केसर का उत्पादन अधिक होने से बाजार काफी नीचे आ गए थे, लेकिन चालू महीने से केसर की खरीद निर्यातकों एवं घरेलू शादियों के लिए बढ़ जाने से उत्पादक मंडियों में भाव बढ़ गए थे। यहां भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रतिस्पर्धात्मक खरीद से 20 रुपए प्रति ग्राम की तेजी आ गई है तथा थोड़ा ठहरकर 20 रुपए और बढऩे के आसार बन गए हैं। बीते सीजन में केसर का उत्पादन अधिक होने से ऊपर के भाव से 40/45 रुपए प्रति ग्राम की गिरावट आ गई थी। यहां कश्मीरी केसर 180/190 रुपए प्रति ग्राम के बीच रह गया था, लेकिन पिछले माह से ही निर्यातक माल पकडऩे लगे थे, क्योंकि सौदे काफी पेंडिंग में थे। उसके बाद पहलगाम में आतंकवादियों की गतिविधियों के बाद से मंडियों में आपूर्ति घट गई। बाद ऑपरेशन सिंदूर होने के बाद चारों तरफ से कश्मीर जम्मू सहित सभी उत्पादक क्षेत्रों में माल का आवागमन बंद हो जाने से माल की शॉर्टेज बन गई है। इधर निर्यातकों की हर भाव में खरीद बन गई, जिससे यहां 20 रुपए बढक़र कश्मीरी केसर 195/210 रुपए प्रति ग्राम हो गए हैं। ईरानी केसर के भाव भी इसी अनुपात में बढ़ाकर बोलने लगे हैं तथा अभी देश की सरहद वाली घाटियों में काफी मंडियां डिस्टर्ब हो गई है तथा स्टाक के माल भी काफी नष्ट हो गए हैं तथा आने वाली फसल भी 30 प्रतिशत खराब हो गई है, इसे देखते हुए बाजार में थोड़ा ठहरकर 20/30 रुपए प्रति ग्राम की और तेजी लग रही है। वर्तमान में कश्मीर की घाटी में सुरक्षा की दृष्टि से प्रतिकूल वातावरण बना हुआ है, जिसके चलते पामपोर पालम द्रास कारगिल बटालिक बेगमपुरा सहित श्रीनगर के बर्फीली घाटियों से केसर के फूल की निकासी नहीं हो रही है। इसके अलावा गलवान घाटी में भी इस बार फूल की निकासी अच्छी हुई थी, लेकिन आने वाली फसल गोला बारूद से फेल होने की संभावना प्रबल हो गई है। यही कारण है कि सीजन से अब तक केसर के भाव उत्तर भारत की मंडियों में 40/45 रुपए लुढक़ कर कश्मीरी माल के 180/190 रुपए प्रति ग्राम रह गए थे। ईरानी माल भी 130/140 रुपए के निम्न स्तर पर आ गया था, जो इस समय 20 रुपए प्रति ग्राम बढ़ गए हैं। अफगानिस्तान से भी कम माल आ रहा है, जिससे पड़ते में 15 रुपए महंगा पड़ रहा है। हम मानते हैं कि मिलावटी माल भी धड़ल्ले से उत्तर भारत की मंडियों में बिक रहे हैं तथा प्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा निर्मित माल इस समय 200/210 रुपए बिक रहे हैं तथा एक्स प्लांट में 205 रुपए तक व्यापार सुना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर से घाटियों में केसर के फूल इस बार कम निकाल पाएंगे, क्योंकि काफी इसके पौधे नष्ट हो गए हैं। जिस तरह पहले दहशत में केसर के फूल निकलने वाले फूलों की तुड़ाई करते थे, उसी इस बार वहां सुरक्षा की दृष्टि से प्रतिकूल वातावरण मिलेगा, जिससे अभी और आगे चलकर कमी बन जाएगी। दूसरी ओर निर्यातक वर्तमान भाव पर माल पकडऩे लगे हैं, क्योंकि शादियों की मांग चौतरफा बढ़ गई है। निर्यातक यह अनुमान कर रहे थे कि बाजार अभी और घटेगा, लेकिन घरेलू खपत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में केसर के ऊंचे भाव होने से लगातार माल जा रहा था, उसके बाद सरहद पर तनाव से चौतरफा उत्पादक मंडियां डिस्टर्ब हो गई है। सीजन से अब तक बाजार काफी नीचे आ गया था तथा नई फसल तक तेजी की धारणा नहीं थी, लेकिन वर्तमान में प्रतिकूल वातावरण होते ही फिर से धारणा तेजी में बदल गई है अत हर भाव में केसर की खरीद करनी चाहिए।