अदरक की आई हुई फसल चौतरफा बहुत बढिय़ा बताई जा रही है, जिससे सौंठ अधिक बना है। दूसरी ओर इस बार पुराना स्टॉक सभी मंडियों में अधिक बचने से वर्तमान भाव में माल स्टॉक करने की बजाय मजूरी का काम करना चाहिए। अदरक की बिजाई सागर लाइन में बहुत बढिय़ा होने से क्वालिटी एवं क्वांटिटी दोनों ही सौठ की बहुत बढिय़ा आई है, कोचीन के आस-पास उत्पादक कच्ची मंडियों में स्टॉक इस बार भी जमा हो गया है तथा इस बार पूर्वी भारत में क्वालिटी बहुत बढिय़ा आ रही है, पिछेती बिजाई वाली फसल में हल्के माल जरूर निकल रहे थे, लेकिन चौतरफा उत्पादन में कम से कम 34 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान वर्तमान में लगाया जा रहा है। गौरतलब है कि सीजन से अब तक सौंठ में भारी गिरावट आ चुकी है, जिससे कारोबारी चारों तरफ हताश बैठे हैं तथा बाहरी ट्रेड के कारोबारी अपना माल मंदे भाव में काटने लगे हैं, लेकिन सारा माल इधर से उधर घूम रहा है, खपत में नहीं जा रहा है। इस बार सर्दी केवल एक महीना ही पड़ी है, इससे भी अदरक की खपत कम हुई है तथा सौंठ भी कम बिक रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि गत वर्ष 47/48 प्रतिशत सौंठ का उत्पादन अधिक हुआ था, क्योंकि अदरक सस्ती बिकने से सौंठ ज्यादा बनी थी तथा पिछले तीन वर्षों से लगातार तेजी का रुख बने रहने से कारोबारियों द्वारा सीजन में ही गले तक स्टॉक भर लिया गया था। यही कारण है की सीजन में जो 425 रुपए प्रति किलो सागर लाइन की सौंठ बिकी थी, उसके भाव आज 225 रुपए में कोई पूछने वाला नहीं है, यह हाल ही में 240 रुपए बन गई थी, लेकिन उसके बाद बाजार टिक नहीं पाए, क्योंकि स्टॉकिस्ट बिकवाल आ गए। जिस कारण बाजार ज्यादा दिन नहीं टिक पाया। इधर कानपुर लाइन में 220/225 रुपए का बेचू आने लगे हैं, सागर लाइन वाले एक्स मंडी 205/210 रुपए तक व्यापार कर चुके हैं। इसका स्टॉक उत्पादक, खपत व वितरक मंडियों में प्रचुर मात्रा में पड़ा हुआ है तथा नई फसल आ चुकी है, उसका अभी सारा माल स्टॉक में पड़ा हुआ है। इस वजह से स्टॉक 50 प्रतिशत बचने की संभावना है। आने वाली फसल का उत्पादन भी चौतरफा बढिय़ा बताया जा रहा है, इस तरह नए पुराने माल को मिलाकर उपलब्धि बहुत ज्यादा रहने वाली है। हम मानते हैं कि इस बार नाइजीरिया का चिप्स महंगा होने के आयातकों द्वारा कम मंगाया गया है। इन परिस्थितियों में सौंठ में तेजी की धारणा नहीं है, बल्कि ऐसा आभास हो रहा है कि आने वाले समय में कुछ और मंदा आ जाएगा।