350 लाख गांठें और 69 लाख टन बिनौला खल का उत्पादन हुआ। इसी तरह साल 2021-22 में 295 लाख गांठें और 59 लाख टन खली का उत्पादन हुआ। जबकि 2022-23 में 319 लाख गांठें और 64 लाख टन खली का उत्पादन हुआ। 2023-24 में भारत ने 325 लाख गांठें और 73 लाख टन कपास खली का उत्पादन किया। इस बार दोनों एजेंसियों ने 291 लाख से 294 लाख गांठ तक भाव रहने का अनुमान लगाया है, जिसके आधार पर कपास खली का उत्पादन 66 लाख टन आंका गया है। हालांकि, इस बार भारत में कपास खली की मांग 73 लाख टन रहने का अनुमान है। कारोबारियों का मानना है कि मांग और आपूर्ति के बीच इस अंतर के कारण कपास खली में इस समय तेजी है। यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि हाजिर बाजार में कपास खली का भाव 3192 रुपये बोला गया, जिसका अर्थ है कि हाजिर बाजार वायदा बाजार से ऊपर चल रहा है। बाजार के अनुभवी व्यापारियों ने इस स्थिति का अनुमान लगा लिया होगा, जिसके कारण उन्होंने एनसीडीईएक्स वायदा में माल लिया होगा। वर्तमान में एक्सचेंज द्वारा प्रमाणित और एनसीसीएल द्वारा नामित गोदामों में 63435 टन खली जमा है। व्यापारियों का मानना है कि जैसे-जैसे हाजिर बाजार में भाव बढ़ रहे हैं, यह खली बाजार में प्रीमियम मूल्य पर बिक रही है। इसके अलावा, इस जमा स्टॉक का लगभग 16000 टन की मान्यता 10 जुलाई को समाप्त हो रही है। शायद इसीलिए एक्सचेंज द्वारा प्रमाणित गोदामों में खली का स्टॉक वर्तमान में कम हो रहा है। वायदा तरल है, ओपन इंटरेस्ट वर्तमान में 111800 टन है, जबकि औसत दैनिक कारोबार 150 करोड़ से 175 करोड़ रुपये है। जानकारों का मानना है कि आगे भी कीमतों में मजबूती बनी रहेगी, क्योंकि मौजूदा हाजिर बाजार भाव वायदा भाव से अधिक हैं। अब कपास के नए सीजन की बुवाई भी शुरू हो गई है। लेकिन मानसून के जोरदार आगमन के बाद अचानक बारिश के थमने से किसान असमंजस में हैं। आने वाले दिनों में फसल की तस्वीर साफ होने के बाद कपास खली  के भावों की दिशा तय होगी।

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उत्पादन में गिरावट से बिनौला खल की कीमतों में लगातार वृद्धि

 व्यापार हो या रिश्ता, मुनाफा वही कमा सकता है, जो घाटा सहने की क्षमता रखता हो, लेकिन मुनाफा कमाने की होड़ में इतना बड़ा जोखिम नहीं उठाना चाहिए कि वो आपको बदलते बाजार से दूर ले जाए..! खास तौर पर कमोडिटी व्यापार में दूसरे भौगोलिक कारक भी असर डालते हैं। ऐसे कारक इस समय बिनौला खल के व्यापार पर ज्यादा असर डालते दिख रहे हैं। मौजूदा बाजारों में बिनौला खल में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। हर साल मार्च से जुलाई के बीच बिनौला खल के दाम बढ़ जाते हैं। इस बार भी बिनौला खल के दाम 3100 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गए हैं। हालांकि कुछ किसानों को अभी भी दाम बढऩे की उम्मीद है, इसलिए उन्होंने बिनौला गोदाम में ही रखा हुआ है। क्योंकि उन्हें अभी भी पिछले साल के 3700 रुपए प्रति क्विंटल के दाम मिलने की उम्मीद है। 10 मई 2025 को एनसीडीईएक्स वायदा में प्रति क्विंटल बिनौला खल का मूल्य 2900 रुपये था, जो एक महीने की छोटी अवधि में 13 जून 2025 को 3,100 रुपये के स्तर को पार कर गया।  इस बार कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ष्टष्टढ्ढ) और कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ष्ट्रढ्ढ) दोनों ने ही कपास उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया था। दूसरे अनुमान में भी कहा गया था कि उत्पादन में और गिरावट आएगी। अगर पिछले पांच सालों के कपास, गांठों और बिनौला खल के उत्पादन के आंकड़ों पर गौर करें तो बाजार में मौजूदा तेजी की वजह समझ में आ जाएगी। साल 2019-20 में भारत ने 355 लाख  गांठें और 71 लाख टन बिनौला खल का उत्पादन किया था। जबकि 2020-21 में 350 लाख गांठें और 69 लाख टन बिनौला खल का उत्पादन हुआ। इसी तरह साल 2021-22 में 295 लाख गांठें और 59 लाख टन खली का उत्पादन हुआ। जबकि 2022-23 में 319 लाख गांठें और 64 लाख टन खली का उत्पादन हुआ। 2023-24 में भारत ने 325 लाख गांठें और 73 लाख टन कपास खली का उत्पादन किया। इस बार दोनों एजेंसियों ने 291 लाख से 294 लाख गांठ तक भाव रहने का अनुमान लगाया है, जिसके आधार पर कपास खली का उत्पादन 66 लाख टन आंका गया है। हालांकि, इस बार भारत में कपास खली की मांग 73 लाख टन रहने का अनुमान है। कारोबारियों का मानना है कि मांग और आपूर्ति के बीच इस अंतर के कारण कपास खली में इस समय तेजी है। यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि हाजिर बाजार में कपास खली का भाव 3192 रुपये बोला गया, जिसका अर्थ है कि हाजिर बाजार वायदा बाजार से ऊपर चल रहा है। बाजार के अनुभवी व्यापारियों ने इस स्थिति का अनुमान लगा लिया होगा, जिसके कारण उन्होंने एनसीडीईएक्स वायदा में माल लिया होगा। वर्तमान में एक्सचेंज द्वारा प्रमाणित और एनसीसीएल द्वारा नामित गोदामों में 63435 टन खली जमा है। व्यापारियों का मानना है कि जैसे-जैसे हाजिर बाजार में भाव बढ़ रहे हैं, यह खली बाजार में प्रीमियम मूल्य पर बिक रही है। इसके अलावा, इस जमा स्टॉक का लगभग 16000 टन की मान्यता 10 जुलाई को समाप्त हो रही है। शायद इसीलिए एक्सचेंज द्वारा प्रमाणित गोदामों में खली का स्टॉक वर्तमान में कम हो रहा है। वायदा तरल है, ओपन इंटरेस्ट वर्तमान में 111800 टन है, जबकि औसत दैनिक कारोबार 150 करोड़ से 175 करोड़ रुपये है। जानकारों का मानना है कि आगे भी कीमतों में मजबूती बनी रहेगी, क्योंकि मौजूदा हाजिर बाजार भाव वायदा भाव से अधिक हैं। अब कपास के नए सीजन की बुवाई भी शुरू हो गई है। लेकिन मानसून के जोरदार आगमन के बाद अचानक बारिश के थमने से किसान असमंजस में हैं। आने वाले दिनों में फसल की तस्वीर साफ होने के बाद कपास खली  के भावों की दिशा तय होगी।


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